- अभिभावकों द्वारा कठोरता दर्शाने पर पाठशाला के न्यासी ने की क्षमायाचना !
- छात्राओं को एलर्जी न हो; इसलिए मेहंदी लगाकर न आने का नियम !
बरेली (उत्तरप्रदेश): यहां ईसाई मिशनरियों की ‘सेंट ज्यूस स्कूल’ पाठशाला में मेहंदी लगाकर आई साढेतीन वर्ष आयु की एक छात्रा को भला-बुरा सुनाकर दंड देने से यहां विवाद निर्माण हुआ । इस प्रकरण में छात्रा के अभिभावक के शाला में जाने पर न्यासियों ने उनसे क्षमा मांगी ।
१. आयुष अग्रवाल की बेटी की शाला की दैनंदिनी (डायरी) में शिक्षक द्वारा लिखा गया था कि वह मेहंदी लगाकर विद्यालय में आई थी । पुनः इस प्रकार का कृत्य नहीं होना चाहिए । इस विषय में अभिभावकों द्वारा बेटी से पूछने पर उसने कहा कि शिक्षिका ने उसे डांटा आर दंडित किया ।
२. तदुपरांत आयुष अग्रवाल, तथा स्थानीय विधायक संजीव अग्रवाल के भाई प्रदीप अग्रवाल और कुछ अभिभावक पाठशाला पहुंचे । उन्होंने न्यासी राबर्ट से भेंट की । तब राबर्ट ने कहा कि छात्राओं को एलर्जी न हो; इसलिए हमने इस संदर्भ में नियम बनाया है; परंतु अभिभावकों को यह कारण नहीं जंचा । उनका विरोध करने पर राबर्ट ने उनसे क्षमा मांगी ।
३. यहां की ‘रुहेलखंड अभिभावक सेवा समिति’ के अध्यक्ष विशाल मेहरोत्रा ने कहा कि यहां त्योहारों के उपलक्ष्य में लडकियों को मेहंदी लगाई गई थी । इसमें बच्ची की कोई भूल न होते हुए भी उसको दंड दिया गया । हमने उनके विरुद्ध शिक्षा अधिकारी से परिवाद किया है ।
संपादकीय भूमिका
एलर्जी के नाम पर हिन्दुओं की परंपराआ का विरोध करने की ईसाई मिशनरी पाठशालाओं की यही पद्धति है, हिन्दू इतने भी मूर्ख नहीं कि यह उनकी समझ में न आए !
संदर्भ : सनातन प्रभात