हिंदू, बौद्ध, जैन और बौद्ध धर्म के संस्थानों पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ दायर याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में आज सुनवाई हुई है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को ठोस दस्तावेज और जानकाऱी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सीजेआई यूयू ललित के नेतृत्व वाली बेंच अब वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर इस याचिका पर 19 सितंबर को अगली सुनवाई करेगी।
याचिका में मांग की गई है कि, हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख अपने धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन और प्रशासन बिना राज्य सरकार के हस्तक्षेप के कर सके, जैसे मुसलमानों और ईसाईयों द्वारा किया जाता है। याचिकाकर्ता के वकील अरविंद दत्ता ने न्यायालय को बताया कि कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी, तेलंगाना के कानून को चुनौती दी है।
"No Supporting Documents Produced" : Supreme Court On PIL Against State Control Of Temples #SupremeCourtOfIndia #SupremeCourt @padmaaa_shr https://t.co/aTt9Y1eYzA
— Live Law (@LiveLawIndia) September 1, 2022
सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा इसको चुनौती क्यों दी गई है, लंबे समय से ऐसे से चल रहा है। वकील दत्ता ने कहा कि, सरकार 58 मुख्य मंदिरों को अपने नियंत्रण में लिए हुए हैं, यह सीधे तौर पर संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। यह अंग्रेजों के समय का कानून है और अब सरकार चर्च और अन्य धर्मिक स्थलों को अपने नियंत्रण में क्यों नहीं लेना चाहती है।
केरल में 15 हजार मंदिर बंद होने का दावा
वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि< कर्नाटका में 15 हज़ार मंदिर बंद हो गए, क्योंकि उनके पास मंदिर व्यवस्थापन के लिए पैसा नहीं था। सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि किस आंकड़े के आधार पर 15 हज़ार मंदिरों के बंद होने का दावा कर रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मंदिरों में आने वाला पैसा आम लोगों का है। वो आम लोगों के पास वापस चला जाता है। आप तिरुपति का उदाहरण ले सकते हैं, उससे स्कूल और कॉलेज खोले गए।
स्रोत : टीवी ९