तमिलनाडु में एक पूरे गांव की जमीन की मलकीयत वक्फ बोर्ड के नाम किए जाने की घटना के बाद राज्य में हड़कंप मचा हुआ है और हर कोई इस दावे के बाद स्तब्ध नजर आ रहा है। दरअसल तमिलनाडु का थिरुचंथराई गांव एक हिंदू बहुल क्षेत्र है और इस गांव में चंद्रशेखर स्वामी का 1500 साल प्राचीन मंदिर है और यह मंदिर 369 एकड जमीन पर बना हुआ है। ऐसे में यह प्रश्न उठ रहा है कि, मंदिर की यह भूमि वक्फ बोर्ड से संबंधित कैसे हो सकती है।
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— Dinamalar (@dinamalarweb) September 9, 2022
प्रापर्टी की डील के समय हुआ खुलासा
दरअसल इलाके के एक नागरिक राजगोपाल ने अपनी जमीन राजेश्वरी देवी को बेचने के लिए सौदा किया। इस काम के लिए जब वह रजिस्ट्रार के कार्यालय में पहुंचा और जमीन की रजिस्ट्री करवाने की अर्जी दी तो वह यह देखकर हैरान रह गया कि, उसकी जमीन उसके नाम पर नहीं, बल्कि वक्फ बोर्ड के नाम दिखाई गई है। तमिलनाडु के प्रापर्टी रजिस्ट्रार कार्यालय के अनुसार, वक्फ बोर्ड की ओर से उपलब्ध करवाए गए 250 पेज के एक दस्तावेज के अनुसार, पूरे गांव की जमीन वक्फ बोर्ड की है और उसकी बिक्री करने के लिए वक्फ बोर्ड से एन.ओ.सी. लेना जरूरी है।
जिला कलैक्टर द्वारा जांच का आश्वासन
राजगोपाल को जब प्रापर्टी रजिस्ट्रार आफिस की ओर से इस बात की जानकारी दी गई तो उसने इस घटना की जानकारी अपने गांव के लोगों को दी। गांव के लोग इस बात से हैरान हैं कि, जब उनके पास अपनी रिहायशी और कृषि योग्य भूमि के सारे दस्तावेज मौजूद हैं तो ऐसे में वक्फ बोर्ड इस पर दावा कैसे कर सकता है। यह मामला जिला कलैक्टर के ध्यान में लाया गया और उन्होंने मामले की जांच करने का आश्वासन दिया है।
दावे पर उठे सवाल
इस बारे में डीड डिपार्टमैंट के अधिकारियों के साथ जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि राज्य में वक्फ बोर्ड और मंदिरों की जमीनों पर कब्जे किए गए हैं और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उनकी मलकीयत हासिल की गई है। इस मामले में कुछ केस भी दर्ज किए गए थे। 2016 में सरकार ने इस तरह की प्रापर्टीज से कब्जे छुड़ाने के लिए मुहिम शुरू की थी और वक्फ बोर्ड ने पूरे तमिलनाडु में अपनी इन प्रापर्टीज को छुड़ाने के लिए कार्रवाई शुरू की थी। वक्फ बोर्ड के दावे के मुताबिक थिरुचंथराई के अलावा कदियाकुरीचि गांव की जमीन भी वक्फ बोर्ड की है। वक्फ बोर्ड ने इन दो गांवों की भूमि के अलावा चेन्नई व इसके आसपास के कई इलाकों में उसकी जमीन होने का दावा किया है। लेकिन अब यह तमिलनाडु की सरकार को तय करना है कि वह इस मामले में क्या फैसला लेती है।
स्रोत : पंजाब केसरी