राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मा. मोहनजी भागवत ने काशी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में हाल ही वक्तव्य दिया है । हम मा. मोहनजी का आदर करते हैं; परंतु यह उनका व्यक्तिगत मत है । प्राचीनकाल से काशी मोक्षनगरी है, ऐसा हिन्दू धर्मशास्त्र में उसका वर्णन है । हिन्दू जीवनदर्शन उसके बिना अपूर्ण है । इसलिए इस पवित्र भूमि पर औरंगजेब जैसे क्रूर शासक द्वारा किए अत्याचार से अब हिन्दू मंदिरों को मुक्त करना आवश्यक है । उस दृष्टि से ज्ञानव्यापी में विराजमान अविमुक्तेश्वर को मुक्त करना प्रथम कर्तव्य है, ऐसी हिन्दू समाज की धारणा है । यही हिन्दू जनजागृति समिति का भी मत है । हिन्दू समाज ने अयोध्या स्थित श्रीरामजन्मभूमि का संघर्ष भी संयमपूर्वक किया और विजय प्राप्त की है । ‘ज्ञानव्यापी’ के संबंध में भी न्यायालयीन मार्ग से प्रयास हो रहे हैं । इसलिए जब तक ज्ञानव्यापी अतिक्रमणमुक्त नहीं होती, तब तक हमारा संघर्ष चलता ही रहेगा, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया है ।
‘ज्ञानवापी’ अतिक्रमणमुक्त नहीं होती, तब तक हमारा संघर्ष चलता ही रहेगा ! –
श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति@vishnujain3 @HinduJagrutiOrg #GyanvapiMandir pic.twitter.com/1fs5HnmiwL— HJS Mumbai (@HJSMumbai) June 3, 2022
श्री. रमेश शिंदे ने आगे कहा कि, अनेक विषयों पर संगठन अथवा नेताओं के मत अलग हो सकते हैं । विविध मतों का आदर करना ही तो हमारी संस्कृति है । मतभिन्नता का अर्थ विवाद नहीं है । इसलिए इस संबंध में 100 करोड हिन्दू समाज का ही नहीं, अपितु कुछ कार्यकर्ताओं का मत भी भिन्न हो सकता है । ज्ञानव्यापी मस्जिद की सर्व वास्तविकता न्यायालय के सामने है । जिसके द्वारा वह हिन्दू मंदिर है, यह सिद्ध होगा, ऐसी हिन्दू समाज की श्रद्धा है । केवल प्राचीन काल में ही नहीं, अपितु आज भी बामियान की बुद्धमूर्ति हो अथवा तुर्किस्तान का ‘हागिया सोफिया चर्च’ हो, मुसलमानों की आक्रामक मानसिकता सर्वत्र दिखाई देती है । ऐसी स्थिति में मानवता और बंधुत्व के दृष्टिकोण से मुसलमान उनके पास हिन्दू मंदिरों का जो स्थान है, वह हिन्दुओं के नियंत्रण में नहीं देंगे । इसलिए हिन्दुओं को आंदोलन द्वारा और न्यायालयीन प्रक्रिया द्वारा यह संघर्ष करना ही पडेगा । इसकी तैयारी हिन्दू समाज ने प्रारंभ कर दी है ।