रामनाथी – मंदिर संस्कृति की रक्षा के लिए हमें अभी बहुत कार्य करना है । मंदिर चैतन्य के स्त्रोत हैं । आज मस्जिदों पर लगाए गए अवैध भोंपुओं के विरोध के रूप में ही क्यों न हो; परंतु मंदिरों में हनुमान चालिसा के पाठ होने लगे हैं । अनेक मंदिरों में महाआरती की जा रही है । मंदिर सामूहिक उपासना के केंंद्र बनें; इसके लिए संगठितरूप से प्रयास करने होंगे । मंदिर उपासना केंद्र बनें, तो उस माध्यम से ही समाज का आध्यात्मिक बल भी बढेगा । मंदिर टिके रहे, तभी जाकर धर्म टिका रहेगा, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्यों के समन्वयक श्री. सुनील घनवट ने किया । उन्होंने अधिवेशन के पांचवे दिन के दूसरे सत्र में आयोजित ‘मंदिरों के न्यासियों और पुजारियों को संगठित करना’, इस विषय पर अनुभवकथन किया ।
ग्रामरक्षादल का गठन कर युवकों में राष्ट्र एवं धर्म रक्षा की भावना जागृत करना आवश्यक ! – प्रशांत जुवेकर, जलगांव जिला समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
आज की स्थिति में हिन्दुओं को अत्याचारों का सामना करना पड रहा है । छत्रपति शिवाजी महाराज ने सैनिकों को संगठित कर हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की, हमें उस प्रकार से रणनीति बनाकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्य करना पडेगा । उसके लिए प्रत्येक गांव में ग्रामरक्षादल का गठन कर युवक-युवतियों में राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा की भावना जागृत करना आवश्यक है । उसके लिए गांव के सभी युवक-युवतियों को स्वरक्षा प्रशिक्षण देना होगा । गांव पर कोई संकट आता है, तो ग्रामरक्षादल स्वयं के साथ गांव की रक्षा करेगा । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से निःशुल्क स्वरक्षा प्रशिक्षण दिया जाता है । मंदिर हिन्दुओं के शक्तिस्थल हैं । ‘धर्मांध पहले मंदिरों पर आक्रमण करते हैं’, इसे ध्यान मं लेकर मंदिरों की रक्षा का नियोजन भी ग्रामरक्षादल को करना चा हिए । ‘मैं हिन्दू हूं और राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है’, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के जलगांव जिला समन्वयक श्री. प्रशांत जुवेकर ने किया । ‘ग्रामरक्षादल की स्थापना की आवश्यकता’ इस विषय पर श्री. जुवेकर ने मार्गदर्शन किया ।
‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ यह युवकों का ‘करिअर’ होना चाहिए ! – हर्षद खानविलकर, युवा संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति
वर्तमान में युवक-युवती स्वयं के ‘करिअर’ के (भविष्य बनाने के) पीछे पडे हैं; परंतु आज राष्ट्र का ‘करिअर’ (भविष्य) संकट में है । राष्ट्र का ‘करिअर’ संकट में हो, तो हमारा ‘करिअर’ कैसे बनेगा ? छत्रपती शिवाजी महाराज, स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी ने छोटी आयु में ही राष्ट्र और धर्म कार्य के लिए जीवन समर्पित किया । उन्हें स्वयं का ‘करिअर’ नहीं बनाना था क्या ? उनका आदर्श रखकर ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ यही युवकों का ‘करिअर’ होना चाहिए । धर्मकार्य में योगदान देनेवाले युवक निर्माण होने चाहिए, इसके लिए हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘हिन्दू राष्ट्रवीर’ निर्माण करने का कार्य आरंभ है । हिन्दुओं को स्वसंरक्षण प्रशिक्षण देने की व्यवस्था नहीं है । इसलिए हिन्दुओं की बुरी स्थिति है । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा युवकों को नि:शुल्क स्वसंरक्षण प्रशिक्षण दिया जा रहा है । वर्तमान स्थिति में महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा में ९५ स्वसंरक्षण प्रशिक्षणवर्ग लिए जा रहे हैं । इनका लाभ ४०० से अधिक युवक-युवती ले रहे हैं । शौर्य को शक्ति का बल मिले, इसके लिए समिति की ओर से अनेक स्थानों पर ‘बलोपासना सप्ताह’ आयोजित किए गए । इसमें बलोपासना के साथ ही श्रीराम और हनुमान का नामस्मरण किया गया । इसमें ५८० से अधिक युवक-युवती सहभागी हुए थे । कालानुसार घर घर में हिन्दू राष्ट्र का विचार पहुंचाने का कार्य हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा किया जा रहा है, यह जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के युवा संगठक श्री. हर्षद खानविलकर ने दी । ‘शौर्य जागरण उपक्रम के माध्यम से युवकों के संगठन के लिए प्रयास’ विषय पर वह बोल रहे थे ।
आपातकाल में हिन्दू समाज के सर्व घटकों को एकत्र आकर हिन्दुओं की रक्षा के लिए कार्य करना चाहिए ! – अभय वर्तक, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था
आगे आनेवाले भीषण आपातकाल में हिन्दुत्वनिष्ठ एवं साधकों को सात्त्विक व्यक्तियों को बचाने का प्रमुख कार्य होगा । आपत्ति में फंसे सज्जन हिन्दुओं की सर्वाेपरी सहायता करें । यह संपूर्ण कार्य किसी भी एक संगठन अथवा व्यक्ति का नहीं है । आपातकाल में हिन्दू समाज के सभी घटकों को एकत्र आकर हिन्दुओं की रक्षा के लिए यह कार्य करना होगा । ऐसा करना समाजऋण चुकाने समान है और इससे हमारी साधना भी होनेवाली है । आपातकाल में होनेवाली इस भीषण हानि के कारण कुछ लोग दु:खी होंगे; तो कुछ सोचेंगे, ‘‘इस हानि को रोकने के लिए क्या ईश्वर कुछ नहीं करेगा ?’ हमारे ध्यान में आना चाहिए कि यह आपातकाल जगभर में ईश्वरीय राज्य स्थापना होने की दृष्टि से ईश्वर द्वारा ही लाई गई योजना है । पृथ्वी के रज-तम का भार हलका कर सत्त्वगुण की प्रबलता निर्माण करने के लिए ईश्वर द्वारा बनाई उपाययोजना है; अर्थात सज्जन लोगों की दृष्टि से यह आपातकाल इष्टापत्ति समान होगा । इसलिए ‘आपातकाल योग्य है अथवा अयोग्य ?’, इसका विचार न करते हुए ‘इस आपातकाल का सामना एवं हिन्दूरक्षा का कार्य कर, ईश्वरकृपा संपादन करने का अवसर है’, ऐसा विचार हिन्दू समाज को करना चाहिए ! ऐसा प्रतिपादन सनातन संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने यहां किया । वे ‘सनातन संस्था का आवाहन ! : हिन्दू सामज आपातकाल की तैयारी करना’ इस विषय पर बोल रहे थे ।