Menu Close

महाराष्ट्र सरकार ने पालघर लिंचिंग मामले में CBI जांच को दी मंजूरी

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को पालघर लिंचिंग मामले की जांच सीबीआई (CBI) को सौंपने की इच्छा जाहिर की। डीजीपी के कार्यालय में सहायक पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एक अतिरिक्त हलफनामे में यह खुलासा हुआ। सुप्रीम कोर्ट के रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते समय मामले को सीबीआई को देने की मांग की गई, ताकि जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष हो सके। गौरतलब है कि तत्कालीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंपने का विरोध किया था। ऐसे में अब मामले की जांच शिंदे सरकार सीबीआई को सौंपने के लिए तैयार है।

इसे एक “स्वागत योग्य कदम” बताते हुए महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर ने कहा,

“मुझे क्या लगता है कि ऐसी घटनाएं महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य में दोबारा नहीं होनी चाहिए। पिछली सरकार लोगों के सामने तथ्यों को नहीं लाने में बहुत माहिर थी। लोगों को भी शिक्षित होना चाहिए और किसी पर हमला नहीं करना चाहिए, खासकर जब वे साधु हो। हिंदुत्व की बात करने वाले लोग और जो उस वक्त मुख्यमंत्री थे, इसके बावजूद वो साधुओं को न्याय नहीं दे पाए। हम साधुओं को तो वापस नहीं ला सकते, क्योंकि जो होना था वो हो चुका है। लेकिन जो दोषी हैं उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।”

बता दें कि, ये घटना 16 अप्रैल, 2020 की रात को महाराष्ट्र के पालघर जिले में हुई, जब दो तपस्वी महंत कल्पवृक्ष गिरि और सुशीलगिरि महाराज एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गुजरात जा रहे थे। उस दौरान तीन संत को दहानू तालुका के गडचिंचले गांव पहुंचने के बाद कथित तौर पर बच्चा अपहरणकर्ता होने का संदेह करके भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला। कथित तौर पर, कासा पुलिस स्टेशन को फोन आने के बाद 4 पुलिसकर्मियों का एक समूह मौके पर पहुंचा।

भीड़ को शांत करने के उनके प्रयास व्यर्थ हो गए क्योंकि भीड़ ने गाड़ी को पलट दिया। बाद में, एक अन्य पुलिस दल मौके पर पहुंचा और तीन व्यक्तियों को दो अलग-अलग पुलिस कारों में बैठाया। इसके बाद भीड़ ने पुलिस वाहनों पर हमला कर दिया, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए। हालांकि, कुछ वीडियो सामने आए, जिसमें पुलिस कर्मियों को चुपचाप खड़ा दिखाया गया, जबकि भीड़ तीन लोगों पर हमला कर रही थी

इसके बाद, अपराध को रोकने में लापरवाही बरतने वाले 18 पुलिस कर्मियों को दंडित किया गया और 126 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया। इस साल अप्रैल में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने 10 आरोपियों को जमानत दी थी।

स्रोत : रिपब्लिक

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *