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संविधान से ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द हटाने की मांग !

द्वितीय ‘हिन्दू राष्ट्र संसद’ में प्रति वर्ष जनप्रतिनिधियों का मूल्यांकन करने का प्रस्ताव !

मंच पर विराजमान सभापति – देहली के ‘भारतमाता परिवार’के महासचिव एवं सर्वोच्‍च न्‍यायालय के अधिवक्‍ता उमेश शर्मा, २. उपसभापति – हिन्दू जनजागृति समिति के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता श्री. रमेश शिंदे ३. सचिव – सनातन संस्‍था के प्रवक्‍ता श्री. चेतन राजहंस

पश्चिमी संविधान बनाते समय यदि ईसाई बहुल देश में बाइबिल का आधार लेकर और इस्लामिक देश में कुरान-हदीस का आधार लेकर संविधान बनाया जाता हो, तो भारतीय संविधान बनाते समय वह धर्मनिरपेक्ष क्यों ? भारतीय संविधान में ‘पंथ’ (रिलीजन) और ‘धर्म’ की निश्चित व्याख्या स्पष्ट की जाए । वर्ष 1976 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल में संविधान में 42 वां संशोधन कर ‘पंथनिरपेक्ष’ (सेक्युलर) और ‘समाजवादी’ (सोशलिस्ट) शब्द संविधान में जोडे । यह कृत्य असंवैधानिक होने के कारण ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द संविधान से हटाए जाएं, ऐसी मांग गोवा में हो रहे दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन की द्वितीय ‘हिन्दू राष्ट्र संसद’ में की गई । राजनीतिक दल चुनाव के समय घोषणापत्र घोषित करते हैं, उन घोषणापत्रों को निर्वाचन आयोग द्वारा वैधानिक कागजातों की श्रेणी दी जाए तथा उनमें दिए गए आश्वासनों पर क्रियान्वयन हो रहा है कि नहीं, यह देखा जाए । उसके साथ ही प्रत्येक जनप्रतिनिधि के काम का मूल्यांकन उनके मतदारसंघ के नागरिकों द्वारा प्रतिवर्ष किया जाए, ऐसा प्रस्ताव भी इस समय पारित किया गया । ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का संवैधानिक मार्ग’, इस विषय पर आयोजित संसद में सभापति के रूप में सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता उमेश शर्मा, उपसभापति के रूप में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे और सचिव के रूप में सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने काम देखा ।

हिन्दू राष्ट्र संसद में पारित किए गए प्रस्ताव !

भारत में घुसपैठिए रोहिंग्या तथा बांग्लादेशी मुसलमानों की संख्या बडी मात्रा में बढ गई है । उन्हें जाली मतदान पत्र और जाली आधारकार्ड बनाकर देनेवालों पर देशद्रोह का अपराध प्रविष्ट किया जाए, भारतीय संसद में ‘लव जिहाद’ विरोधी राष्ट्रव्यापी कानून बनाया जाए तथा जो हिन्दू युवतियां मुसलमानों से निकाह करेंगी, एक वर्ष पश्चात उनकी महिला आयोग के सामने साक्ष्य हो तथा उन पर धर्मांतरण का दबाव तो नहीं बनाया जाता, उनका शारीरिक शोषण तो नहीं किया जाता, इसकी वास्तविकता जानी जाए, वर्ष 1991 का ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ निरस्त करने की दृष्टि से प्रयत्न किया जाए, जिस प्रकार ‘मदरसा शिक्षा बोर्ड’ है, उसी प्रकार ‘गुरुकुल शिक्षा बोर्ड’ स्थापित किया जाए और उसके शिक्षा विभाग प्रमुख वेद, संस्कृत भाषा में पारंगत हो, इन प्रस्तावों सहित अन्य प्रस्ताव भी इस समय पारित किए गए । इस अधिवेशन का सीधा प्रसारण ‘यू-ट्यूब’ चैनल ‘HinduJagruti’ द्वारा भी किया जा रहा है ।

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