कोल्हापुर – वर्षभर रासायनिक कारखाने, घरों से गंदा पानी एवं कूडे-कचरे से होनेवाली पर्यावरण की हानि रोकने के लिए कुछ किया नहीं जाता; परंतु वही महापालिका प्रशासन एवं पर्यावरणवादी वर्ष में एक बार ही आनेवाले गणेशोत्सव को प्रदूषण के लिए उत्तरदायी ठहराते हैं । अनेक स्थानों पर श्री गणेशमूर्ति का बलपूर्वक दान अथवा करोडों रुपए खर्च कर बनाए गए कृत्रिम हौद में विसर्जन करने के लिए सामान्य गणेशभक्तों को बाध्य किया जाता है । चीनी कारखानों का पानी पंचगंगा नदी में छोडने से सहस्रों मछलियों के मरने की घटना इन २ वर्षों में हुई है । इस संदर्भ में प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने कोई भी ठोस कृति नहीं की । इचलकरंजी में गणेश मंडलों को ‘पंचगंगा नदी में ही श्री गणेशमूर्ति विसर्जन के लिए अनुमति दी जाए’, ऐसी ठोस मांग की है । इसलिए कोल्हापुर में भी प्रशासन ने ‘कृत्रिम तालाब’ एवं ‘गणेशमूर्तिदान’ जैसी धर्मबाह्य संकल्पना न कार्यन्वित करते हुए पंचगंगा नदी में श्री गणेशमूर्ति विसर्जन को अनुमति दें, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने पत्रकार परिषद में की ।
इस प्रसंग में ‘बाल हनुमान तरुण मंडल’के उपाध्यक्ष श्री. सुनील चौगुले, शिवसेना के कोल्हापुर जिलाउपप्रमुख श्री. संभाजीराव भोकरे, हिन्दू जनजागृति समिति के कोल्हापुर जिला समन्वयक श्री. किरण दुसे एवं श्री. आदित्य शास्त्री उपस्थित थे । इस मांग को शिवसेना करवीर तालुकाप्रमुख श्री. राजू यादव, इसके साथ ही हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. शरद माळी ने अपना समर्थन दिया है ।
इस अवसर पर श्री. रमेश शिंदे ने कहा,
१. श्री गणेशमूर्ति विसर्जन के उपरांत नदी कितनी प्रदूषित होती है, इसका ब्योरा हमने प्रदूषण नियंत्रण मंडल से अनेक बार मांगा है; परंतु आज तक किसी ने नहीं दिया ।
२. कोल्हापुर महापालिका पानी का प्रदूषण रोकने के लिए असफल रही है । इसलिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने अब तक महापालिका को तीन बार दंडित किया है । इसलिए जो स्वयं प्रदूषण रोकने में असफल रही है, वह ऐसा शोर न मचाए कि ‘श्री गणेशमूर्ति विसर्जन से प्रदूषण होता है ।’
इस प्रसंग में शिवसेना के उपजिलाप्रमुख श्री. संभाजीराव भोकरे बोले, ‘‘गत १५ वर्ष हम नदी प्रदूषण के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं । अनेक कारखानों का दूषित पानी नदी में छोडा जा रहा है । इस पानी के कारण नागरिकों का स्वास्थ्य संकट में पडता है । इस पानी में जानवरों को स्नान कराने से उन्हें भी त्वचा की समस्या निर्माण होती हैं । ये बातें हमने अनेक बार प्रदूषण नियंत्रण मंडल के ध्यान में लाकर दीं हैं; परंतु एक बार भी उसने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है । इसके साथ ही ‘श्री गणेशमूर्ति शाडू मिट्टी की हो’, इसलिए कुम्हारों से मिलकर हमने प्रयत्न किए । इसके साथ ही श्रद्धालुओं को भी हम उसके लिए प्रवृत्त करते हैं । केवल हिन्दुओं के त्योहार आने पर ही अनेकों को प्रदूषण का स्मरण होता है । जो मूर्ति श्रद्धालु विसर्जन के लिए ले जाते हैं, कुछ स्थानों पर मूर्ति उनसे बलपूर्वक छीनने की घटनाएं भी हुई हैं । प्रशासन जो श्री गणेशमूर्ति दान स्वरूप लेते हैं वे उनका आगे क्या करते हैं, इस पर भी बडा प्रश्नचिन्ह है ।’’