ज्येष्ठ कृष्ण ७ , कलियुग वर्ष ५११५
वक्ता : श्री. सूर्यकांत केळकर, राष्ट्रीय संयोजक, भारत रक्षा मंच.
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सारणी
- १. भारतमें प्रतिदिन औसतन ५००० धर्मांध बांग्लादेशियोंकी घुसपैठ और उसकी नियोजनबद्धता !
- २. बांग्लादेशी घुसपैठियोंका ‘लैंड जिहाद’ !
- ३. बंगाल और असम इन राज्योंमें कार्यरत बांग्लादेशी घुसपैठियोंका ‘ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’ यह नया दल अर्थात आधुनिक ‘मुस्लिम लीग’ ! दृष्टिसे हिंदू राष्ट्र !
- ४. तीन करोड बांग्लादेशी घुसपैठियोंका बिना युद्धके भारतकी भूमिपर अधिकार प्राप्त करना, भारतीयोंकी हार है !
- ५. अपराधी प्रवृत्तिके तथा मादक पदार्थ, स्त्रियों और अवैध हथियारोंकी तस्करी करनेवाले बांग्लादेशी घुसपैठिए !
- ६. बांग्लादेशियोंको भारतमें घुसानेका पाकिस्तानका षड्यंत्र और उसमें भारतके धर्मनिरपेक्ष लोगोंका सहयोग
- ७. पाकिस्तानके एजेंट मुल्ला-मौलवियोंका धर्मांधोंके परिवार-नियोजन करनेका विरोध
- ८. १० सहस्र परिवार-नियोजन शल्यक्रियाओंमें केवल ३ धर्मांधोंकी शल्यक्रिया (नसबंदी)
- ९. बांग्लादेशी घुसपैठियोंको रोकनेके लिए कठोर नियम बनानेकी आवश्यकता !
- १०. घुसपैठकी रोकथाम हेतु नियम बनानेसे पूर्व बांग्लादेशी घुसपैठियोंका वर्गीकरण करना आवश्यक !
- ११. हिंदू प्रखर हो, तो ही देश बलवान बनेगा !
१. भारतमें प्रतिदिन औसतन ५००० धर्मांध बांग्लादेशियोंकी घुसपैठ और उसकी नियोजनबद्धता !
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‘बिना कुछ किए भारतकी भूमि जीती जा सकती है । भारतमें पहलेसे ही घुसपैठ जारी है, जो आज भी चल रही है । विशेषतः बांग्लादेशके निर्माणके उपरांत धर्मांधोंकी ही घुसपैठ हो रही है । प्रतिदिन औसतन ५,००० धर्मांध भारतमें आते हैं । शासकीय आंकडोंके अनुसार ३ करोड घुसपैठिए भारतमें आ चुके हैं । ‘प्रतिदिन नियमितरूपसे औसतन ५,००० धर्मांध भारतमें आते होंगे’, ऐसा विचार करें तो यह षड्यंत्र है । अपनी इच्छासे आनेवाले ५, १०, ५० हो सकते हैं । पाकिस्तान, ‘आई.एस्.आई.’ अथवा ‘सिमी’, ‘हुजी’, ‘जमात-ए-इस्लामी’ इत्यादि संस्थाओंके माध्यमसे धर्मांधोंको भारतमें भेजा जा रहा है । मैं मुंबईका रहनेवाला हूं । कोई लडका मुंबईमें अभिनेता-अभिनेत्रियोंसे मिलनेके लिए घरसे भाग आता है; परंतु मुंबईमें उसकी रहनेकी तथा खान-पानकी कोई व्यवस्था नहीं हो पाती । इस कारण वह पुनः घर लौट जाता है । प्रतिदिन ५००० बांग्लादेशी भारतमें आकर यहीं रह जाते हैं । इसका अर्थ भारतमें उनकी व्यवस्था भी योजनाबद्धरूपसे हो रही है ! इसके लिए भी ये सारे जिहादी संगठन लगे हुए हैं ।
२. बांग्लादेशी घुसपैठियोंका ‘लैंड जिहाद’ !
बांग्लादेशी घुसपैठिए ‘सिमी’, ‘हुजी’, ‘जमात-ए-इस्लामी’, इन जिहादी संगठनोंके माध्यमसे भारतमें आते हैं । यहां आनेके पश्चात उन्हें कहां जाना है, किस मस्जिदमें रहना है, कौनसा व्यवसाय करना है, किस सरकारी भूमिपर कब्जा करना है, इसका मार्गदर्शन मिलता है । सामान्यतः सीमारेखाके समीप, नदीके किनारे अथवा जंगलोंसे सटी शासकीय भूमिपर वे अवैध रूपसे अधिकार जताते हैं । १५-२० झोपडियां खडी की जाती हैं । धीरे-धीरे इनकी संख्या ५०-१०० हो जाती है । असममें यही हो रहा है । १० से २० सहस्र जनसंख्याके गांवके सर्व ओर १५-२० झोपडियां खडी हुर्इं । अब देखते ही देखते उनकी संख्या २०० से ३०० हो गई है । १-२ सहस्र जनसंख्याके गांवके आसपास ३-४ सहस्र बांग्लादेशी घुसपैठियोंकी बस्ती खडी हो गई । संपूर्ण हिंदुस्थानमें यही हो रहा है ।
शहर तथा गांवोंके किसी भी भागमें धर्मांधोंकी संख्या बढने लगती है, तो हिंदू वहांसे पलायन करना आरंभ कर देते हैं । मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तथा उत्तरप्रदेशके अनेक शहरोंमें इसके उदाहरण देखनेको मिलते हैं । असम और बंगाल भी इसके लिए अपवाद नहीं हैं । जैसे-जैसे संख्या बढती है, वैसे-वैसे हिंदू वहांसे पलायन करते हैं । असमके ५ जिले मुस्लिमबहुल हो गए हैं । इस कारण वहां ‘एक धर्मांध राज्य’ निर्माण करनेकी मांग हो रही है ।
३. बंगाल और असम इन राज्योंमें कार्यरत बांग्लादेशी घुसपैठियोंका
‘ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’ यह नया दल अर्थात आधुनिक ‘मुस्लिम लीग’ !
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पहले ये धर्मांध असम तथा बंगालमें कांग्रेसको साथ देते थे । अब वहां ‘ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’ नामक धर्मांधोंका एक नया दल स्थापित हुआ है । सामान्य जनताको पता नहीं चलता । मौलाना बदरुद्दीन अजमल इस दलके नेता हैं । १२६ प्रतिनिधि संख्यावाली असमकी विधानसभामें अब २० विधायक ‘असम युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’के हैं । ये बांग्लादेशी लोगोंद्वारा चुने गए हैं । अगले दो चुनावोंके उपरांत असममें इसी दलके (‘असम युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’के) लोग बडी संख्यामें चुनाव जीतेंगे । अब उनकी शक्ति बढ रही है, जिस कारण गत चुनावमें ‘असम गण परिषद’ तथा भाजपाके मत घट गए । मौलाना बदरुद्दीन अजमलकी ‘मुस्लिम लीग’ जैसी एक संस्था है । इस संस्थाका कहना है कि असममें ‘लुंगी’को गणवेश बनाया जाएगा ।
४. तीन करोड बांग्लादेशी घुसपैठियोंका बिना युद्धके
भारतकी भूमिपर अधिकार प्राप्त करना, भारतीयोंकी हार है !
जो असममें हो रहा है, वही पूरे देशमें हो रहा है । तीन करोड लोगोंने बिना कुछ बताए तथा बिना तोपों, रणगाडोंके (टैंकोंके) हमारे देशकी भूमिपर अधिकार प्राप्त कर लिया है । वे हवामें अथवा वृक्षोंपर नहीं रहते, भूमिपर ही रहते हैं । वे वानर नहीं हैं । ये ३ करोड लोग जिस भूमिपर रह रहे हैं, वह भूमि भारतकी ही है और वास्तवमें वह बांग्लादेशी शासनके हाथोंमें है ।
५. अपराधी प्रवृत्तिके तथा मादक पदार्थ,
स्त्रियों और अवैध हथियारोंकी तस्करी करनेवाले बांग्लादेशी घुसपैठिए !
जिस-जिस स्थानपर बांग्लादेशियोंकी बस्ती है, उस प्रत्येक स्थानपर अपराध बढ रहे हैं । उसकी लिखित जानकारी पुलिससे मिल सकती है । मादक पदार्थ, स्त्रियों एवं अवैध हथियारोंकी तस्करी होती है । कुछ दिन पूर्व उज्जैनमें नकली नोटोंसे भरा एक बांग्लादेशी ट्रक पकडा गया । फरीदाबादमें बच्चोंको चुरानेवाले बांग्लादेशी पकडे गए । इस प्रकारकी अनेक वार्ताएं हम समाचार-पत्रोंमें पढते हैं ।
६. बांग्लादेशियोंको भारतमें घुसानेका
पाकिस्तानका षड्यंत्र और उसमें भारतके धर्मनिरपेक्ष लोगोंका सहयोग
सामान्यतः बांग्लादेशियोंको भारतमें घुसाना, पाकिस्तानका षड्यंत्र है । इस षड्यंत्रमें भारतके धर्मनिरपेक्ष दल तथा नेता सहायता कर रहे हैं । जिन लोगोंको ‘हिंदू’ कहलाना लज्जास्पद लगता है, ऐसे लोग धर्मनिरपेक्ष हैं । ये लोग हिंदू देवताओं तथा साधु-संतोंके विषयमें अपमानजनक बातें करते हैं । हिंदुओंका अपमान करना ही उन्हें पवित्र कर्म लगता है । इन धर्मनिरपेक्ष लोगोंका प्रभाव अधिक होनेके कारण सामान्य हिंदू उनसे डरते हैं । उन्होंने हिंदुओंको विविध जातियोंमें बांटकर रखा है । इन लोगोंको पाकिस्तानने अपना प्रतिनिधि (एजेंट) बनाया है । ये लोग भारतमें घुसपैठ करनेवाले बांग्लादेशी लोगोंका राशनकार्ड बनाकर देते हैं । उनके नाम मतदाता-सूचीमें डाले जाते हैं । संपूर्ण भारतमें इन्हीं लोगोंकी सहायतासे यह सब चल रहा है । सामान्य व्यक्तिका राशनकार्ड नहीं बनता; परंतु असममें बांग्लादेशियोंका सुलभतासे तथा शीघ्रतापूर्वक राशनकार्ड बनता है । बंगालमें कोलकाता, मुर्शिदाबाद एवं हावडमें जबकि असमके धुबडी और गुवाहाटी शहरोंमें दिनदहाडे ये सब होता है । एक जयचंदने मुहम्मद गोरीको बुलाया था, तो आजके धर्मनिरपेक्ष हिंदुओंने ३ करोड धर्मांधोंको भारतमें बुलाया है !
७. पाकिस्तानके एजेंट मुल्ला-मौलवियोंका
धर्मांधोंके परिवार-नियोजन करनेका विरोध
पाकिस्तानने असम और बंगालके मुल्ला-मौलवी जैसे धार्मिक धर्मांधोंको अपने एजेंटके रूपमें चुना है । वे यहांके धर्मांधोंको धर्मके (इस्लामके) नामपर परिवार-नियोजन न करनेका परामर्श देते हैं । किसी भी इस्लामी धर्मग्रंथमें नहीं लिखा कि परिवार-नियोजन करना चाहिए अथवा नहीं; परंतु मुल्ला कहता है कि धर्म परिवार-नियोजन करनेकी अनुमति नहीं देता । ये मुल्ला लोगोंको अनुचित शिक्षा दे रहे हैं ।
हमें समझना चाहिए कि पाकिस्तानने, मुल्लों तथा निधर्मी जयचंदोंकी सहायतासे ‘बांग्लादेशी घुसपैठ’, यह भयंकर षड्यंत्र रचा है ।
८. १० सहस्र परिवार-नियोजन
शल्यक्रियाओंमे केवल ३ धर्मांधोंकी शल्यक्रिया (नसबंदी)
सिंगरौली नामक जनपदको परिवार-नियोजन अभियानमें सर्वाधिक परिवार-नियोजन शल्यक्रिया करनेका प्रमाणपत्र तथा प्रशंसापत्र मिला है । वहां एक माहमें ऐसे १० सहस्र शल्यक्रियाएं हुई हैं और उनमें धर्मांधोंकी केवल ३ शल्यक्रियाएं हैं ! सभी राज्योंमें नसबंदीकी यही स्थिति होगी । हम संपूर्ण जनपदके आंकडे एकत्र कर रहे हैं ।
९. बांग्लादेशी घुसपैठियोंको रोकनेके लिए कठोर नियम बनानेकी आवश्यकता !
ईस्वी २००८ में उदालगुडी इस असमके एक भागमें असमी लोगोंपर बांग्लादेशियोंने आक्रमण किया । १० सहस्र असमी लोग खेमों (तंबुओं), धर्मशालाओं तथा विद्यालयोंमें विस्थापित हुए । बांग्लादेशी घुसपैठियोंने गांव जला दिए, मंदिर तोड दिए, मूर्तियां तोड दीं । इतना उनका साहस है । वे खुलेआम मांग करते हैं कि ‘हम बांग्लादेशी हैं और हमें भूमि चाहिए ।’ इसके लिए कठोर नियम बनाए जानेकी आवश्यकता है ।
१०. घुसपैठकी रोकथाम हेतु नियम बनानेसे
पूर्व बांग्लादेशी घुसपैठियोंका वर्गीकरण करना आवश्यक !
१० अ. बांग्लादेशसे भागकर आए हिंदुओंको ‘धार्मिक शरणार्थी’की
श्रेणीमें रखकर उन्हें दीर्घकालीन निवास हेतु अनुज्ञापत्र देना आवश्यक !
बांग्लादेशसे भारतमें भागकर आए हिंदुओंको भारतमें ‘धार्मिक शरणार्थी’ समझना चाहिए; क्योंकि आसपासके सभी पडोसी देशोंमें धर्मांधता बढ गई है और भारतीय वंशके लोगोंपर अत्याचार हो रहे हैं । इसलिए धार्मिक छलके कारण जो लोग भारतमें आए हैं, उन्हें निकटके पुलिस थानोंमें नाम लिखवाकर दीर्घकालीन निवासपत्र लेना चाहिए । उन्हें धार्मिक शरणार्थीकी श्रेणीमें रखा जाना चाहिए ।
१० आ. श्रमिकके रूपमें आनेवाले बांग्लादेशियोंको केवल कामके लिए अनुज्ञापत्र (विजा) दें !
जो लोग श्रमिकोंके रूपमें आए हैं, वे भी पुलिस थानोंमें वैसी प्रविष्टी करें और उन्हें ६ माहकी अवधि दी जाए । जो काम करनेके लिए आए हैं, उन्हें काम हेतु अनुज्ञापत्र दिया जाए ।
संपूर्ण विश्वमें यही नियम है । भारतका कोई व्यक्ति विदेश जाता है, तो वहां उसे कामका अनुज्ञापत्र लेना पडता है ।
१० इ. बांग्लादेशमें आए जो लोग हिंदू अथवा
श्रमिक नहीं हैं, वे घुसपैठिए हैं, उनपर कार्यवाही करें !
उपरोक्त दो वर्गोंमें वर्गीकृत होनेके पश्चात शासन खोज अभियान चला सकती है कि इन दो वर्गोंके अतिरिक्त जो मिलेगा, ‘वह निश्चितरूपसे घुसपैठिया है और वह भारतका अहित करनेके लिए ही आया है ।’ उसकी संपत्ति तुरंत राजसात की जाए; यहांतक कि उसकेद्वारा पहने गए पादत्राण भी ! इससे उसका यहां रहना कठिन हो जाएगा । ऐसे व्यक्तिको आश्रय अथवा नौकरी देनेवालेको तथा उसकी सहायता करनेवालेको न्यूनतम २ वर्षोंके कारावासका दंड दिया जाए । इन लोगोंकी जानकारी देनेवालोंको पुरस्कृत किया जाए । इसका परिणाम यह होगा कि उनके नाम मतदाता-सूचीसे हटाना संभव होगा । इससे चुनावोंके माध्यमसे भारतके बडे भागपर सत्ता प्राप्त करनेका पाकिस्तानका षड्यंत्र असफल होगा ।
इसके लिए इस प्रकारका नियम बनना आवश्यक है । समान नागरी संहिता भी आवश्यक है ही । इसके लिए हिंदुओंको बोलना आरंभ करना होगा ।
११. हिंदू प्रखर हो, तो ही देश बलवान बनेगा !
हिंदू कुछ कहते नहीं; इसलिए उद्दंडता बढती जा रही है । हिंदू जितना स्पष्ट बोलेंगे, उतनी बात स्पष्ट हो जाएगी । हिंदुओंको कुरान-हदीस इत्यादिका अध्ययन भी करना चाहिए । उसके आधारपर धर्मांधोंसे बात करना आना चाहिए । २० जून २०१० को भोपालमें ‘भारत रक्षा मंच’की स्थापना हुई । उसमें हमने यही बताया कि ‘मुखर हिंदू, प्रखर राष्ट्र !’ हिंदू प्रखर हो, तो देश बलवान बनेगा । यदि आप राष्ट्रभक्त हो, तो मैं बताना चाहूंगा कि ‘राष्ट्रभक्तिका आदर्श बनो !’ शत्रुदेशके घुसपैठियोंको देशसे निकाल बाहर करो ! देशभक्तो, जागो !’