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श्री तुळजाभवानी मंदिर में भ्रष्टाचार करनेवालों पर तत्काल कार्यवाही करने के लिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का आंदोलन

तुळजापुर एवं पुणे में हुआ आंदोलन

महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी माने जानेवाली श्री तुळजाभवानी मंदिर में करोडों रुपयों का भ्रष्टाचार करनेवाले ठेकेदार और शासकीय अधिकारियों पर ‘सीआईडी’ की रिपोर्ट के अनुसार तत्काल अपराध प्रविष्ट करने तथा उनपर कठोर कार्यवाही करने की मांग हेतु हिन्दू जनजागृति समिति तथा समवैचारिक संगठनों द्वारा श्री तुळजाभवानी मंदिर के निकट स्थित प्रशासकीय कार्यालय के सामने ही 31 मई 2022 को सवेरे 11 बजे ‘हिन्दू राष्ट्र जागृति आंदोलन’ किया गया । इसी मांग हेतु आज पुणे के डेक्कन परिसर स्थित झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के पुतले के निकट सायंकाल ‘हिन्दू राष्ट्र जागृति आंदोलन’ किया गया ।

श्री तुळजाभवानी माता का मंदिर शासकीय नियंत्रण में होते हुए भी वहां वर्ष 1991 से वर्ष 2009 की अवधि में सिंहासन दानपेटी की नीलामी में 8 करोड 45 लाख रुपयों से अधिक राशि का घोटाला ठेकेदार और उच्च एवं कनिष्ठ पदस्थ शासकीय अधिकारियों की सांठगांठ से हुआ । इस संबंध में संभाजीनगर उच्च न्यायालय में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा प्रविष्ट जनहित याचिका के कारण यह रिपोर्ट 20 सितंबर 2017 को सी.आई.डी.ने गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को मंत्रालय में प्रस्तुत की; परंतु पांच वर्ष हो रहे हैं, तब भी दोषियों पर कार्यवाही तो हुई नहीं, अपितु साधारण रिपोर्ट भी विधानसभा में अथवा बाहर सार्वजनिक नहीं की गई है । इस घोटाले में 9 ठेकेदार, 5 तहसीलदार, 1 लेखापरीक्षक, 1 धार्मिक सहप्रबंधक का सहभाग है तथा उन पर अपराध प्रविष्ट करने की सिफारिश की गई है; परंतु दोषियों पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है । इस घोटाले के एक आरोपी की मृत्यु हो चुकी है । क्या सरकार शेष आरोपियों की मृत्यु की प्रतीक्षा कर रही है अथवा उन्हें बचा रही है ? यदि कोई मास्क न पहने, तो सरकार 200 से 500 रुपयों का दंड सामान्य जनता से वसूल करती है । तब 8 करोड 45 लाख रुपयों का भ्रष्टाचार करनेवालों पर 31 वर्ष पश्चात भी कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है ? जब तक इन सर्व दोषियों पर कार्यवाही नहीं होती तथा उनसे घोटाले की राशि चक्रवृद्धि ब्याज सहित वसूल नहीं होती, तब तक श्री तुळजाभवानी माता के भक्त तथा हिन्दू जनजागृति समिति यह आंदोलन करते ही रहेंगे, ऐसा संकेत इस आंदोलन में दिया गया ।

इस ‘हिन्दू राष्ट्र जागृति आंदोलन’ में सोमवारगिरी मठ के मठाधिपती महंत ईच्छागिरी महाराज, महंत व्यंकट अरण्य महाराज, श्री. नागेशशास्त्री आंबुलगे, सावरकर विचार मंच के श्री. बाळासाहेब शामराज, भाजपा के श्री. शिवाजी बोधले, श्री. विकास मलबा, श्री. गुलचंद व्यवहार, जनहित संगठन के श्री. अजय (भैया) साळुंके और श्री. प्रशांत सोंजी, अधिवक्ता गिरीश लोहारीकर, अखिल भटक्या विमुक्त जाति जमाति महासंघ के मराठवाडा अध्यक्ष श्री. अंबादास व्हरडे, सुदर्शन वाघमारे, शिवसेना शहरप्रमुख श्री. सागर इंगळे, रिपब्लिकन दल की रुपाली महादेव काळभोर, बारामती के शेतकरी संगठन के प्रवक्ता श्री. अशोक महादेवराव खलाटे, बजरंग दल के शहराध्यक्ष श्री. दिनेश कापसे, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. राजन बुणगे आदि सहित श्रद्धालु और हिन्दुत्वनिष्ठ बडी संख्या में सम्मिलित हुए थे ।


27 मई

श्री तुळजाभवानी मंदिर में करोडों रुपयों का भ्रष्टाचार उजागर करनेवाला ‘सी.आई.डी.’ रिपोर्ट 5 वर्ष दबाकर भ्रष्टाचारियों को अभयदान

‘सी.आई.डी.’ रिपोर्ट में बडे लोगों का समावेश; परंतु किसी पर भी कार्यवाही नहीं !

छायाचित्रमें बाई ओरसे हिन्दू जनजागृति समितीके श्री. सतीश सोनार, हिंदु विधीज्ञ परिषदके संस्थापक सदस्य तथा याचिका लडनेवाले अधिवक्ता (पू.) सुरेश कुलकर्णी और हिन्दू जनजागृति समितीके महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संघटक श्री. सुनील घनवट

महाराष्ट्र की आराध्यदेवता मानी जानेवाली श्री तुळजाभवानी माता का मंदिर संस्थान शासकीय नियंत्रण में रहते वहां वर्ष 1991 से वर्ष 2009 की अवधि में सिंहासन दानपेटी की नीलामी में करोडों रुपयों का घोटाला हुआ है । इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति ने हिन्दू विधिज्ञ परिषद के माध्यम से मुंबई उच्च न्यायालय के संभाजीनगर (औरंगाबाद) खंडपीठ में प्रविष्ट की गई जनहित याचिका पर निर्णय देते समय मा. न्यायालय ने उक्त प्रकरण में सी.आई.डी. के पूछताछ ब्यौरे में अनेक धक्कादायक निष्कर्ष सामने आए हैं । उस पूछताछ ब्यौरे के अनुसार दानपेटी नीलामी में 8 करोड 45 लाख 97 हजार रुपयों का घोटाला हुआ है तथा उसमें दोषी के रूप में 9 नीलामी करनेवाले, 5 तहसीलदार, 1 लेखापरीक्षक, 1 धार्मिक सहव्यवस्थापक पर आरोप लगाया गया है तथा 20 सितंबर 2017 को अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग, महाराष्ट्र राज्य को प्रस्तुत होकर 5 वर्ष हो रहे हैं, तब भी दोषियों पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है । इस अवधि में एक आरोपी की मृत्यु हो चुकी है तथा घोटाला प्रारंभ होकर 31 वर्ष हो चुके हैं, तो क्या सरकार अन्य आरोपियों की मृत्यु होने की प्रतीक्षा कर रही है कि इसमें दोषी पाए गए अधिकारियों को बचा रही है ? अब तो महाराष्ट्र सरकार गंभीरता दिखाकर तत्काल दोषियों पर एफ.आई.आर. (FIR) प्रविष्ट कर उन्हें बंदी बनाए, तथा उनसे देवस्थान की लूटी गई राशि चक्रवृद्धि ब्याज लगाकर वसूल करे । अन्यथा हिन्दू जनजागृति समिति को इसके लिए सडक पर उतरकर राज्यव्यापी आंदोलन करना पडेगा तथा आवश्यकता पडने पर न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट करनी पडेगी, ऐसा चेतावणी हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने पत्रकार परिषद में दी । इस समय पत्रकार परिषद में हिन्दू विधिज्ञ परिषद के चे संस्थापक सदस्य तथा याचिका लडनेवाले अधिवक्ता (पू.) सुरेश कुलकर्णी उपस्थित थे ।

छायाचित्रमें बाई ओर से महाराष्ट्र राज्यके गृहराज्यमंत्री श्री. शंभूराज देसाईजी के साथ चर्चा करते हुए हिन्दू जनजागृति समितीके महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट और हिंदु जनजागृती समितीके श्री. सतीश सोनार

इस संदर्भ में समिति के प्रतिनिधि मंडल ने मंत्रालय में महाराष्ट्र के गृहराज्यमंत्री श्री. शंभूराज देसाई से प्रत्यक्ष भेंट की तथा उन्हें निवेदन प्रस्तुत किया तथा घोटाला करनेवाले सर्व दोषियों पर कठोर कार्यवाही करने की मांग की । उस समय गृहराज्यमंत्री ने कहा कि, इस संदर्भ में अधिकारियों से अधिक जानकारी लेता हूं तथा मुख्यमंत्री से चर्चा करता हूं।

श्री तुळजाभवानी मंदिर संस्थान के भ्रष्ट कारोबार के संदर्भ में तुळजापुर पुजारी मंडल के अध्यक्ष श्री. किशोर गंगणे ने 20 मार्च 2010 को शिकायत प्रविष्ट की थी । उसके अनुसार आगे पूछताछ प्रारंभ होकर भी उसे गति नहीं मिल रही थी; क्योंकि इसमें 20 वर्षाें के 22 जिलाधिकारी, तहसीलदार, अनेक जनप्रतिनिधी सम्मिलित थे । इन दोषियों पर कार्यवाही होने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति ने संपूर्ण राज्य में जनआंदोलन किए तथा यह जांच शीघ्रगति से और न्यायमूर्ति के नेतृत्व में होने के लिए हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता (पू.) सुरेश कुलकर्णी तथा अधिवक्ता उमेश भडगांवकर के माध्यम से वर्ष 2015 में मुंबई उच्च न्यायालय के औरंगाबाद खंडपीठ में जनहित याचिका (क्र. 96/2015) प्रविष्ट की थी । इस याचिका के परिणाम स्वरूप पुलिस उप महानिदेशक को न्यायालय में उपस्थित रहने के आदेश दिए गए । इस पर पुलिस उप महानिदेशक को न्यायालय में उपस्थित रहकर तीन महीनों में जांच पूर्ण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात न्यायालय में कहनी पडी । प्रतिज्ञापत्र भी न्यायालय में प्रस्तुत करना पडा । उसके अनुसार वर्ष 2017 में रिपोर्ट न्यायालय और सरकार को प्रस्तुत हुआ; परंतु सरकार ने वह रिपोर्ट विधानसभा अथवा बाहर सार्वजनिक न करते हुए दबाकर रखा था तथा प्रत्यक्ष में दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई थी । इस संदर्भ में पुनः याचिका प्रविष्ट होने पर औरंगाबाद खंडपीठ के न्यायमूर्ति आर.डी. धनुका और न्यायमूर्ति एस.जी. मेहरे ने 22 अप्रैल 2022 को उक्त रिपोर्ट की प्रति समिति को उपलब्ध करवाने का आदेश सरकार को दिया ।

मा. मुख्यमंत्री तथा गृहमंत्री से भेंट कर दोषियों पर तत्काल कार्यवाही करने की मांग करेंगे !

इस रिपोर्ट में दोषी पाए गए आरोपियों में से मंदिर के धार्मिक व्यवस्थापक दिलीप नाईकवाडी पर श्री तुळजाभवानी मंदिर का 35 तोला सोना, 71 किलो चांदी और 71 प्राचीन सिक्के गायब करने का अपराध भी सितंबर 2020 में प्रविष्ट हुआ था । उस प्रकरण में वह फरार हो गया था; परंतु पुलिस ने उसे 20 सितंबर 2021 को बंदी बनाया । इस एक आरोपी को छोडकर रिपोर्ट में दोषी पाए गए राजकीय नेता तथा वरिष्ठ शासकीय अधिकारियों विरुद्ध कोई भी कार्यवाही आजतक नहीं हुई है । हिन्दू जनजागृति समिति राज्य के मा. मुख्यमंत्री तथा गृहमंत्री से भेंटकर देवधन की लूट करनेवालों को न बचाकर उनपर तत्काल कठोर कार्यवाही करने की मांग करनेवाली है । इस प्रकरण में यदि सरकार ने तत्काल कार्यवाही नहीं की, तो मा. न्यायालय के आदेश का पालन न करने के संदर्भ में पुनः न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करने का संकेत भी इस समय दिया गया।

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