वाराणसी (उत्तरप्रदेश) – जिस प्रकार प्रभु श्रीराम एवं उनकी प्रजा आदर्श थी, उसीप्रकार हमें भी अपना समाज आदर्श बनाना है । इसलिए सभी को धर्माचरण करना आवश्यक है । इसीसे अपना मन शुद्ध एवं सात्त्विक बनता है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक संत पू. नीलेश सिंगबाळ ने किया ।
अखिल भारतीय सनातन समिति की ओर से श्रीरामकथा का आयोजन किया गया था । इस कार्यक्रम के समय उपस्थितों को संबोधित करते हुए पू. सिंगबाळ मार्गदर्शन कर रहे थे । रामकथा का प्रारंभ करने से पूर्व पातालपुरी के पीठाधीश्वर महंत बालकदास महाराज, गंगा महासभा के स्वामी जितेंद्रानंद एवं पू. नीलेश सिंगबाळ के शुभहस्तों दीपप्रज्वलन किया गया । तदुपरांत अखिल भारतीय सनातन समिति के अध्यक्ष डॉ. अजय जयस्वाल ने सभी संतों को पुष्पहार एवं उपरण देकर सम्मान किया ।
इस अवसर पर स्वामी जितेंद्रानंद महाराज बोले, ‘‘बाबा विश्वनाथ की पवित्र भूमि पर रामकथा होना, हम सभी के लिए आशीर्वचन हैं ।’’ महंत बालकदास महाराजजी बोले, ‘‘रामचरितमानस’की रचना गोस्वामी तुलसीदास से पहले भगवान महादेव ने की है । जिन्होंने यह रचना की, आज उनकी नगरी में बैठकर हम रामकथा सुन रहे हैं ।’’
क्षणिकाएं
१. श्रीरामकथा के निमित्त से अखिल भारतीय सनातन समिति की ओर से सवेरे नाग कुवां मंदिर से शोभायात्रा का शुभारंभ हुआ ।
२. पू. सिंगबाळ के कार्यक्रम स्थल से लौटते समय अखिल भारतीय सनातन समिति के कार्यकर्ताओं ने उनके आशीर्वाद लिए और पुन: अगले कार्यक्रमों में भी उपस्थित रहने के लिए प्रार्थना की ।