वर्धा – ‘‘वर्तमान में कोरोना से भले ही कुछ दिलासा मिली हो, परंत उससे पूर्णरूप से छुटकारा नहीं हुआ है । जगभर में युद्धजन्य परिस्थिति है । पडोसी राष्ट्रों में अराजकता फैली है । हिन्दू धर्म पर सतत आक्रमण हो रहे हैं । इसलिए समाजजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है । अस्थिरता निर्माण हो गई है । इससे अपनी रक्षा करनी हो, तो साधना के अतिरिक्त पर्याय नहीं । साधना से आत्मबल निर्माण होगा । आत्मबल के कारण हमारी किसी भी संकटकाल में रक्षा होगी’’, ऐसा प्रतिपादन सनातन संस्था के धर्मप्रचारक संत पू. अशोक पात्रीकर ने किया ।
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से १२ मई को यहां ‘प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ आयोजित किया गया था । पू. अशोक पात्रीकरजी इस अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे । इस अवसर पर ह.भ.प. लताप्रसाद तिवारी, हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ समन्वयक श्री. सुनील घनवट, व्यावसायिक श्री. हरीष गांधी एवं समिति के विदर्भ समन्वयक श्री. श्रीकांत पिसोळकर ने भी उपस्थितों को संबोधित किया ।
? अकोला मध्ये एक दिवसीय प्रांतीय हिंदु अधिवेशन संपन्न ?
हिंदू राष्ट्रासाठी संघटित होण्याचा सगळ्यांचा निर्धार !
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— Ribha Mishra (@RibhaMishra) May 20, 2022
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने हेतु विद्यार्थियों को भगवद्गीता सिखाना आवश्यक ! – ह.भ.प. लताप्रसाद तिवारी, वर्धा
‘भगवद्गीता’ यह हिन्दुओं का अनादि ग्रंथ है। अर्जुन को कर्तव्य का भान करवाने हेतु भगवान ने गीता सुनाई। आज भी समाज धर्माचरण एवं कर्तव्य से विमुख होता जा रहा है । वह भटक गया है । इसलिए समाज को योग्य मार्ग पर लाने के लिए गीता सिखाना आवश्यक है । जब तक विद्यार्थियों को गीता नहीं सिखाई जाती, तब तक यह देश हिन्दू राष्ट्र नहीं होगा ।
हिन्दुओं को उनकी खरी पहचान करवाना आवश्यक ! – हरीष गांधी, व्यावसायिक
वर्तमान में हिन्दुओं की स्थिति सिंह के शावक समान हो गई है । भेंडों के झुंड में रहते हुए वह स्वयं को भी भेंड समझने लगा है । फिर सिंह के मिलने पर उसे अपनी वास्तविकता से परिचय हुआ । उसीप्रकार हिन्दुओं में सहिष्णुता एवं धर्मनिरपेक्षता नामक विष घोल दिया गया है । हिन्दुओं को उनकी खरी पहचान करवाने की आवश्यकता है ।
क्षणिकाएं
१. परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा अधिवेशन हेतु भेजा संदेश पढकर सुनाया गया ।
२. ‘हिन्दू जनजागृति समिति ने ही सर्वप्रथम ‘लव जिहाद’का षड्यंत्र जगत के सामने उजागर किया । समिति जैसे अर्जुन होकर लड रही है, वैसे ही वह श्रीराम की वानरसेना बनकर भी कार्य कर रही है ।’ – ह.भ.प. लताप्रसाद तिवारी
३. धर्मप्रेमी श्री. पद्माकर नानोटे, निसर्ग सेवा समिति के श्री. निखिल सातपुते, ‘संस्कृत भारती’ के श्री. अनिल पाखोडे, कविता भांडुपिया ने भी अपना-अपना मनोगत व्यक्त किया ।
४. अंत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रस्ताव पारित किया गया ।