भारत में काँग्रेस का राज्य गए और भाजपा का राज्य आए अब ८ वर्ष हो गए हैं । हिन्दुओं को अपेक्षा थी कि भाजपा का राज्य आने पर हिन्दू धर्म एवं हिन्दू धर्मियों पर जिहादी एवं आतंकवादियों द्वारा होनेवाले आक्रमण रुक जाएंगे एवं उन्हें कठोर दंड होगा । यह अपेक्षा कुछ मात्रा में पूर्ण हो रही है; परंतु बहुत बडा भाग आज भी शेष है, जो कि कश्मीर की घटना से ध्यान में आता है । कश्मीर में जिहादी मानसिकता नष्ट हुए बिना एवं जिहादी कश्मीरियों को सर्व प्रकार की सहायता करनेवाले पाक को नष्ट किए बिना वह असंभव है, यह गत ८ वर्षाें से दिखाई दे रहा है । गत ८ वर्षाें उपरांत भी हिन्दुओं को वहां मुठ्ठीभर आतंकवादियों के कारण पलायन करना पडा । इसलिए कश्मीर हिन्दुओं के लिए अब भी दूर है, ऐसा ही कहना होगा । कश्मीर की घटना आरंभ होने से पूर्व ज्ञानवापी का प्रकरण सामने आया और वहां प्राचीन काशी विश्वेश्वर मंदिर में शिवलिंग पाया गया था । उन्हें मुसलमानों ने उसे ‘फव्वारा’ कहते हुए ज्ञानवापी पर अपना दावा दृढ करने का प्रयत्न किया; परंतु वास्तविकता जग के सामने है । अब न्यायालय इस पर निर्णय देनेवाला है, तब वह अधिक स्पष्ट होगा; परंतु शिवलिंग को ‘फव्वारा’ कहने से हिन्दुओं की भावनाएं आहत हो रही हैं । इतना ही नहीं, अपितु उस शिवलिंग को पानी का फव्वारा दर्शाने के लिए उसमें छिद्र बनाए गए । उसका अवमान किया गया । जिस स्थान पर यह शिवलिंग मिला, उस स्थान का उपयोग मुसलमानों ने ‘वजू’ करने के लिए अर्थात नमाज से पहले हाथ-पैर धोना, इतना ही नहीं, अपितु कुल्ला करने के लिए किया था । यह हिन्दुओं का भारी अपमान है, इस पर कोई ध्यान नहीं देता ।
इसके विपरीत मुसलमानों द्वारा सतत ‘फव्वारा’ ‘फव्वारा’ कहते हुए उसका समर्थन किया जा रहा है और यही बात भाजप की प्रवक्ता नूपुर शर्मा को वृत्तवाहिनी पर हुए चर्चासत्र में बोलते हुए खटकी और उन्होंने इस्लाम के कुछ सूत्र स्पष्टरूप से प्रस्तुत किए । इसमें मुहम्मद पैगंबर के विषय में इतिहास में उल्लेखित सूत्र का ही समावेश था; ऐसा होते हुए भी पैगंबर का अनादर होने का शोर मचाते हुए मुसलमानों ने उनके विरोध में कुछ स्थान पर परिवाद प्रविष्ट किया, तो कानपुर में दंगे करवाए । इसी प्रकरण में इस्लामी देश कतार, इरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं कुवैत ने वहां के भारतीय राजदूतों को बुलाकर फटकारा । संभवत: इस कारण जागतिक स्तर पर देश की ‘धर्मनिरपेक्ष प्रतिमा’ संजोने के लिए भाजप ने नूपुर शर्मा को पक्ष से निलंबित कर दिया । उपरोक्त इस्लामी देशों को स्पष्टीकरण देते हुए भारत ने स्पष्ट किया कि ‘वे’ विधान भारत सरकार की भूमिका के अंतर्गत नहीं आते । दूसरी ओर नूपुर शर्मा ने , यह स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने किस परिस्थिति में वैसा वक्तव्य किया था । आगे उन्होंने ऐसा भी कहा, ‘‘उससे यदि किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं हों, तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं ।’’ तत्पश्चात जब यह विषय आगे बढा, तब ही नूपुर शर्मा ने पुलिस में परिवाद किया कि ‘मेरे विधानों का ‘वीडियो’ जानबूझकर संकलित कर ‘अल्ट न्यूज’ के सहसंस्थापक मुहम्मद जुबैर द्वारा प्रसारित किया गया है ।’ इससे ध्यान में आता है कि नूपुर शर्मा को लक्ष्य बनाया जा रहा है । उसी समय यदि पुलिस ने मुहम्मद जुबैर पर कार्रवाई कर प्रसारित होनेवाला वीडियो रोका होता, तो देशभर में जो भी तनाव निर्माण करने का प्रयत्न किया जा रहा है, उसे पहले ही रोका जा सकता था । ‘अब भी क्या पुलिस ‘अल्ट न्यूज’के मुहम्मद जुबैर पर कार्यवाही करनेवाली है ?’, इसपर प्रश्नचिन्ह ही है । इतना ही नहीं, अपितु इस वीडियो के उपरांत नूपुर शर्मा पर बलात्कार करने, उन्हें एवं उनके कुटुंबियों को मार डालने की धममियां दी गईं; परंतु इस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई । इसका उत्तर कौन देगा ?
कार्यवाही हिन्दुओं पर होती है; मुसलमानों पर नहीं !
नूपुर शर्मा जैसों के हाथ-पैर तोडने की, आंखें फोडने की भाषा करनेवाले मौलाना मुफ्ती नदीम अख्तर के विरोध में राजस्थान की काँग्रेस सरकार ने नोटिस भेजने के अतिरिक्त कोई भी कार्यवाही नहीं की; परंतु कुछ माह पूर्व उत्तराखंड की भाजपा की सरकार द्वारा यति नरसिंहानंद, हिन्दू धर्म में घर वापसी करनेवाले आज के जितेंद्र त्यागी अर्थात पहले के वसीम रिजवी आदि पर धर्मसंसद में कथित प्रक्षोभक भाषण करने पर अपराध प्रविष्ट किया । इसमें त्यागी को बंदी बनाया और कुछ माह कारागृह में रखा । इससे ध्यान में आता है कि ‘काँग्रेस मुसलमानों का समर्थन करती है, जबकि भाजप हिन्दुओं पर तत्काल कार्यवाही !’
इस्लामी देशों से भारत कब उत्तर मांगेगा ?
कतार, कुवैत एवं इरान, इन देशों ने नूपुर शर्मा के विधान पर जैसे भारत से प्रश्न किया, उसीप्रकार भारत ने गत ८ वर्षाें में जिन इस्लामी देशों में हिन्दुओं पर, हिन्दुओं के धर्म पर आघात हुए और हो रहे हैं, उन देशों से कितनी बार प्रश्न पूछा, इसका भी विचार होना चाहिए । ‘इस्लामी देश उनकी धार्मिक श्रद्धाओं के विषय में जितने सतर्क एवं कठोर होते हैं’ उतनी भारत सरकार बहुसंख्य हिन्दुओं की धार्मिक श्रद्धाओं के अवमान के संदर्भ में अथवा हिन्दुओं पर अत्याचारों के संदर्भ में सतर्क एवं कठोर क्यों नहीं होती ?’, ऐसा प्रश्न हिन्दुओं एवं उनके संगठनों के मन में निर्माण हो रहा है । पाक एवं बांग्लादेश में निरंतर हिन्दू एवं हिन्दुओं की धार्मिक श्रद्धाओं पर आघात हो रहे हैं । इसे रोकने के लिए भारत ने कुछ किया हो, ऐसा दिखाई नहीं दिया और इसके आगे भी भारत कुछ करेगा, इसकी भी निश्चिति हिन्दुओं को नहीं लगती, इस वास्तविकता को नकारा नहीं जा सकता । म.फि. हुसेन ने हिन्दुओं के देवी-देवताओं की ही नहीं, अपितु भारतामाता के भी अश्लील चित्र बनाए । तदुपरांत हिन्दुओं के आंदोलन के कारण वे कतार भाग गए । कतार ने उन्हें आश्रय दिया और फिर वहीं उनकी मृत्यु हो गई । इस अवसर पर कतार ने हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं का विचार नहीं किया और न ही उस समय की काँग्रेस सरकार ने कतार के राजदूतों को प्रश्न किया । नूपुर शर्मा प्रकरण से भारत की हिन्दुओं विषयी अंतर्गत नीति एवं परराष्ट्र नीति का विचार करने की आवश्यकता निर्माण हो गई है ।
म.फि. हुसेन को आश्रय देनेवाले कतार ने हिन्दुओं की भावनाओं का मान नहीं रखा, यह ध्यान में रखें !