गढप्रेमी संगठन, पुरातत्व विभाग एवं लोकप्रतिनिधि की बैठक में गढ-दुर्गाें के संवर्धन हेतु विविध निर्णय !
गढ-दुर्गाें के रूप में राज्य को मिली इन ऐतिहासिक धरोहरों का जतन करने के लिए प्रयत्नरत सांस्कृतिक कार्यमंत्री का अभिनंदन !
मुंबई – राज्य के विविध गढ-दुर्गाें के संवर्धन करने के विषय में समयमर्यादा निश्चित कर प्रशासन निर्णय ले, इसके साथ ही गढ-दुर्गाें पर हुए अतिक्रमण हटाए जाएं, ऐसा आदेश राज्य के सांस्कृतिक कार्यमंत्री श्री. सुधीर मुनगंटीवार ने प्रशासन को दिया । राज्य के गढ-दुर्गाें का संवर्धन एवं उन पर अतिक्रमण हटाने के संदर्भ में सांस्कृतिक कार्यमंत्री श्री. सुधीर मुनगंटीवार की अध्यक्षता में कुछ ही समय पूर्व गढप्रेमी संगठनों की बैठक बुलाई गई थी । इस अवसर पर गढों के संदर्भ में बैठक के लिए पहल करनेवाले ठाणे जिले के भाजप के विधायक श्री. संजय केळकर, राज्य पुरातत्व विभाग के संचालक श्री. तेजस गर्गे, सांस्कृतिक मंत्रीमहोदय के विशेष कार्यकारी अधिकारी श्री. सुधीर राठोड, राज्य के गढदुर्गाें के संवर्धन का काम करनेवाले ‘सह्याद्री प्रतिष्ठान’के सर्वश्री श्रमिक गोजमगुंडे, यज्ञेश सुंबरे, चंद्रकांत पटेल, ‘विशालगढ रक्षा एवं अतिक्रमणविराधी कृति समिति’के प्रवक्ता तथा हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र संगठक श्री. सुनील घनवट, इसके साथ ही पुरातत्त्व एवं सांस्कृतिक विभाग के अधिकारी उपस्थित थे ।
गडदुर्गांचे रक्षण,संवर्धन तसेच प्रशासनास गडावरील अतिक्रमणे हटवण्याचे आदेश सांस्कृतिक मंत्री मा.श्री सुधीरभाऊ मुनगंटीवार यांनी बैठकीत दिले..
या बैठकीस सह्याद्री प्रतिष्ठान,गडप्रेमी संघटना, @HinduJagrutiOrg पुरातत्त्व खाते,यांचे प्रतिनिधी तसेच मा आमदार संजयजी केळकर उपस्थित होते. pic.twitter.com/PXECKLNzJc
— Sunil Ghanwat (@SG_HJS) August 26, 2022
सांस्कृतिक कार्यमंत्री का संबंधितों को सक्रिय होने के विषय में आदेश !
इस पर सांस्कृतिक कार्यमंत्री श्री. मुनगंटीवार ने प्रशासन को आदेश दिया कि अपने विभाग की ओर से राज्य के सभी जिलाधिकारी एवं आयुक्त को पत्र भेजकर बताएं कि वे अपने-अपने जिलों के गढ-दुर्गाें का निरीक्षण कर उसकी जानकारी दें एवं वहां पर हुआ अतिक्रमण हटाएं ।
इस अवसर पर श्री. मुनगंटीवार ने कोल्हापुर के जिलाधिकारी राहुल रेखावार को संपर्क कर विशालगढ पर हुए अतिक्रमण के विषय में आदेश दिया कि गढ पर संपूर्ण अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही यथाशीघ्र की जाए । यह कार्य वर्षा ऋतु के उपरांत करें, इसके साथ ही संबंधित लोगों के लिए पर्यायी घरों की व्यवस्था करें ।
गढ-दुर्गाें की विविध समस्याओं पर चर्चा कर निर्णय लेने का आश्वासन !
इस अवसर पर गढप्रेमी संगठनों ने राज्य के अनेक गढ-दुर्गाें के ढहती दीवारें, गिरते हुए मंडप एवं गुंबद, तोपों की दयनीय स्थिति आदि समस्याएं प्रस्तुत कीं । उन्होंने बताया, ‘गढों की मरम्मत के लिए पुरातत्व विभाग एवं शासन द्वारा अपेक्षित कृति होते हुए नहीं दिखाई देती । अपने खर्च पर गढप्रेमी संगठन कुछ काम करने के इच्छुक हैं; परंतु अनुमति के लिए ४ वर्ष प्रतीक्षा करने के उपरांत भी अब तक नहीं मिली ।’ इस पर मंत्री महोदय ने कहा, ‘‘प्रत्येक गढ-दुर्ग का स्वतंत्र प्रस्ताव प्रस्तुत करें । एक-एक गढ-दुर्ग के विषय में चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा । जहां गढों का काम करने के लिए कानून नियमों की अडचन आ रही है, वहां अभ्यास कर आवश्यक परिवर्तन कर गढों के हित में निर्णय लिया जाएगा ।’’
गढ-दुर्गाें की दयनीय स्थिति के विषय में हिन्दू जनजागृति समिति की भूमिका !
इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने कहा, ‘‘गढ-दुर्गाें की जर्जर अवस्था के साथ उन पर हुआ अतिक्रमण भी एक गंभीर समस्या है । कोल्हापुर जिले के विशालगढ पर १०० से भी अधिक अतिक्रमण हुए हैं । रायगढ पर भी अतिक्रमण का प्रयत्न हुआ था । मुंबई के कुलाबा गढ पर मजार बना दी गई है । ऐसी अनेक घटनाएं राज्य में हो रही हैं । यह अतिक्रमण हटाने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति अन्य समविचारी संगठनों की सहायता से विरोध कर रही है ।’’
अन्य आदेश
सर्व परिस्थिति ध्यान में आनेपर मंत्री श्री. मुनगंटीवार ने अन्य भी कुछ निर्णय लिए । उस आधार पर उन्होंने जो आदेश दिए वे आगे दिएनुसार हैं ।
१. गढ-दुर्गाें का काम करने के लिए मनुष्यबल अल्प न पडे; इसलिए पुरातत्व विभाग आवश्यक कर्मचारियों का आकृतिबंध प्रस्तुत करे ।
२. गढ-दुर्गाें का काम करने के लिए जो कानूनी बाधा आती है, उसका अभ्यासपूर्ण प्रस्तुतिकरण किया जाए ।
३. गढ-दुर्गाें के संवर्धन के लिए राज्य स्तर पर एक समिति स्थापित कर उसमें काम करनेवालों को लिया जाए । ऐसी समितियों जिलास्तर पर भी स्थापित की जाएं ।
४. गढ-दुर्गाें के साथ ही संरक्षित वास्तुओं के लिए ५० लाख रुपये विधायकनिधि से खर्च करने के लिए निर्णय प्रक्रिया करना, जिला नियोजन एवं जिला विकास निधि से (‘डीपीडीसी’से) २ प्रतिशत निधि का प्रावधान किया जाए ।
‘गढ-दुर्गाें का होनेवाला विद्रूपीकरण रोकने के लिए दुर्गसेवक नियुक्त करना, गढ-दुर्गाें संबंधी १ माह में शीघ्र गति यंत्रणा कार्यान्वित करना, सी.एस्.आर्. (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी CSR) फंड से ३ वर्ष निधि मिले, इसके लिए राज्यशासन की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखना, इसके साथ ही केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आनेवाले गढ-दुर्गाें के संवर्धन के लिए केंद्रीयमंत्री एवं गढप्रेमियों की बैठक आयोजित की जाएगी’, ऐसा भी उन्होंने कहा ।