गोवा के विध्वंसित मंदिरों के संबंध में न्यायालयीन संघर्ष हेतु प्रमाण देने का आवाहन !
देशस्तर पर राममंदिर, काशी, मथुरा, कुतुबमीनार, ताजमहल और भोजशाला ही नहीं, अपितु हजाराें मंदिर मुगल, पुर्तगाली आदि आक्रमणकारियों ने तोडे हैं । भारत स्वतंत्र हो गया; परंतु हिन्दुओं के प्राचीन धार्मिकस्थल विदेशी दास्यता में वैसे ही रह गए । इसलिए आक्रमणकारियों द्वारा विध्वंसित मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए देशव्यापी अभियान प्रारंभ करने का संकल्प समस्त मंदिर संगठन, भक्त, पुरोहित और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा लिया गया । इसमें गोवा के विध्वंसित मंदिरों से संबंधित प्रमाण मिलने पर उनके लिए न्यायालयीन संघर्ष किया जाएगा, ऐसा निश्चय गोवा के दशम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के द्वितीय दिन अधिवक्ताओं द्वारा किया गया । इस संघर्ष के लिए गोमंतक की जनता उनके पास उपलब्ध प्रमाण हिन्दू जनजागृति समिति को उपलब्ध करवाए, ऐसा आवाहन भी श्री रामनाथ देवस्थान के विद्याधिराज सभागृह में (फोंडा, गोवा) आयोजित पत्रकार परिषद में किया गया ।
इस अवसर पर व्यासपीठ पर सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, वाराणसी के अधिवक्ता मदन मोहन यादव, गोवा के संगठन ‘भारत माता की जय’ के संघचालक श्री. सुभाष वेलिंगकर, ‘गोवा मंदिर महासंघ’ के सचिव श्री. जयेश थळी और हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे उपस्थित थे । इस समय अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि, मंदिरों का पुनर्निर्माण करने के इस अभियान में आगे दिए सूत्र हमारी खोज के केंद्रबिंदु रहेंगे । इसमें विवादित स्थल का पौराणिक महत्त्व, नष्ट करने की ऐतिहासिक साक्ष, अभियोग का इतिहास, प्रमाण और वैधानिक आधार आदि का अध्ययन किया जाएगा । खोज के अंत में मंदिर तोडे गए हैं, यह सिद्ध होने पर उनके जीर्णाेद्धार के लिए न्यायालयीन संघर्ष प्रारंभ करेंगे । वर्तमान में अनेक विवादित स्थल पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के नियंत्रण में हैं तथा उक्त विभाग अधिनियम 1958 धारा 16 के विरुद्ध कार्य कर रहा है । एक सच्चा हिन्दू होने के नाते ऐसे मंदिरों का पुनर्निमाण कर भारत की सांस्कृतिक परंपरा पुनर्स्थापित करने की शपथ ले रहे हैं ।
इस समय ‘भारत माता की जय’ संगठन के गोवा राज्य संघचालक श्री. सुभाष वेलिंगकर ने कहा कि, पुर्तगालियों के समय एक हजार से अधिक मंदिर उद्धवस्त किए गए । इनमें से दो मंदिर चर्च के आक्रमण से बचे हुए हैं । इनमें से एक वरेण्यपुरी (वेर्णा) तथा दूसरा श्री विजयादुर्गा देवी का मंदिर है । यह मंदिर राज्य पुरातत्व विभाग के अंतर्गत संरक्षित घोषित किया गया है, तब भी चर्च के माध्यम से इस मंदिर की भूमि हडपने का षड्यंत्र चल रहा है । इस आक्रमण के विरोध में हिन्दू श्रद्धालुओं को एकत्रित आकर संघर्ष करना पडेगा । इस अधिवेशन का सीधा प्रक्षेपण हिन्दू जनजागृति समिति के जालस्थल HinduJagruti.org द्वारा तथा‘यू-ट्यूब’ चैनल ‘HinduJagruti’ द्वारा भी किया जानेवाला है ।