‘श्री शनैश्चर देवस्थान’ के न्यासी मंडल द्वारा श्रद्धालुओं की होनेवाली लूट रोकें
शनिशिंगणापुर स्थित ‘श्री शनैश्चर देवस्थान ट्रस्ट’ के न्यासी मंडल ने 500 रुपयों का दान देनेवाले श्रद्धालुओं को चबूतरे पर जाकर तैलाभिषेक करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है । अर्थात जो श्रद्धालु 500 रुपयों की दान रसीद नहीं कटवाएंगे, वे तैलाभिषेक की विधि नहीं कर पाएंगे । इस प्रकार न्यासी मंडल गरीब श्रद्धालुओं का शनिदेव पर अभिषेक करने का संवैधानिक अधिकार छीन लेने का प्रयास कर रहा है । यह एक प्रकार से श्रद्धालुओं की लूट है । यह निर्णय श्रद्धालुओं के धार्मिक अधिकारों पर आघात करनेवाला तथा गरीब और धनवान श्रद्धालुओं में भेदभाव निर्माण करनेवाला है । ईश्वर और श्रद्धालुओं में बाधा निर्माण करने का देवस्थान समिति को क्या अधिकार है ? धार्मिक नहीं, अपितु आर्थिक हित के निर्णय लेनेवालों पर क्या कभी शनिदेव की कृपादृष्टि होगी ? शनिदेवता पर तैलाभिषेक करने के लिए 500 रुपए शुल्क लेने का निर्णय न्यासी मंडल तत्काल निरस्त करे, अन्यथा इसका विरोध किया जाएगा, ऐसी चेतावनी हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने दी है ।
भाविकांची आर्थिक लुबाडणूक करून, धार्मिक अधिकारांवर गदा आणणारा,तसेच गरीब आणि श्रीमंत यांमध्ये भेदभाव निर्माण करणारा चौथऱ्यावर जाऊन तैलाभिषेक करण्यासाठी 500 रुपये शुल्क आकारण्याचा निर्णय ‘श्री शनैश्चर देवस्थान ट्रस्ट’च्या विश्वस्त मंडळाने निर्णय त्वरित मागे घ्यावा-@HinduJagrutiOrg pic.twitter.com/IztK9lLZVh
— Sunil Ghanwat (@SG_HJS) June 21, 2022
मंदिरों की पवित्रता बनाए रखने के स्थान पर उन्हें व्यवसाय का केंद्र बनाना कहां तक उचित है ? कोरोना प्रारंभ होने से पूर्व चबूतरे पर जाने के लिए शुल्क नहीं लिया जाता था, तो अचानक यह निर्णय कैसे लिया गया ? देवता की पूजा-अर्चना अथवा विधि करने के संबंध में देवस्थान के जो नियम बनाए गए हैं, उनमें मनमानी परिवर्तित करने का अधिकार किसी को नहीं है । न्यासी मंडल का यह अन्यायकारक निर्णय देवस्थान के नियमों के अनुरूप नहीं है, ऐसा ग्रामीण और पंचक्रोशी के श्रद्धालुओं का कहना है ।
देवस्थान समिति के न्यासी मंडल ने सभी को चबूतरे पर जाकर तैलाभिषेक करने की यद्यपि अनुमति दी है, तथापि शनिशिंगणापुर के पंचक्रोशी की हजारों महिलाएं आज भी चबूतरे के नीचे से ही देवदर्शन की परंपरा का श्रद्धापूर्वक पालन करती हैं । इसीका आदर्श अन्य महिलाओं को लेकर इन धार्मिक प्रथा-परंपराओं को संजोना चाहिए, ऐसा भी श्री. सुनील घनवट ने कहा ।