“प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट मामले में मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में एक और अर्जी दाखिल हुई। रिटायर कर्नल अनिल कबोत्रा ने वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय के जरिए याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि, यह हिंदुओं के मौलिक अधिकारों का हनन करता है ।
रिटायर कर्नल अनिल कबोत्रा ने वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय के जरिए देश की सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल की। कर्नल अनिल कबोत्रा 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध लड चुके हैं। याचिका में कहा गया कि, यह बर्बर विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा अवैध तरीके से पौराणिक ऐतिहासिक पूजा और तीर्थ स्थलों को कब्जा करने को कानूनी दर्जा देता है, साथ ही हिंदुओं के मौलिक अधिकारों का हनन भी करता है।
सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया कि, एक्ट विदेशी हमलावरों की बनाई ‘गैरकानूनी इमारतों’ को वैधता देता है और हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध को अपने धार्मिक स्थलों पर पूजा करने से रोकता है। याचिका में कहा कि, पर्सनल लॉ का अपमान कर बनाई गई इमारत को पूजा की जगह नहीं कहा जा सकता है। इससे पहले पिछले महीने भी प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ एक नई याचिका दायर की गई थी। यह याचिका धार्मिक नेता स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती द्वारा याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि किसी समुदाय से लगाव या नफरत नहीं रखनी चाहिए।
स्त्रोत : टीवी 9