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कोल्हापुरके रामणवाडीमें दूधकी नहीं, गोमूत्रकी डेरी !

वैशाख शुक्ल १२ , कलियुग वर्ष ५११५ 
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) : देशी गौएं अधिक संख्यामें थीं, अतः उस समय गोमूत्र तथा गोबरका महत्त्व किसीको भी नहीं था; किंतु अब गौओंकी संख्या न्यून हो गई है एवं गोमूत्रके महत्त्वसे लोग परिचित हुए हैं । इसलिए अब रामणवाडी (तहसील राधानगरी)  गांवमें देशी गायके गोमूत्रकी डेरी खुले आम आरंभ हुई है । जिस प्रकार डेरीमें केटलीद्वारा दूध वितरित किया जाता है, उसी प्रकार केटलीसे ही प्रतिदिन गोमूत्र  इकट्ठे किए जाते हैं । इस गांवमें ८० देशी गाएं हैं । आठ रुपए प्रतिलिटरकी दरसे गोमूत्रका विक्रय किया जाता है । आयुर्वेदिक साबुन तथा अन्य औषधि उत्पाद करने हेतु गोमूत्रको कोल्हापुरसे हरिद्वार  भेजा जाता है । 
१. गोमूत्रमें अंतर्निहित औषधीय शक्ति  वैज्ञानिक स्तरपर भी स्पष्ट होनेके कारण अब गोमूत्रका उपयोग अधिक मात्रामें औषधके लिए किया जाता है । तज्ञोद्वारा बताया जाता है कि गोमूत्रमें मूलसे रोगका  उच्चाटन करनेकी शक्ति  है ।
२. यहांके वेणुमाधुरी न्यासद्वारा गौओंके संवर्धन हेतु प्रयोग किए जा रहे हैं । प्रायोगिक तत्त्वपर रामणवाडी गांवमें ग्रामवासियोंके सहयोगसे ८० गौओंका पालन किया गया । गायके दूधद्वारा उत्पन्न, साथ ही गौओंसे उत्पन्न सांडकी वृद्धि कर उनके आधारपर उन्होंने गांवमें तेलका कोल्हू चालू किया । यंत्रके माध्यमसे उत्पन्न होनेवाले तेलके घटकमें तथा सांडद्वारा कोल्हूसे निकाले गए तेलके घटकमें भेद होनेके कारण इस तेलकी मांग अधिक मात्रामें  है । 
३. ग्रामवासी प्रातःकी पहली धारका गोमूत्र  इकट्ठा करते हैं । प्रतिदिन एक गायद्वारा साधारण गोमूत्रके माध्यमसे ११ से १२ रुपएकी प्राप्ति होती है । इस गोमूत्रसे आगे अमूल्य औषध बनाया जाता है । 
४. देशी गायके सूखे गोबरका जंगलीगोबर छह रुपए किलोकी दरसे विक्रय किया जाता है । अधिकांश धार्मिक विधि एवं जंतुनाशक धुएंके लिए दो रुपएका एक छोटासा टुकडा, इस दरसे यह जंगली गोबर विक्रय किया जाता है । इस प्रकार दावा किया जाता है कि गायके सूखे गोबरके टुकडेपर एक चम्मच गायका घी तथा चावलके कुछ दाने डालकर अग्नि प्रज्वलित करनेसे धुएंद्वारा अनेक हानिकारक जंतु नष्ट होते हैं । 
५. वेणुमाधुरी न्यासके श्री. राहुल देशपांडे एवं रामणवाडीके सर्वश्री युवराज पाटिल, मारुति पाटिल तथा दत्ता पाटिलद्वारा इसका नेतृत्व किया गया है । वेणुमाधुरी न्यासका यह दावा है कि जिनके पास गाय है, उनके गोमूत्रका विक्रय करनेकी बात छोड दीजिए, किंतु उनके द्वारा व्यक्तिगत जीवनमें गोमूत्रका विभिन्न अंगोंसे उपयोग किया गया, तो भी वह अमूल्य होगा । यह एक नए प्रयोगका  शुभारंभ है । 
६. वर्तमानमें गोधन,  गौओंके इन विभिन्न घटकोंपर आधारित औषधका दुकानमें विक्रय किया जाता है । एक लिटर अर्क किया गया गोमूत्र १२५ रुपएमें, २०० मि.ली. गोमूत्र ३५ रुपएमें तथा पूजा विधि हेतु छोटी बोतलमें १० मि.ली. गोमूत्र १० रुपएमें विक्रय किया जाता है । अनाजपर होनेवाले कीडे नष्ट करनेके लिए गोमूत्रकी मांग अधिक मात्रामें होने लगी है । 
७. गोमूत्र तथा गायके गोबरकी पूरी वैज्ञानिक  जानकारी श्री. राहुल देशपांडे (९३७२२०८१०८) के पास बिनामूल्य उपलब्ध है । (संदर्भ : दैनिक सकाळ)
 गोमूत्रका महत्त्व जानकर उसका उपयोग चालू करना, यह भी सामान्य बात नहीं है !

प्राचीन कालसे ही गोमूत्र औषधि शक्ति प्रदान करनेवाला घटक है; किंतु उसके महत्त्वके संदर्भमें जानकारी प्राप्त करनेकी इच्छा किसीको भी  नहीं है । देश-विदेशमें शोधप्रबंध, आंतरजालपर होनेवाली जानकारी चर्चामें आने लगी । तत्पश्चात  अधिक स्पष्टरूपसे  गोमूत्रका महत्त्व ज्ञात होने लगा । तबतक गौओंकी संख्या न्यून होती गई । गाय अर्थात दूध एवं उसका दूध देना बंद हुआ नहीं कि उसे पशुवधगृहमें भेजनेकी सिद्धता करना, यह निश्चित था । किंतु वर्तमानमें रामणवाडी ग्रामवासियोंद्वारा अधिक संख्यामें गौओंका पालन कर उसके विभिन्न अंगोंसे होनेवाले महत्त्वको स्पष्टरूपसे सभी लोगोंके सामने लाया गया है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 
 

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