नई दिल्ली –देश भर से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के 100 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी ने आतंकी संगठन की नापाक साजिश का खुलासा कर दिया है। केंद्र सरकार की मल्टीपल जांच एजेंसियों की छापेमारी में सामने आया कि पीएफआई न केवल दो समुदायों के बीच तनाव को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही थी, बल्कि उसकी योजना आतंकी संगठनों के साथ मिलकर खुद का वर्चस्व स्थापित करने का भी था। पीएफआई पर UAPA और टेरर फंडिंग के आरोप लगे हैं, जबकि इंटेलिजेंस सूत्रों का कहना है कि, पीएफआई की निगाहें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं पर भी थीं।
पीएफआई के जासूसी संगठन थहलील को बहुत ही खास लक्ष्य दिया गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं और उनके अभियान के बारे में जानकारी जुटाना ! थहलील की जिम्मेदारी आरएसएस नेताओं के दफ्तर, परिवार, कार और उनकी सुरक्षा में लगे गार्ड्स के बारे में जानकारी इकट्ठा करना था। इसी तरह थहलील को बाबरी मस्जिद विध्वंस में कथित तौर पर शामिल नेताओं के बारे में भी जानकारी जुटाने का काम दिया गया था। सूत्रों के अनुसार, इनका काम हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव पैदा करना था। साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि को भी खराब करना था।
ये जानकारियां पीएफआई के ‘फाइनल रोडमैप’ के लिए बेहद जरूरी थीं। अगर इस संबंध में कोई महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगती तो इसे विदेशी काडर के साथ या लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के साथ शेयर किया जाना था। सूत्रों ने कहा कि, बीते समय में पीएफआई कई आरएसएस नेताओं पर हमला करना चाहती थी, और इसके लिए संगठन ने कई शाखाओं की रेकी भी की थी, जिसके बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई।
बता दें कि पीएफआई पर भाजपा और आरएसएस के कई नेताओं की हत्या की साजिश रचने और उन पर हमला करने का आरोप लगा है, खासतौर पर केरल में, लेकिन संगठन ने हमेशा इन आरोपों से इनकार किया है। पीएफआई की स्थापना 2006 में केरल में हुई थी, पीएफआई का दावा है कि, उसका उद्देश्य भारत में हाशिए के समुदाय के लिए एक नया सामाजिक आंदोलन शुरू करना था, ताकि सशक्तिकरण हो सके। गौरलतब है कि स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया पर बैन के बाद पीएफआई राष्ट्रीय फलक पर तेजी से उभर कर सामने आया।
बता दें कि, कर्नाटक में हिजाब प्रकरण का हो, हाथरस रेप एंड मर्डर केस का हो या फिर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन का, सभी मामलों में पीएफआई सुर्खियों में रही। हाल ही में पीएफआई सुर्खियों में आई जब बिहार पुलिस ने फुलवारी शरीफ में एक टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश किया। इस छापेमारी से पीएफआई के नापाक मंसूबों का खुलासा हुआ, जिसके तहत संगठन की योजना ‘साल 2047 तक भारत को एक इस्लामिक देश बनाना था।’
गुरुवार को हुई छापेमारी को, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राज्य पुलिस ने अंजाम दिया। छापेमारी की ये कार्रवाई उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और बिहार के साथ कुल 13 राज्यों में हुई। अधिकारियों ने कहा कि टेरर फंडिंग, ट्रेनिंग कैंप आयोजित करने और पीएफआई को ज्वॉइन करने के लिए लोगों का ब्रेनवॉश करने से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई हुई है।
स्रोत: न्यूज 18 हिंदी