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कानून का दबदबा चाहिए !

पोप ने संपूर्ण जगत को ईसाई बनाने का बीडा उठाया है एवं जिहादियों को ‘खुरासान’ (जग इस्लाममय) निर्माण करना है । भारत इस्लाममय करने हेतु उन्होंने वर्ष २०४७ तक का ध्येय रखा है । ‘हालेलुया’के माध्यम से कर्करोग ठीक होने का आश्वासन देना, प्रार्थना सभाओं में विविध रोगियों का भूमि पर एकदम से गिरना और ईसामसीह का आशीर्वाद पाना, द्रवपदार्थ देकर रोग ठीक करना आदि ईसाइयों द्वारा चलाई गई अंधश्रद्धाओं को अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून लागू हुआ देखने नहीं मिलता । आदिवासियों को पैसे देना, उनके भगवान को निरुपयोगी बताना आदि उदाहरणों से धोखाधडी होना सिद्ध होने के पश्चात भी ईसाइयों को दंडित किए जाने के उदाहरण अत्यल्प हैं । ईसाई विद्यालयों द्वारा प्रार्थना, विविध नियम आदि माध्यमों सेभारी मात्रा में विद्यार्थियों का मानसिक परिवर्तन एवं होनेवाले धर्मपरिवर्तन इतने छुपे हैं कि उसे किसी कानून की चौखट में बिठाना संभव नहीं । हिन्दुओं में हिन्दू धर्म के प्रति निर्माण किया जा रहा द्वेष कैसे प्रमाणित करेंगे ? इन सभी बातों पर नियंत्रण लाने के लिए कहीं तो ‘कानून की धाक’ यह एक सबल आधार होगा । पनवेल जैसे स्थान पर केवल २ सहस्र के आसपास ईसाई होते हुए भी ८ से भी अधिक चर्च क्यों हैं ? यह बात हिन्दुओं की समझ में भी नहीं आती । उल्हासनगर में ५ सहस्र से भी अधिक सिंधियों के ईसाई हो जाने की बात जब एकाएक सामने आती है, तब तक सिर से पानी निकल चुका होता है अर्थात बहुत देर हो चुकी होती है । पालघर जिले में हुई हिन्दू साधुओं की हत्या के पीछे साम्यवादी एवं धर्मांतर करनेवालों के सुराग मिलने लगते हैं, तब बात काफी आगे निकल चुकी होती है । पूर्वांचल में गत ७ दशकों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता धर्मांतर रोकने के लिए कार्य कर रहे हैं । उनके विदारक अनुभव धर्मांतर के प्रमाण देने के लिए पर्याप्त हैं । भारतभर में हिन्दुओं का वंशविच्छेद करनेवाले ‘लव जिहाद’के माध्यम से कितनी सहस्र लडकियों का बलपूर्वक धर्मांतर हुआ होगा, इसकी गिनती ही नहीं हो सकती । मुंबई की प्रत्येक लोकलगाडी में चिपकाए गए विज्ञापनों के माध्यम से कितने ही बंगाली बाबाओं ने हिन्दू लडकियों एवं महिलाओं को फांसकर, धर्मांतर के लिए बाध्य किया है । ‘डॉ. जाकीर नाईक के ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन’ नामक संस्था के बंदी बनाए गए कार्यकर्ताओं ने ८०० लोगों को फांसकर एवं प्रलोभन देकर धर्मांतर किया था’, ऐसे आतंकवादविरोधी पथक के एक अन्वेषण में सामने आया था ।

ओडिशा में सुंदरगढ के तंगरदीही गांव में ईसाई धर्मप्रसारक के प्रवेश पर बंदी लगा दी है । हिन्दुओं के धर्मपरिवर्तन की ईसाई धर्मप्रचारक की चाल विफल करने के लिए गांववासियों ने यह निर्णय लिया है । देश के प्रत्येक राज्य के प्रत्येक गांव के हिन्दुत्वनिष्ठों को एकत्र आकर कार्य करना चाहिए; परंतु यह करने हेतु बल मिलने के लिए हिन्दुओं को धर्मांतरविरोधी कानून होने की आवश्यकता लग रही है । मिजोरम, ईसाई राज्य होने की बात वहां के मुख्यमंत्री ने बताई थी । वर्ष २०१९ में वहां की सरकार स्थापित होने पर बाइबल के वचन कहने के पश्चात मंत्रियों की शपथविधि हुई । इससे ‘धर्मांतर अर्थात राष्ट्रांतर है !´ वीर सावरकर के ये वचन वास्तविकता में बदलते देखने मिलते हैं । इससे धर्मांतरविरोधी कानून की देश एवं राज्यस्तर पर की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘शीघ्र से शीघ्र यह कानून बने’, ऐसी हिन्दुओं की अपेक्षा है !

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