कुतुब मीनार में पूजा की मांग को लेकर दायर हिंदू पक्ष की याचिका का आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने विरोध किया है। ASI ने साकेत न्यायालय में दाखिल अपने उत्तर में कहा है कि, कुतुब मीनार की पहचान बदली नहीं जा सकती।
दरअसल, दिल्ली की साकेत न्यायालय में कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू और जैन देवी-देवताओं की बहाली और पूजा के अधिकार की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि, कुतुब मीनार परिसर में हिंदू देवी देवताओं की कई मूर्तियां मौजूद हैं।
ASI opposes before Delhi Court suit seeking restoration of as many as 27 Hindu and Jain temples inside the #QutubMinar complex, says Fundamental right cannot be availed in violation of any status of the land.
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— Live Law (@LiveLawIndia) May 24, 2022
पूजा का अधिकार नहीं दिया जा सकता – ASI
वहीं, इस याचिका पर ASI ने अपना उत्तर साकेत न्यायालय में दाखिल किया है। ASI ने कहा, कुतुब मीनार को 1914 से संरक्षित स्मारक का दर्जा मिला है। ASI ने कहा, कुतुब मीनार की पहचान बदली नहीं जा सकती। न ही अब स्मारक में पूजा की अनुमती दी जा सकती है। दरअसल, संरक्षित होने के समय से यहां कभी पूजा नहीं हुई है।
ASI ने कहा, हिंदू पक्ष की याचिकाएं कानूनी तौर पर वैध नहीं है। साथ ही पुराने मंदिर को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर बनाना ऐतिहासिक तथ्य का मामला है। अभी कुतुब मीनार में किसी को पूजा का अधिकार नहीं है। जब से कुतुब मीनार को संरक्षण में लिया गया, यहां कोई पूजा नहीं हुई, ऐसे में यहां पूजा की अनुमति नहीं दी जा सकती।
‘ये पुरातात्विक महत्व का स्मारक’
एएसआई ने कहा है कि ये पुरातात्विक महत्व का स्मारक है। लिहाजा यहां किसी को पूजा पाठ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। पुरातात्विक संरक्षण अधिनियम 1958 के मुताबिक, संरक्षित स्मारक में सिर्फ पर्यटन की इजाजत है। किसी भी धर्म के पूजा पाठ को नहीं। ASI ने कहा, जब ये कुतुब मीनार परिसर एएसआई के संरक्षण में आया है तब भी वहां किसी भी धर्म के मतावलंबी कोई उपासना या पूजा पाठ नहीं कर रहे थे।
कुतुब मीनार में 27 मंदिरों के अवशेष – याचिकाकर्ता
पूजा की मांग को लेकर याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता पू. हरिशंकर जैन ने कुतुब मीनार को लेकर बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि करीब 27 मंदिरों के 100 से ज्यादा अवशेष कुतुब मीनार में बिखरे पड़े हैं। उन्होंने कहा, कुतुब मीनार को लेकर हमारे पास इतने साक्ष्य हैं, जिन्हें कोई नकार नहीं सकता। हरिशंकर जैन ने दावा किया है कि उनके पास जितने भी साक्ष्य हैं, वो सब उनके द्वारा एएसआई की किताबों से ली गई है। उन्होंने कहा, ये एएसआई का कहना है कि ये मंदिरों के अवशेष हैं।
याचिकाकर्ता की तरफ से दावा किया गया है कि ASI द्वारा प्रदर्शित एक संक्षिप्त इतिहास बताता है कि मोहम्मद गौरी की सेना के कमांडर कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 27 मंदिरों को धवस्त कर दिया गया था और कुव्वत-उल-इस्लाम को परिसर के अंदर खड़ा कर दिया था। मुकदमे में ये दावा भी किया गया है कि कुतुब मीनार परिसर में हिंदू देवताओं और श्री गणेश, विष्णु और यक्ष समेत देवताओं की स्पष्ट तस्वीरें और मंदिर के कुओं के साथ कलश और पवित्र कमल जैसे कई प्रतिक हैं, जो इस इमारत के हिंदू मूल को दर्शाते हैं।
स्रोत : आज तक