वक्ता : श्री. उपानंद ब्रह्मचारी, संपादक, ‘हिंदू एक्जिस्टेन्स डॉट कॉम’, बंगाल.
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सारणी
- १. आतंकवादी कार्यवाही करनेवाले बांग्लादेशी धर्मांध घुसपैठिए
- २. ‘आई.एस्.आई.’ एवं ‘डी.जी.एफ्.आई.’ जैसे संगठन भारतकी आंतरिक व्यवस्थाका नाश कर ‘बृहन् बांग्लादेश’ निर्माण करनेके प्रयत्न !
- ३. इस प्रकार हथियाया जा रहा है भारत देश ।
- ४. घुसपैठ एक ‘जिहाद’ ही !
- ५. भारत शासनकी दुर्बल नीतियोंके कारण देशके हिंदुओंपर अल्पसंख्यक बननेका समय आना !
- ६. माओवादी गतिविधियां
- ७. ‘हिंदू जनजागृति समिति’ जैसे संगठनोंके साथ एकत्रित कार्य करनेपर देशकी सुरक्षा हेतु ठोस कृति करना संभव होना
१. आतंकवादी कार्यवाही करनेवाले बांग्लादेशी धर्मांध घुसपैठिए
‘वास्तवमें बांग्लादेशी धर्मांध घुसपैठिए हमारी सबसे विकट समस्या है । ३ करोड स्थनांतरित बांग्लादेशी भारतकी सुरक्षाको संकटमें डाल रहे हैं । इन ३ करोड स्थनांतरित बांग्लादेशियोंकी गतिविधियां देखकर भी सरकार अबतक नींदसे नहीं जागी । इन बांग्लादेशियोंका उपयोग देशमें आतंकवादी गतिविधियोंके लिए किया जा रहा है ।
२. ‘आई.एस्.आई.’ एवं ‘डी.जी.एफ्.आई.’ जैसे संगठन
भारतकी आंतरिक व्यवस्थाका नाश कर ‘बृहन् बांग्लादेश’ निर्माण करनेके प्रयत्न !
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एक सूत्रके अनुसार पाकिस्तानका गुप्तचर संगठन ‘आई.एस्.आई.’ एवं बांग्लादेशके ‘डी.जी.एफ्.आई.’ संगठनके कट्टरवादी भारतमें बढती जा रही निर्वासितोंकी भीडके मुख्य सूत्रधार हैं । उनका मुख्य उद्देश्य ‘बृहन् बांग्लादेश’ निर्माण करना है । इसके लिए ‘डी.जी.एफ्.आई.’ नामक संगठन देशके सामाजिक एवं आर्थिक संसाधनोंकी सहायतासे भारतके अंतर्गत व्यवस्था ही नष्ट कर रहे हैं ।
३. इस प्रकार हथियाया जा रहा है भारत देश ।
३ अ. भारतीय सीमाके निकटवर्ती क्षेत्रोंका अनेक
वस्तुओंको अनधिकृत रूपसे लाने-ले जानेके लिए किया जा रहा उपयोग!
बिहारके पश्चिम बंगालकी सीमापर २००० किलोमीटरका भाग, असमके २०० किलोमीटरका भाग, मेघालयके ३०० किलोमीटरका भाग, त्रिपुराका ७०० किलोमीटरका भाग, इन भारतीय सीमाके निकटवर्ती क्षेत्रोंका उपयोग व्यावसायिक माल, नकली नोट, मादक पदार्थ एवं अस्त्र-शस्त्रोंको अवैधरूपसे लाने-ले जानेके लिए किया जा रहा है ।
३ आ. भारत एवं बांग्लादेशकी सीमाके इन निकटवर्ती
क्षेत्रोंमें भारी संख्यामें मस्जिद एवं मदरसे निर्माण किए जाना, देहलीमें
धर्मांधोंका निवास करना एवं एक धर्मांध सांसदका भारतको धर्मशाला कहना
गत ३-४ वर्षोंमें भारत एवं बांग्लादेशकी सीमाके निकटवर्ती क्षेत्रोंमें भारतीय भूखंडपर ९०५ मस्जिदें एवं ४३९ मदरसे, जबकि बांग्लादेशके भूखंडपर ९६० मस्जिदें एवं ४६९ मदरसे निर्माण किए गए हैं । उसी प्रकार ४ सहस्र रोहिंगा धर्मांध देहलीमें रहते हैं । यहां जो दिल्लीसे आए हैं, उन्हें यह ज्ञात ही होगा । यमुना नदीके किनारेका कुछ भाग एवं एक दरगाहके आसपासका भाग रोहिंगा धर्मांधोंने अपने नियंत्रणमें लिया है । राज्यसभामें एक धर्मांध सांसदने कहा है कि ‘भारत एक धर्मशाला है ।’
४. घुसपैठ एक ‘जिहाद’ ही !
जब हम ‘लव जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’ ऐसे विविध ‘जिहाद’के विषयमें बोलते हैं, तब ‘घुसपैठ भी ‘जिहाद’ ही है, यह ध्यान रखना चाहिए । कुछ वर्षोंपूर्व जहांसे हम आए, उस कोलकातामें अवैध रूपसे रहनेवाले बांग्लादेशी स्थनांतरित धर्मांध मार्गपर उतर आए और उन्होंने अपनी मांगोंके लिए कोलकाता ‘प्रेस क्लब’तक मोर्चा निकाला । इस समय उन्होंने मांग की कि ‘हमें भारतीय नागरिकताके अधिकार दिए जाएं ।’ देखिए, कैसी विकट परिस्थिति आ गई है ! बांग्लादेशी स्थलांतरित एवं घुसपैठिए होनेपर भी कोलकाताके मार्गपर भारतीय नागरिकताका अधिकार मांग रहे हैं !
५. भारत शासनकी दुर्बल नीतियोंके कारण
देशके हिंदुओंपर अल्पसंख्यक बननेका समय आना !
पश्चिम बंगालमें परिस्थिति अत्यंत गंभीर है । धर्मांध घुसपैठिए भारतमें आते हैं और आए दिन शासनसे कुछ न कुछ मांग करते हैं; परंतु जो हिंदुत्वके आंदोलनमें सक्रिय हैं, उन्हें इस समस्याकी पूरी कल्पना भी नहीं है । एक जिलेके ‘मंगलाहाट’ नामक एक ब्लॉकमें (भागमें) वर्ष १९८१ की जनगणनानुसार ८७ प्रतिशत हिंदू थे । २० वर्षोंके उपरांत अर्थात २००१ में वहांके हिंदुओंकी संख्या केवल ४७ प्रतिशत हो गई । भारत शासन केवल बांग्लादेशी धर्मांध घुसपैठियोंको खदेडनेके स्थानपर ‘वे सादे सीमापार आए हुए सीधे लोग हैं’, ऐसी दुर्बल नीति अपना रहा है । यह उदाहरण एक जिलेके केवल एक ब्लॉकका (भागका) है । पश्चिम बंगालमें परिस्थिति अत्यंत गंभीर है ।
६. माओवादी गतिविधियां
६ अ. माओवादियोंकी गतिविधियोंके पीछे राजनीति,
जबकि ईसाई एवं धर्मांधोंकी गतिविधियोंके पीछे धर्मनीति होना
मेरे विषयके अंतर्गत दूसरी समस्या है माओवादी समस्या ! हमारे मतानुसार माओवादी संगठन भी ईसाई एवं धर्मांधोंके गुटोंसमान एक आतंकवादी गुट है । माओवादियोंकी गतिविधियोंके पीछे राजनीति है, जबकि ईसाई एवं धर्मांधोंकी गतिविधियोंके पीछे धर्मनीति है ।
६ आ. माओ आतंकवादी एवं ईसाइयोंका स्वामी
लक्ष्मणानंदजीकी हत्या करना एवं उस विषयमें स्वामीजीको पूर्वसे ही ज्ञात होना
आजकी प्रदर्शनीमें प्रथम चित्र स्वामी लक्ष्मणानंदजीकी हत्याका है । २३ अगस्त २००८ को उनकी क्रूर हत्या हुई, उस दिन जन्माष्टमी थी । माओ आतंकवादी एवं ईसाइयोंने स्वामीजीकी हत्या की । स्वामीजी सदैव अपने शिष्योंसे कहते थे, ‘ईसाई एवं माओवादी मेरी हत्याका षड्यंत्र रच रहे हैं ।’ अनेक बार उनपर आक्रमण भी हुए थे । अब भी उस विषयमें अभियोग जारी है ।
६ इ. तृणमूल कांग्रेस सरकारके माओवादियोंके साथ खुलेआम संबंध होना
आश्चर्यकी बात यह है कि १.२.२०११ को सी.पी.आई (एम्.) पोलित ब्यूरोके सदस्य सीताराम येचुरीने आरोप लगाया कि ‘तृणमूल कांग्रेस शासनके माओवादियोंके साथ खुलेआम संबंध हैं ।’ इस आशयका एक पत्र उन्होंने राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्रीको भेजा, मेरे पास उसकी यह प्रति है । वास्तवमें पश्चिम बंगालकी कुल परिस्थितिमें नंदीग्राम एवं सिंगुरकी घटनाओंसे परिवर्तन हुआ । दोनों स्थानोंपर माओवादी इस परिवर्तनके लिए कार्यरत थे एवं राज्य शासनके माओवादियोंके साथ संबंध थे ।
६ ई. भारतके विविध प्रांतोंमें सक्रिय माओवादियोंको अनेक देशोंसे सहायता मिलना
झारखंड, असम, छत्तीसगढ, बिहार, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना प्रांतोंमें माओवादी अत्यधिक कार्यरत हैं । उन्हें कश्मीरके साथ-साथ चीन एवं श्रीलंकासे सहायता मिल रही है । नेपालकी भी सहायता मिल रही है । ऐसेमें हमें जिस भागसे घुसपैठ हो रही है, उसपर ध्यान रखना चाहिए; क्योंकि सीमा सुरक्षा दल (बी.एस्.एफ्.) कुछ नहीं करता ।
७. ‘हिंदू जनजागृति समिति’ जैसे संगठनोंके साथ
एकत्रित कार्य करनेपर देशकी सुरक्षा हेतु ठोस कृति करना संभव होना
विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे बडे हिंदुत्ववादी संगठनोंने गत वर्ष कुछ स्थानोंपर समितियां स्थापित की हैं; परंतु वे पश्चिम बंगालमें कोई काम नहीं करतीं । भोपालमें श्री. केळकरजी ‘भारत रक्षा मंच’की ओरसे कुछ कर रहे हैं; परंतु ये संगठन घुसपैठ तथा माओवादी संकटपर लंबे-चौडे भाषण देनेके अतिरिक्त और कुछ नहीं करते । यदि हम ‘हिंदू जनजागृति समिति’ जैसे छोटे संगठनोंके साथ एकत्रितरूपसे माओवादी तथा घुसपैठियोंको खदेडनेके लिए एक अभियान आरंभ करें, तो इन देशघाती तत्त्वोंके विरुद्ध देशकी सुरक्षा, अर्थव्यवस्था तथा हम अपनी प्रिय मातृभूमिके लिए कुछ कर पाएंगे ।’