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‘वन्दे मातरम्’का अवमान एवं संवेदनाशून्य नागरिक !

ज्येष्ठ कृष्ण ६, कलियुग वर्ष ५११५

वक्ता : आचार्य योगेश शास्त्री, प्रमुख, आर्य प्रतिनिधि सभा, बंगाल


सारणी


 

१. क्रांतिकारियोंके स्फूर्तिगीत ‘वन्दे मातरम्’

का महत्त्व स्वतंत्रताके उपरांत शून्य करना क्लेशदायी !

        ‘जिस गीतका आधार लेकर हमने देशकी स्वतंत्रताका शंखनाद किया, जिस गीतसे प्रेरणा लेकर अनेक क्रांतिकारियोंने देशकी स्वतंत्रता हेतु अपने प्राणोंकी आहुति दी, उसका महत्त्व देश स्वतंत्र होनेके उपरांत शून्य कर दिया गया ।

 

२. ‘वन्दे मातरम्’ न गानेवालोंको भारतमें रहनेका अधिकार नहीं है !

     जो लोग इस देशके अन्नजलपर जीते हैं; परंतु जिन्हें ‘वन्दे मातरम्’ गीतके माध्यमसे देशका गुणवर्णन करना अपमानजनक लगता है, जिन्हें ‘भारतमाताकी जय !’ कहनेमें लाज आती है, जो इस देशको मातृभूमि कहकर नहीं स्वीकार सकते, ऐसे लोगोंको इस देशमें रहनेका कोई अधिकार नहीं । ऐसे लोगोंकी भारतीय नागरिकता तत्काल समाप्त की जाए ।

 

३. राष्ट्रकी आधारशिला ‘वन्दे मातरम्’ !

        ‘वन्दे मातरम्’ गीतका हम सम्मान करते हैं । यह सम्मान उसमें दी गई काव्यपंक्तियोंका नहीं; अपितु उसमें निहित राष्ट्रके स्वाभिमानका, अस्तित्वका है । यह गीत राष्ट्रकी आधारशिला है । इसलिए यह हिंदू अधिवेशन इस गीतका सम्मान करता है ।’

 

४.  ‘वन्दे मातरम्’ न कहनेवालोंको ‘देशद्रोही’ घोषित करें !

वक्ता : कर्नल दर्शनकुमार कपूर, उपाध्यक्ष, हिंदुस्थान नैशनल पार्टी, देहली.

४ अ. ‘वन्दे मातरम्’ न गानेवाले उपराष्ट्रपति हामिद अन्सारी !

‘यहां अधिवेशनके लिए आनेसे पूर्व देहलीमें जंतर-मंतरपर हमने एक आंदोलन किया था । उस आंदोलनकी प्रमुख मांग यह थी कि ‘उपराष्ट्रपति श्री. हमीद अन्सारी जैसे ‘वन्दे मातरम्’ न कहनेवालोंको राष्ट्रपति पदके लिए नामांकित करना अपराध है । ‘जो ‘वन्दे मातरम्’ नहीं कहते, उन्हें देशद्रोही घोषित करना चाहिए । ऐसे व्यक्तियोंके साथ वैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए जैसा किसी देशद्रोहीके साथ किया जाता है ।’ 

४ आ. ‘वन्दे मातरम्’ नहीं गाएंगे, उनके लिए भारतमें घर नहीं !

जिनको भगीरथीका जल कभी नहीं लगा प्यारा ।

जिनके सपनोंमें है एक और बंटवारा ।।

कहीं ऐसा न हो कि वे राष्ट्रघाती चाल चल जाएं ।

उससे पहले ही उनसे कह दो कि हमारे देशसे बाहर निकल जाएं ।।१।।

जिन्हें इस राष्ट्रका झंडा नहीं भाए ।

कहो उनसे, जिन्हें हमारी मातृभूमि डायन नजर आए ।।

उनके कुचक्रोंके शिविर हम अब इस देशमें चलने नहीं देंगे ।

ऐसे सांपोंको हम अपनी अस्तीनोंमें पलने नहीं देंगे ।। २ ।।

जिनके जुबांपर अब ‘वन्दे मातरम्’का स्वर नहीं होगा ।

वह कोई भी हो उसके लिए हमारा भारत उसका घर नहीं होगा ।। ३ ।। 

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