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वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनावों के पूर्व केंद्रशासन सर्व हिन्दूविरोधी कानून रहित करे – पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैन, सर्वाेच्च न्यायालय

बाएं से वैदेही ताम्‍हण, श्रीमती नन्‍दा डगला, पू. नीलेश सिंगबाळ, दुर्गेश परूळकर एवं मार्गदर्शन करते हुए पू. (अधिवक्‍ता) हरि शंकर जैन

रामनाथी – देश में कृषि कानून, नागरिकत्व सुधार कनून के विरोध में आंदोलन हो सकता है, तो हिन्दुत्व के लिए आंदोलन क्यों नहीं हो सकता ? हिन्दुत्व के लिए देश को हिलाकर रख देना चाहिए । अब हिन्दुओं को यह दिखा देना चाहिए, ‘हिन्दूहित का लिए काम करनेवाले ही देश पर राज्य कर सकेंगे !’ ‘देश में कौनसा कानून होना चाहिए’, यह हिन्दुओं को निर्धारित करना चाहिए । वर्ष २०२४ की लोकसभा चुनावों के पूर्व केंद्र सरकार को सर्व हिन्दूविरोधी कानून रहित कर देना चाहिए, ऐसा आवाहन सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता (पू.) हरि शंकर जैन ने किया । दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के तृतीय दिन ‘हिन्दू सुरक्षा’ इस उद्बोधन सत्र में ‘हिन्दू राष्ट्र का ध्येय पूर्ण करने के लिए अपने कर्तव्य’ इस विषय पर वे बोल रहे थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर मुंबई (महाराष्ट्र) के ‘आफ्टरनून वॉईस’ इस समाचारपत्र की प्रमुख संपादिका डॉ. वैदेही ताम्हण, हरियाणा की भाजप की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की सदस्या श्रीमती नंदा डगला, महाराष्ट्र के ठाणे के हिन्दुत्वनिष्ट व्याख्याता एवं लेखक श्री. दुर्गेश परूळकर एवं हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळजी उपस्थित थे ।

इस अवसर पर पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैन बोले,

१. अयोध्या के श्रीराममंदिर की नींव, यह धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की नींव है । श्रीराम का भव्य मंदिर २ वर्षाें में पूर्ण होगा; उसीप्रकार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य भी आगे बढेगा ।

२. ईसाई एवं मुसलमानों द्वारा नियंत्रण में लिए हुए मंदिर हमें उनसे पुन: वापस लेने हैं । ताजमहल, वास्तव में तेजोमहालय है । शहाजहां ने जयसिंह से ताजमहाल लिया था । ताजमहल, यह तेजोमहालय होने का प्रतिज्ञापत्र केंद्र सरकारने सर्वाेच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया है ।

३. १६ मई २०२२ को कथित ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में (नमाज के पहले हाथ-पैर धोने का स्थान) शिवलिंग प्रकट हुआ । भगवान शिव प्रकट हुए, वह क्षण अवस्मरणीय था । भगवान शिव के पीछे शक्ति है । ज्ञानवापी में प्रकट हुए महादेव हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का आवाहन कर रहे हैं ।

हिन्दू ईसाई धर्मप्रसारकों के विद्यालयों का बहिष्कार करें !

अन्य किसी में जागृति करने से पूर्व सर्वप्रथम हिन्दुओं में ही जागृति करना आवश्यक है । ईसाई धर्मप्रसारकों के विद्यालय में ९८ प्रतिशत विद्यार्थी हिन्दू हैं । केजी से ईसाई विद्यालयों में जानेवाले हिन्दुओं के बच्चों पर कौनसे संस्कार होंगे ? हिन्दू माता-पिता ही स्वयं अपने बच्चों को केक काटना, हिन्दी फिल्मी गीतों पर नाचना आदि बातें सिखा रहे हैं । इस विषय में हिन्दुओं को ही आत्मचिंतन करना आवश्यक है । ईसाई धर्मप्रसारकों के विद्यालयों का हिन्दुओं को ही बहिष्कार करना चाहिए !

भारत में ईशनिंदा के विरोध में कानून होना चाहिए !

प्रत्येक देश की एक संस्कृति एवं सभ्यता होती है । भारत की सभ्यता एवं संस्कृति लाखों वर्षाें पूर्व की है । श्रीराम, श्रीकृष्ण, शिव एवं शक्ति, इनका अस्तित्व इस देश के कण-कण में है । वे इस देश की आत्मा हैं । भारतभूमि में जन्म लिए प्रत्येक व्यक्ति को उनका आदर करना ही होगा ।

हिन्दू विरोधी घटनाओं को उत्तर देने के लिए हिन्दुओं को प्रखर हिन्दुतत्व का पोषण करना आवश्यक ! – डॉ. (सुश्री) वैदेही ताम्हण, संपादिका, ‘आफ्टरनून वॉयस’, मुंबई

रामनाथी (गोवा) – मैं हिन्दू हूं, इस पर मुझे गर्व है । आज के समय में विरोधियों द्वारा हिन्दुओं की संस्कृति पर वैचारिक और शैक्षणिक स्तरों पर आक्रमण किए जा रहे हैं । राष्ट्रवादी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने ‘हिन्दू आतंकवादी हैं’, तो कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी यांनी, ‘जो भगवा पहनता है, वह आतंकवादी है’, ऐसा वक्तव्य दिया था । ‘बहुसंख्यक होते हुए भी हिन्दू ऐसी बातों का विरोध क्यों नहीं करते ?’, इस पर भी चिंतन किया जाना चाहिए । ऐसी घटनाओं को उत्तर देने के लिए हमें प्रखर हिंदुत्व का पोषण करना होगा। भाजपा की प्रवक्ता नुपूर शर्मा के सामाजिक व्यासपीठ पर बोलने पर उनके दल ने प्रतिबंध लगाया । जिस सरकार को हिन्दुओं ने पूर्ण बहुमत से चुना, उस सरकार के द्वारा ऐसा आदेश निकाला जाना दुर्भाग्यजनक है, ऐसा प्रतिपादन मुंबई के ‘आफ्टरनून वॉयस’ इस समाचारपत्र की संपादिक डॉ. (सुश्री) वैदेही ताम्हण ने किया ।

रामनाथी (गोवा) में चल रहे दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के दूसरे उद्बोधन सत्र में १४ जून को ‘हिन्दुओं की सुरक्षा’ इस विषय पर राष्ट्रीय कार्यसमिती सदस्य तथा हरियाणा की भाजपा महिला प्रकोष्ठ की राज्य प्रभारी श्रीमती नंदा डगला, ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’के संरक्षक पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैनजी, हिन्दुत्वनिष्ठ व्याख्याता तथा लेखक श्री. दुर्गेश परूळेकर ने अपने विचार व्यक्त किए । इस अवसर पर डॉ. (सुश्री) वैदेही ताम्हण ने ‘हिन्दुओं पर हो रहे गुप्त आक्रमण को कैसे पहचाने ?’, इस विषय पर उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों का उद्बोधन किया ।

हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातों के विषय में लेखन प्रकाशित करने का साहस मुझ में है !

लेखनी में बहुत शक्ति होती है । हिन्दुओं को ‘फेसबुक’ और अन्य विभिन्न प्रसारमाध्यमों पर हिन्दू धर्म और उस पर हो रहे आघातों के लिए व्यक्त होना चाहिए । आपकी लेखनी में लिखने का साहस हो, तो एक समाचारपत्र की संपादक के रूप में उस लेखन को प्रसिद्ध करने का साहस मुझ में है ।

हिन्दू राष्ट्र के कार्य में महिलाओं का योगदान बडा रहेगा ! श्रीमती नंदा डगला, राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य तथा राज्य प्रभारी, भाजपा महिला प्रकोष्ठ, हरियाणा

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में महिलाओं का सहभाग’ इस विषय पर बोलती हुई श्रीमती नंदा डगला ने कहा, ‘‘जिजामाता ने छत्रपति शिवाजी महाराज को संस्कार दिए । उन्होंने ही हिन्दू साम्राज्य की स्थापना करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज दिए । उस समय पति लडाई के लिए जाता था, तब पत्नी पति को तिलक लगाकर ‘लडाई में विजयी होकर लौटिए’, ऐसा बोलती थी । इसलिए हिन्दू राष्ट्र के कार्य में महिलाओं का बडा योगदान रहेगा । महिलाओं के बिना हिन्दू राष्ट्र की स्थापना नहीं हो सकेगी ।’’ राजस्थान की सनातन संस्था की साधिका डॉ. स्वाती मोदी ने श्रीमती नंदा डगला को सम्मानित किया ।

श्रीमती नंदा डगला ने आगे कहा कि,

१. भारत में पहले से ही प्रत्येक कार्य में महिलाओं का बडा योगदान रहा है । सभ्यता, संस्कृति और हिन्दुत्व की दृष्टि से स्त्रियों का बडा महत्त्व है । एक ओर महिलाओं को शिक्षा लेने का अधिकार नहीं है, ऐसा विषवमन किया जाता है, परंतु वैदिक काल से महिलाएं शिक्षा ले रही हैं, साथ ही उनकी पूजा भी की जाती है । आंदोलनों में भी महिलाओं का बडा योगदान है । महिलाओं में परंपरा, वेशभूषा, एकता, सभ्यता आदि गुण दिखाई देते हैं ।

२. धर्माच्या आधार पर देश के टुकडे हो चुके हैं, तब भी भारत में अन्य पंथियों के लोग रहते हैं; परंतु यदि अन्य पंथियों के लोग हिन्दू परिवारों और उनके घरों में हस्तक्षेप कर रहे हों, तो उन्हें ‘जैसे का वैसा’ उत्तर देना चाहिए ।

३. हम भाजपा की पूर्व नेता नुपूर शर्मा के साथ हैं । उन्हें गिरफ्तार किया गया, तो अनेक महिलाएं अपनी गिरफ्तारियां देंगी । नुपूर शर्मा तो ‘एक नारी सब पे भारी’ हैं । हिन्दूद्वेषी दिवंगत एम्.एफ्. हुसैन हिन्दू देवताओं का अनादर कर विदेश भाग गया । उस समय उससे क्षमा मांगने की किसी ने मांग नहीं की; परंतु नुपूर शर्मा को क्षमा मांगने के लिए कहा जाता है । यह अनुचित है ।

‘हिन्दू राष्ट्रवाद’ ही धर्मनिरपेक्षता का दूसरा नाम है ! – दुर्गेश परूळेकर, हिन्दुत्वनिष्ठ व्याख्याता तथा लेखक, ठाणे, महाराष्ट्र

‘धर्मनिरपेक्षता शब्द का विरोध कीजिए ! इस विषय पर बोलते हुए श्री. दुर्गेश परूळेकर ने कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत नरसिंह राव ने वर्ष १९९२ में एक भाषण में कहा था कि कौनसा राजनीतिक दल धर्मनिरपेक्ष है और कौनसा नहीं है, यह सुनिश्चित करने का कोई साधन नहीं है । उसके कारण धर्मनिरपेक्षता का निर्णय उचित ढंग से नहीं लिया जा सकता । उसके उपरांत भी किसी भी वामपंथी ने ‘धर्मनिरपेक्षता’के विषय पर चर्चा करने का प्रयास नहीं किया । आज विश्व में हिन्दू राष्ट्रवाद पर चर्चा की जाती है । मूलतः ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’ ही धर्मनिरपेक्षता का दूसरा नाम है । राष्ट्र के वैभवशाली इतिहास का सपना देखनेवाला राष्ट्रवाद समर्थनीय है । इसलिए राष्ट्रवाद को बीमारी समझकर उसके लिए औषधि ढूंढने का प्रयास करना मूर्खतापूर्ण है । ऐसा होते हुए भी राष्ट्रवाद का विरोध किया जा रहा है । विश्व में उदारमतवाद, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षतावादी विचारधारा आज का फैशन बन गया है । राष्ट्रवाद की प्रेरणा को दबाने का अर्थ अनेक संकटों को आमंत्रण देने जैसा है ।

विश्व में ‘धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवाद’ का स्वीकार करना वर्जित माना गया है ! – दुर्गेश परूळेकर
२२ जुलाई १९९४ के ‘इंडिपेंडेंट’ वार्तापत्र में प्रकाशित एक लेख के एक परिच्छेद में कहा गया था कि ‘टांजानिया फॉर टांजानियन्स ओन्ली’ (टांजानिया केवल टांजानिया के नागरिकों के लिए है) आज के समय में टांजानिया में यह नारा फैल रहा है । ‘हिन्दुस्थान हिन्दुओं का है’, इस नारे पर आक्रोश करनेवालों ने उस समय मौन धारण किया था । इससे यह ध्यान में आता है कि विश्व में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवाद का स्वीकार करना वर्जित माना गया है ।

अधिवेशन के इस सत्र की कुछ झलकियां…

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