जोधपुर (राजस्थान) : हिन्दू जनजागृति समिति अनेक वर्षाें से सभी हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को संगठित करने और समाज में साधना का महत्त्व विशद करने हेतु कार्यरत है । धर्मसंस्थापना हेतु साधना मूलमंत्र है । साधना करने से हम पर ईश्वर की कृपा होती है और ईश्वर के कृपाशीर्वाद से सबकुछ संभव होतता है । हमने हिन्दू संस्कृति का पालन किया, तभी जाकर हमें सफलता मिलेगे । अतः हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हमें योजनाबद्ध कार्य करकनेन की आवश्यकता है; इसलिए सभी को संगठित होकर प्रयास करने पडेंगे, ऐसा प्रतिपादन लष्कर-ए-हिन्द संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से यहां के स्वास्थ्य साधना केंद्र में हाल ही में हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन आयोजित किया गया था, उसे संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।
इस अधिवेशन का उद्घाटन सनातन की संत पू. सुशीला मोदीजी, रा.स्व. संघ के प्रांत सहकार्यवाह अधिवक्ता बंसीलाल भाटी एवं श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल के करकमलों से किया गया । इस अधिवेशन में सरदारपुरा विकास समिति के श्री. दुर्गाप्रसाद शर्माजी, वनबंधु परिषद के अध्यक्ष श्री. सुरेश राठी, भारत विकास परिषद के श्री. भूतडा, अधिवक्ता जी.डी. गोदारा आदि मान्यवरोंसहित अनेक धर्मप्रेमी उपस्थित थे ।
हिन्दुओं का अस्तित्व टिकाए रखने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही एकमात्र उपाय – आनंद जाखोटिया, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
आज भारत के सेक्युलर संविधान में हिन्दू धर्म के लिए किसी प्रकार का विशेष संरक्षण उपलब्ध नहीं है । इसके साथ ही हलाल अर्थव्यवस्था के माध्यम से एक समानांतर अर्थव्यवस्था खडी हो रही है, जिसक बहिष्कार और जागृति के माध्यम से विरोध होना आवश्यक है । हिन्दुओं का अस्तित्व टिकाए रखने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही एकमात्र उपाय है ।
गाय ही संस्कृति का आधार और समृद्धि का मूल ! – अधिवक्ता सूर्यप्रकाश शर्मा
गाय ही संस्कृति का आधार और समृद्धि का मूल है । गोमूत्र और गोमय से वास्तुदोष नष्ट हो जाते हैं । राजस्थान सरकार की ओर से शहरों में गोपालन के लिए बनाए गए नियमों के अनुसार किस प्रकारक गोपालन करना संभव है ? और उसे कूढा समझकर शहर के बाहर फेंकने का प्रावधान सरकार द्वारा बनाए गए नियमों में है । यह हमारी संस्कृति पर हो रहा वज्राघात है ।
अधिवक्ता बंसीलाल भाटी ने कहा, ‘‘हिन्दू सक्षम और बलवान बने, तभी जाकर उन पर कोइई हावी नहीं हो सकेगा । हिन्दुओं को अपने आस्था के केंद्रों का अनादर सहन नहीं करना चाहिए ।’’
विस्थापित पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए कार्यरत डॉ. भागचंद भील ने कहा, ‘‘स्थानीय हिन्दुओं को विस्थापित हिन्दुओं के साथ आदान-प्रदान का व्यवहार करना आवश्यक है ।’’