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यदि हिंदुत्वके कार्यको साधनाकी जोड दी जाए, तो निश्चित सफल होंगे – सुनील घनवट

वैशाख शुक्ल १४ , कलियुग वर्ष ५११५

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<br />उपस्थित व्यक्तियोंको संबोधित<br />करते समय श्री. सुनील घनवट
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<p><strong>मुंबई –</strong> अमरवीर नाथुराम गोडसेकी जयंतीके अवसरपर `हिंदू वैरीअर्स संगठन’ द्वारा घाटकोपरमें एक सभा आयोजित की गई थी । इस सभामें प्रमुख अतिथिके रूपमें बोलते समय हिंदू जनजागृति समितिके महाराष्ट्र राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवटने प्रतिपादित किया कि हिंदुत्वका कार्य करते समय यदि प्रत्येक हिंदूद्वारा साधना की जाए, तो हम निश्चित रूपसे सफल होंगे । मार्गदर्शन करते समय हिंदूनिष्ठोंको धर्माचरण एवं धर्मशिक्षाका महत्त्व बताया गया ।</p>
<p>श्री. घनवटने आगे कहा कि धर्मके बलिदानकी सिद्धता होनी चाहिए; परंतु जीवित रहकर भी धर्मका कार्य करना संभव है, इसके साक्षात उदाहरण हैं छत्रपति शिवाजी महाराज ! अपनेमें विद्यमान ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेजकी सहायतासे महाराजने हिंदवी स्वराज्य स्थापित किया । इसलिए हिंदू राष्ट्र स्थापित करनेके कार्यको केवल साधना एवं धर्माचरणका जोड दिया जाए, तो हम निश्चित रूपसे सफल होंगे ।</p>
<p>इस अवसरपर छत्रपति शिवाजी महाराजकी प्रतिमाको पुष्पमाला अर्पण की गई । व्यासपीठपर हिंदू वैरीअर्सके श्री. विखिल वाखोडकर, श्री. निखिल पोळ, हिंदू महासभाके श्री. स्वप्निल जागुष्टे आदि प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे । श्री. जागुष्टेने स्व. नाथुराम गोडसेके इच्छापत्रका वाचन कर कार्यक्रमका आरंभ किया । श्री. केतन माईनने इस कार्यक्रमका सूत्रसंचालन किया । इस कार्यक्रमको हिंदवी स्वराज्य सेना, हिंदू राष्ट्र सेना तथा विविध हिंदूनिष्ठ संगठनोंके कार्यकर्ता उपस्थित थे ।</p>
<p><strong>स्त्रोत : <a href=दैनिक सनातन प्रभात

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