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हुतात्मा राजगुरु की उपेक्षित जन्मस्थली के लिए दोषी पुरातत्त्व विभाग के अधिकारियों का निलंबन करें !

हिन्दू जनजागृति समिति की मांग

देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देनेवाले हुतात्मा शिवराम हरि राजगुरु का जन्मस्थल बाडा, पुणे जिले के राजगुरुनगर में है । यह बाडे को 18 वर्ष पूर्व ‘राष्ट्रीय स्मारक’ के रूप में घोषित किया गया था । इस ऐतिहासिक बाडे को सुरक्षा एवं संवर्धन करने का दायित्व पुरातत्त्व विभाग के पास होते हुए भी 27 जून 2022 को बाडे के प्रवेशद्वार का कुछ भाग गिर गया । एक ओर स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है तो दूसरी ओर हुतात्मा के स्मारक की उपेक्षा एवं अवहेलना हो रही है । इसलिए पुरातत्व विभाग एवं जिला प्रशासन के प्रति देशप्रेमी नागरिकों में रोष फैल गया है ।

देश के लिए बलिदान देनेवाले हुतात्मा राजगुरु के जन्मस्थली को अनेक देशप्रेमी नागरिक प्रतिदिन भेंट देते हैं। आजकल वर्षा के दिन हैं । पत्थर-मिट्टी से निर्मित वास्तु में पानी अवशोषित होने से, उस प्रवेशद्वार की शेष भीत (दीवार) भी धराशायी होने की गहरी संभावना है। इसलिए देशभक्तों के लिए हुतात्मा राजगुरु के बाडे में आना-जाना, दैनंदिन उपयोग, अभिवादन करना इत्यादि, अब धोकादायी बन गया है । वास्तव में स्वतंत्रता-अमृतमहोत्सव के चलते इस जन्मस्थल की भली-भांति मरम्मत कर उसका संवर्धन करना आवश्यक था, परंतु वह तो हुआ नहीं, इसके विपरीत वह ढह रहा है । इसके लिए पुरातत्त्व विभाग को भारी मात्रा में निधि मिलते हुए भी पुरातत्त्व विभाग वास्तव में कर क्या रहा है ? ऐसा प्रश्न निर्माण होता है । पुरातत्त्व विभाग एवं जिला प्रशासन ने संपूर्ण वास्तु की अनदेखी की है । इस प्रकरण की सखोल जांच होनी चाहिए, ऐसी हमारी मांग है ।

इस मूल बाडे के विविध भागों की मालकी अलग-अलग लोगों के पास है । इनमें से एक ने अपनी मालकी की ‘हेरिटेज’ इमारत गिराई, जिससे बाडे का प्रवेशद्वार कमजोर हो गया । बाडे की बाईं ओर की दुमंजली इमारत गिराए जाने के पश्चात प्रशासन ने उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की। ‘यह इमारत यद्यपि निजी मालकी की थी, तब भी वह स्मारक के नियंत्रित क्षेत्र में आती है। इसलिए जिलाधिकारी को इस संदर्भ में कार्रवाई करनी चाहिए’, ऐसा पत्र देने के पश्चात भी उस पर कार्रवाई नहीं हुई, ऐसा स्थानीय लोगों का कहना है ।

यह देखते हुए हिन्दू जनजागृति समिति ने मांग की है कि, हुतात्मा राजगुरु की ऐतिहासिक वास्तु की ओर अनदेखी करनेवाले पुरातत्त्व विभाग के दोषी अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाए, इसके साथ ही ‘हेरिटेज’ इमारत गिरानेवालों पर, साथ ही इस संदर्भ में परिवाद (शिकायत) की अनदेखी करनेवाले अधिकारियों पर भी कठोर कार्रवाई होनी चाहिए । इस वास्तु की अब और अधिक हानि न हो, इस दृष्टि से तत्काल आगे की उपाययोजना की जाए ।

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