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हिंदुओ, आपकी धर्मश्रद्धासे खेलनेवालोंका संगठित होकर विरोध करें ! – प. पू. आसारामजी बापू

धर्मपर होनेवाले आघात दूर करनेका कार्य सनातन कर रहा है !

        नई मुंबई (महाराष्ट्र), २४ मार्च (वृत्तसंस्था) –  नेरुलमें (सीवुडमें) प.पू. आसारामजी बापूका २१ एवं २२ मार्चको सत्संग आयोजित किया गया था । इस सत्संगमें प.पू. आसारामजी बापूद्वारा आवाहन किया गया कि हिंदु धर्मके विरोधमें (अंध)श्रद्धानिर्मूलन कानून बना कर हिंदुओंकी धर्मश्रद्धासे खेलनेका प्रकार महाराष्ट्र शासनद्वारा आरंभ किया गया है । हिंदु कहलानेवाले सभी राज नीतिक दल एवं संगठन, संगठित होकर इसका कडा विरोध करें । उनके सत्संगमें १ लाखसे अधिक भक्तगण उपस्थित थे । उन्होंने अपने सत्संगमें सनातन संस्थाका गौरव करते हुए कहा कि सनातन धर्मपर हो रहे आघात दूर करनेका कार्य कर रहा है । इस अवसरपर सनातन संस्थाके साधकोंने प.पू. आसारामजी बापूकी भेंट लेकर उन्हें कानूनके विषयमें विस्तृत जानकारी दी । तत्पश्चात उन्होंने सत्संगमें कानूनके विषयमें अपने विचार प्रस्तुत किए । 

सनातन धर्मपर होनेवाले आघात दूर करनेका कार्य  कर रहा है !

        आगे प.पू. बापूजीने सत्संगमें कहा कि, ‘‘अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून करनेवाली ‘कांग्रेस दलश्रेष्ठी’ पोपके  संकेतपर चलनेवाली हैं । हिंदुओंके ही पैसोंसे हिंदुविरोधी कानून बनाए जा रहे हैं । यह सभी हिंदुओंका दमन करनेके लिए चल रहा है । जिस प्रकार प्राचीनकालमें कालीकंस, रावण आदि अपनी महत्त्वाकांक्षाओंकी पूर्तिके लिए प्रजाको कष्ट देते थे, वैसा ही यह प्रकार है; परंतु यहां वैसा होना असंभव है । यह ध्यान रखें कि जो हिंदुओंकी श्रद्धाओंको नष्ट करने अथवा हिंदुओंका मुंह बंद करनेका प्रयास करता है, उसका सर्वनाश होता है । प्रयागका नाम इलाहाबाद रखा गया, तब भी कोई इलाहाबाद नहीं कहता, अपितु प्रयाग ही कहते हैं । हरिद्वारका नाम हड्डिद्वार रखा गया; परंतु सभी हरिद्वार कहते हैं । सनातनवाले धर्मपर होनेवाले आघात दूर करनेका कार्य कर रहे हैं । वे तो यह करेंगे ही, परंतु हमें भी मिल-जुलकर इस कार्यमें यथाशक्ति सम्मिलित होना चाहिए । यदि कानून लागू किया गया, तो महाराष्ट्रमें शासन डांवाडोल होगा !’’

 श्रद्धाको अंधश्रद्धा कहकर लोगोंकी श्रद्धा न विचलित करें ।

        अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिवाले स्वय : श्रद्धाके बिना जीवनयापन नहीं कर सकते । विज्ञानद्वारा किए गए विविध संशोधन भी एक प्रकारसे श्रद्धा ही हैं । इसलिए किसीकी श्रद्धापर आंच लानेवाला कानून महाराष्ट्रमें करनेका प्रयास कर अपनी ही बुद्धिका दिवाला न निकालें । केंद्र शासन पहले ही डांवाडोल हो गया है । यदि यह कानून लागू किया गया, तो महाराष्ट्र शासन भी डांवाडोल होगा । मुझे हिंदु जनजागृति समिति एवं सनातन संस्थाके साधकोंद्वारा जानकारी मिलनेपर मेरे ध्यानमें आया कि महाराष्ट्रमें ऐसा कानून हो रहा है । यह सुनकर मैं व्यथित हुआ हूं । कल भगवानका नाम लेनेपर अंनिसवाले कहेंगे कि यह भी अंधश्रद्धा है ।

कानूनके पीछे विदेशी शक्तियोंका हाथ !

        विदेशी शक्तियोंद्वारा ऐसा कानून बनानेका षडयंत्र रचा जा रहा है । यदि यह कानून बना, तो हिंदुओंकी अत्यधिक हानि होगी । जब विदेशमें ऐसा कानून नहीं है, तो भारतमें वह बनानेका आग्रह क्यों किया जा रहा है ? जो लोग यह कानून लाना चाहते हैं, वे विदेशके चमचे हैं एवं भारतमें साधु-संतोंके प्रति समाजमें द्वेष एवं घृणा फैला रहे हैं । इस प्रकारका कानून बनाना अर्थात हम स्वतंत्र हैं अथवा परतंत्र, ऐसा प्रश्न निर्माण हो गया है । यह कानून बनानेके लिए धर्र्मांतर करनेवालोंका दबाव है; परंतु यदि उनका कहना मानकर यह कानून बनानेका प्रयास किया गया, तो अपनी कुर्सीकी सुरक्षाका पहले विचार करें ।’’ 

        इस अवसरपर प्रतिनिधिमंडलमें हिंदु जनजागृति समितिके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकर, राष्ट्रीय वारकरी सेनाके ह.भ.प. बापू महाराज रावकर, सनातन संस्थाके श्री. सागर चोपदार आदि उपस्थित थे । प.पू. बापूके दर्शन लेते समय करते समय समितिकी ओरसे प.पू. बापूजीको अंधश्रद्धा निर्मूलन कानूनके विरोधमें निवेदन, ‘हिंदु आस्थापर कुठाराघात प्रस्तावित अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून’ नामक ग्रंथ, अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिके विषयमें प्रमाण तथा ‘हिंदु नववर्षकी हार्दिक शुभकामनाओंका पत्र’ दिया गया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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