राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित कुतुब मिनार को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारी ने बडा दावा किया है और इसे सूर्य स्तंभ बताया है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी बात को सिद्ध करने के लिए कई तथ्य भी दिए हैं।
स्तंभ से की जाती थी नक्षत्रों की गणना
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने कुतुब मिनार को सूर्य स्तंभ बताते हुए कहा कि, यह मीनार एक वेधशाला (Observatory) है, जिसमें नक्षत्रों की गणना की जाती थी। उन्होंने कहा कि 27 नक्षत्रों की गणना के लिए इस स्तंभ में दूरबीन वाले 27 स्थान भी हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि कुतुब मिनार की तीसरी मंजिल पर सूर्य स्तंभ के बारे में उल्लेख भी किया गया है।
Former #ASI regional director confirms #QutubMinar was built as ‘Surya Stambh’, an ancient Hindu observatory to study astronomy.
It was also popularly called DHRUV STAMBH,
and the LOTUS symbol inside Qutub Minar has a meaning.Had it explained in my 2 yrs old thread. ? https://t.co/9ehuSbcH0U pic.twitter.com/gX3iG6e4p1
— Levina?? (@LevinaNeythiri) May 18, 2022
कई बार कराया है कुतुब मीनार में संरक्षण का कार्य
रिपोर्ट के अनुसार, धर्मवीर शर्मा देश के बड़े पुरातत्त्ववेत्ता में शामिल हैं, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के दिल्ली मंडर में 3 बार सुपरिटेंडेंट पुरातत्त्ववेत्ता रहे हैं। उन्होंने कई बार कुतुब मीनार में संरक्षण का काम कराया है और उसके अंदर गए हैं। उनका दावा है कि, उन्होंने कुतुब मिनार के अंदर देवनागरी लिखावट को देखा है।
सम्राट विक्रमादित्य ने कराया था निर्माण
धर्मवीर शर्मा का दावा है कि, पुरातत्व प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि, कुतुब मीनार एक बहुत बड़ी वेधशाला (Observatory) थी, जहां नक्षत्रों की गणना की जाती थी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया है कि इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने नहीं, बल्कि राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने खगोलविज्ञानी वराह मिहिर के नेतृत्व में करीब 1700 साल पहले पांचवीं शताबदी में कराया था।