अल्पसंख्यक समुदाय के ‘तुष्टिकरण’ करने तथा वामपंथी विचारधारा थोंपने का आरोप
बेंगलुरु – कर्नाटक में विद्यालय की पाठ्यपुस्तकों का भगवाकरण करने का आरोप लगाने वाले विपक्ष पर निशाना साधते हुए भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि, पूर्ववर्ती सिद्दरमैया सरकार ने महज अल्पसंख्यक समुदाय के ‘‘तुष्टिकरण’’ और कम्युनिस्ट विचारधारा थोंपने के लिए किताबों में विभिन्न बदलाव किए थे। इस दावे की पुष्टि करते हुए सरकार ने कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए संशोधनों को दिखाने के लिए 200 पृष्ठों की किताब भी जारी की, जिसमें पाठ्यपुस्तकों में हिंदू देवताओं और ऐतिहासिक आंकडों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर. अशोक ने पत्रकारों से कहा, ‘‘कांग्रेस सरकारों के दौरान लायी गई पाठ्यपुस्तकों में राज्य में हिंदू देवताओं और हिंदू शासकों को कमतर दिखाया गया। विजयनगर के शासकों, मैसूर राजाओं वडियारों, राष्ट्र कवियों कुवेम्पु, बेंगलुरु के संस्थापक केम्पेगौड़ा और सर एम विश्वेश्वरैया पर अध्यायों को या तो हटा दिया गया या उन पर सामग्री कम कर दी गयी।’’
मंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘जब सिद्दरमैया सरकार सत्ता में थी तो कई साहित्यकारों के लेखन को हटा दिया गया लेकिन किसी ने उन पर सवाल नहीं उठाया। पूर्ववर्ती सरकार ने टीपू सुल्तान, मोहम्मद गजनी, हैदर अली और मुगलों का उदात्तीकरण किया।’’
उन्होंने दावा किया कि टीपू, हैदर अली, गजनी और मुगलों पर अध्यायों को अब हटा दिया गया है और स्वतंत्रता सेनानियों तथा मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज और केम्पेगौडा जैसी ऐतिहासिक व्यक्तियों को पाठ्यपुस्तकों में प्रमुखता दी जा रही है।
आर. अशोक ने पूर्व पाठ्यपुस्तक संशोधन समिति की ‘‘गुप्त एजेंडे’’के साथ काम करने और हिंदू देवताओं पर अध्यायों को ‘हटाने’ के लिए निंदा की।
उन्होंने कहा कि, छात्रों में राष्ट्रवाद की भावना जगाने के लिए भाजपा सरकार ने स्वामी विवेकानंद, आरएसएस संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार, असम के अहोम वंश, कश्मीर के करकोटा वंश, पृथ्वीराज चौहान और छत्रपति शिवाजी महाराज पर अध्याय जोडे हैं। पाठ्यपुस्तकों में भारतीय उत्सवों और योग की महत्ता पर भी अध्याय हैं।
स्रोत : नवभारत टाइम्स