स्वातंत्र्यवीर सावरकर जयंतीनिमित्त फर्ग्यूसन महाविद्यालय (पुणे) में उनके कक्ष की हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से स्वच्छता
पुणे – महाविद्यालय के अनेक विद्यार्थियों को वीर सावरकर के कक्ष की जानकारी होनी चाहिए । सावरकर अर्थात शौर्य, सावरकर अर्थात धैर्य एवं तत्त्वनिष्ठा, यह विद्यार्थियों को सीखना चाहिए । कुछ लोगों द्वारा सावरकरजी को केवल विज्ञानवादी दिखाने का प्रयत्न किया जा रहा है; परंतु वे प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ थे, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगड राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने व्यक्त किए ।
स्वा. सावरकर यांच्या जयंतीनिमित्ताने त्यांच्या फर्ग्यूसन महाविद्यालयातील रहात्या खोलीची @HinduJagrutiOrg च्या वतीने स्वच्छता केली, सावरकरांनी स्वदेशी चळवळ, विदेशी कपड्यांची होळी इ.चळवळीची वैचारीक क्रांतीची सुरुवात याच ठिकाणी केली.सर्वानी येथून स्फूर्ती घेऊयात : – @malhar_pandey pic.twitter.com/qTsnN9kTcF
— Sunil Ghanwat (@SG_HJS) May 21, 2022
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से वीर सावरकर की २१ मई को तिथिनुसार जयंती मनाई गई । उस निमित्त से ‘क्रांतिकारी स्मारक स्वच्छता’ मुहिम के अंतर्गत यहां के फर्ग्यूसन महाविद्यालय में वीर सावरकर के निवासी कक्ष की सामूहिक स्वच्छता की गई । इस अवसर पर श्री. घनवट ने उपस्थितों को संबोधित किया ।
इस मुहिम में शिरोळे घराने के वंशज श्री. अभयराजे शिरोळे, फर्ग्यूसन महाविद्यालय के ३० विद्यार्थी, १० कर्मचारियों सहित हिन्दू जनजागृति समिति के ९ कार्यकर्ता उपस्थित थे । कक्ष की स्वच्छता करने से पूर्व वीर सावरकर ने जिस कक्ष से स्वतंत्र क्रांति का बीज बोया गया वहां से ‘राष्ट्र्र-धर्म का कार्य करने की ऊर्जा एवं चैतन्य हमें मिले’, ऐसी सामूहिक प्रार्थना की गई ।
२. इस अवसर पर इतिहास संशोधक श्री. देवाशिष कुलकर्णी बोले, ‘‘सावरकर का मनोबल कारागृह के कठोर जीवन में भी कभी भी नहीं टूटा । आज की पीढी को अपना मनोबल दृढ बनाने के लिए सावरकर से प्रेरणा लेना अत्यंत आवश्यक है । उसके लिए सावरकर की रचनाएं पढनी चाहिए ।’’
३. ‘झुंज प्रतिष्ठान’के संस्थापक श्री. मल्हार पांडे बोले, ‘‘वीर सावरकर ने इस स्थान पर ही स्वदेशी अभियान, विदेशी कपडों की होली आदि क्रांतिकारी गतिविधियां कीं । विद्यार्थियों को प्रतिदिन यहां आकर माथा टेक कर प्रेरणा लेनी चाहिए ।’’
१. श्री. सुनील घनवट आगे बोले, सावरकर द्वारा मार्सेलिस की समुद्र में लगाई छलांग की चर्चा त्रिखंड में प्रसिद्ध हुई । ‘अभिनव भारत संगठन’की स्थापना कर अनेक क्रांतिकारियों को उन्होंने दिशा दी । ‘देश के स्वतंत्रता संग्राम में जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया उसका बहुत बडा योगदान ही है; परंतु जिन्होंने देश स्वतंत्र होने के लिए प्रार्थना की, उनका भी योगदान है’, ऐसा वीर सावरकर ने कहा था ।