- पिछडे वर्ग के विद्यार्थियों के जाली (फर्जी) नाम दिखाकर शिष्यवृत्ति (scholarship) हडपनेवाली महाराष्ट्र की ६४ शैक्षिक संस्थाओं को सरकार का समर्थन ?
- विशेष अन्वेषण पथक की छानबीन में अपराध उजागर; मात्र राजकीय दबाव के कारण ४ वर्ष ब्योरा दबाकर रखा !
मुंबई – पिछडे वर्ग के विद्यार्थियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी गई माध्यमिक शिक्षा के उपरांत की शिष्यवृत्ति (छात्रवृत्ति) में १ सहस्र ८२६ करोड रुपयों की धनराशि राज्य के ६४ शैक्षिक संस्थाओं द्वारा विद्यार्थियों के जाली (फर्जी) नाम दिखाकर हडपने का प्रकरण वर्ष २०१७ में उजागर हुआ । इस घोटाले के अन्वेषण के लिए विशेष अन्वेषण पथक की नियुक्ति भी की गई; परंतु ६ वर्ष के पश्चात भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई । पिछडे वर्ग के विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति के पैसे हडपनेवाले घोटालेबाज शैक्षिक संस्थाओं पर अपराध क्यों प्रविष्ट नहीं किया जाता ?’, ऐसा प्रश्न हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने सामाजिक न्याय विभाग के सचिव को पत्र द्वारा किया है ।
१. विशेष अन्वेषण पथक की नियुक्ति के पश्चात भी इस घोटाले के प्रकरण में कार्रवाई न होना, यह ध्यान में आते ही अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने वर्ष २०२० में सूचना के अधिकार के अंतर्गत इस घोटाले की पूछताछ के विषय में जानकारी मांगी ।
२. तब उन्हें बताया गया कि उस पर ‘अन्वेषण शुरू है ।’ तदुपरांत २ वर्षाें उपरांत भी कार्रवाई न की जाने से २ जून २०२२ को अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने सामाजिक न्याय विभाग के सचिवों को पत्र भेजा ।
३. ‘इस प्रकरण में शांत बैठने का आदेश है क्या ?’, ऐसा पूछते हुए अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने सामाजिक न्याय विभाग से मांग की है कि इस प्रकरण की आर्थिक अपराध विभाग द्वारा पूछताछ की जाए । इस पर भी कार्रवाई न होने से अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने कानूनन लडाई की चेतावनी दी है ।
अपहार की निधि की वसूली कर भ्रष्टाचार पर चादर डालने का प्रयत्न !
गत ५ वर्ष समाजकल्याण आयुक्त कार्यालय से अपहार की निधि वसूल करने का उद्योग चल रहा है । अपहार हुए १ सहस्र ८२६ करोड ८७ लाख रुपयों की निधि में से अबतक केवल ९६ करोड १६ लाख रुपयों की वसूली हुई है । वसूली के लिए सामाजिक न्याय विभाग से समाजकल्याण आयुक्तों को प्रतिमाह स्मरणपत्र भेजा जाता है; परंतु आयुक्त कार्यालय से अबतक ‘अपहार हुई राशि से कितनी वसूली हुई ?’, इसकी जानकारी नहीं मिली है, यह दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि द्वारा की गई पूछताछ से सामने आया है ।
सामाजिक न्यायमंत्री धनंजय मुंडे ने कार्रवाई क्यों रोकी ?
वर्ष २०१७ में युती की सरकार के काल में तत्कालीन सामाजिक न्यायमंत्री राजकुमार बडोले ने विशेष अन्वेषण पथक को इस प्रकरण की छानबीन सौंपी । महाविकास गठबंधन के काल में जब धनंजय मुंडे सामाजिक न्यायमंत्री थे, तब विशेष अन्वेषण पथक द्वारा हुई छानबीन का ब्यौरा प्रस्तुत किया था । उसमें अपहार की राशि के साथ दोषी व्यक्तियों के नाम भी दिए गए । वर्ष २०१९ में सामाजिक न्याय विभाग द्वारा मंत्री धनंजय मुंडे से इस प्रकरण में कार्रवाई का आदेश देने संबंधी पत्र प्रस्तुत किया । मुंडे ने कार्रवाई को सहमति भी दी; परंतु ‘तदुपरांत कुछ ही घंटों में कार्रवाई स्थगित भी कर दी गई’, ऐसी जानकारी दैनिक ‘सनातन प्रभात’के प्रतिनिधि को प्राप्त हुई । विशेष अन्वेषण पथक के ब्यौरा देने के पश्चात भी ४ वर्ष यह कार्रवाही रोकी गई है । ‘कार्रवाई रोकने के लिए धनंजय मुंडे पर किसने दबाव डाला ?’, यह प्रश्न उपस्थित हो रहा है । ‘राज्य में स्थापित नई सरकार विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति के पैसे हडपनेवालों कर कार्रवाई करेगी क्या ?’, ऐसा प्रश्न जनमानस में पूछा जा रहा है ।
सामाजिक न्याय विभाग एवं समाजकल्याण आयुक्त कार्यालय के अधिकारी आपसी सांठगांठ से घोटाला दबाकर रख रहे हैं क्या ? – अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर
वर्ष २०१७ में इस विषय में विधान परिषद में प्रश्न उपस्थित होने पर तत्कालीन सामाजिक न्यायमंत्री ने स्वीकार किया था कि घोटाला हुआ है । ऐसे में अब तो ६ वर्ष हो गए, तब भी पिछडे वर्ग के विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति के पैसे खानेवालों पर कठोर कानूनी कार्रवाई नहीं की गई । सैकडों करोड रुपयों का यह घोटाला सामाजिक न्याय विभाग अथवा समाजकल्याण आयुक्त कार्यालय के अधिकारी आपसी सांठगाठ कर दबा रहे हैं क्या ? इस प्रकरण में केवल वसूली करने में ही सरकारी अधिकारी समाधान क्यों मान रहे हैं ? या कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें शांत बैठने का आदेश मिला है ? कुल मिलाकर यह प्रकरण गंभीर है । इसमें दोषी संस्थाओं के नाम घोषित कर, संबंधितों पर अपराध प्रविष्ट किया जाए । इस प्रकरण में छिपे शुक्राचार्याें पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए ।