जिले के १६ हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए कार्य करने का निर्धार !
यवतमाळ – हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित दूसरा प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन हाल ही में संपन्न हुआ । इस अधिवेशन में कश्मीरी हिन्दुओं की समस्या, देवी-देवताओं का अनादर, लव जिहाद, लैंड जिहाद, हलाल प्रमाणपत्र, धर्मपरिवर्तन, हिन्दुओं की शोभायात्राओं पर आक्रमण, हिन्दुओं की हत्या, मंदिरों का सरकारीकरण, मंदिरों पर होनेवालो आघातों के विरोध में संगठित रहना, इसके साथ ही संवैधानिक मार्ग से सक्रिय होकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने के लिए कार्य करने का निर्धार जनपद के साथ वणी, पुसद, उमरखेड, घाटंजी, कारंजा, इन तहसीलों के १६ हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने किया ।
सम्मिलित संगठन
दीनदयाल प्रबोधिनी, विवेकानंद केंद्र, महिला उत्थान समिति, वारकरी संप्रदाय, पतंजली योग समिति, विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय वारकरी परिषद, बजरंग दल, सनातन संस्था, हिन्दु जनजागृति समिति, चेंबर ऑफ कॉमर्स, रा.स्व. संघ, दासबोध संगठन, पुरोहित संगठन, आध्यात्मिक मंच, भ्रष्टाचार विरोधी जनआंदोलन समिति सहित प्रवचनकार, अधिवक्ता, पत्रकार, उद्योजक, धर्मप्रेमी इत्यादि १०० से भी अधिक धर्मप्रेमी सम्मिलित थे ।
हिंदवी स्वराज्य स्थापित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति भगवान का अधिष्ठान रखे ! – पू. अशोक पात्रीकर, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था
हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज आवश्यक है । छत्रपति शिवाजी महाराजजी समान हिंदवी स्वराज्य स्थापित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को भगवान का अधिष्ठान रखना चाहिए । इसके साथ ही वह साधना को महत्त्व देकर हिन्दू राष्ट्र के कार्य में सम्मिलित हो ।
१२५ वां संविधान हिन्दू राष्ट्र का हो सकता है ! – अधिवक्ता अजय चमेडिया, हिन्दुत्वनिष्ठ
बहुमत के आधार पर हिन्दू राष्ट्र की मांग करना संवैधानिक है । अब तक १२४ बार संविधान में परिवर्तन हुआ है । १२५ वें संविधान में सुधार हिन्दू राष्ट्र का हो सकता है । प्रत्येक को अपने विचार प्रस्तुत करने का अधिकार एवं स्वतंत्रता है ।
हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य प्रवक्ता श्री. सुनील घनवट ने ‘हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता’ इस विषय पर मार्गदर्शन किया । इस अवसर पर उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था से समांतर हलाल प्रमाणपत्र के संकट बताए ।
अंत में हिन्दू राष्ट्र के विषय में परिसंवाद लिया गया । उसमें हिन्दू राष्ट्र के विषय में आक्षेप का खंडन किया गया । तदुपरांत ‘हर हर महादेव’ के जयघोष में हिन्दूहित संबंधी प्रस्ताव पारित हुआ ।