वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच की मांग खारिज हो गई है। शुक्रवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की न्यायालय ने मामले पर सुनवाई की। न्यायालय ने कार्बन डेटिंग के साथ ही अन्य किसी भी वैज्ञानिक तरीके के परीक्षण की मांग खारिज कर दी है। न्यायालय के निर्णय से हिंदू पक्ष को झटका लगा है। माना जा रहा है कि, अब हिंदू पक्ष उच्च न्यायालय जा सकता है।
Gyanvapi Mosque issue: Varanasi Court rejects Hindu side's demand seeking carbon dating and scientific investigation of 'Shivling' in the mosque complex#UttarPradesh pic.twitter.com/UdFFgZz3Bj
— ANI (@ANI) October 14, 2022
Court has rejected our demand of seeking carbon dating. We'll move to Supreme Court against this order & challenge it there. I cannot announce the date as of now, but we'll soon challenge this order in Supreme Court: Advocate Vishnu Jain, representing the side in Gyanvapi case pic.twitter.com/DOkGwVy8w8
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 14, 2022
जज ने अपने निर्णय में कहा कि, उच्च न्यायालय ने 15 मई को कथित शिवलिंग को सुरक्षित रखने को कहा था। कार्बन डेटिंग या किसी अन्य पद्धति से जांच से शिवलिंग को नुकसान हो सकता है। राडार पद्धति से भी जांच होती है तो नुकसान की आशंका है। जज ने लिखा कि यदि नुकसान होता है तो लोगों की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंच सकती है। न्यायालय ने यह भी कहा कि, एएसई जांच से मामले के न्यापूर्ण समाधान की संभावना भी नहीं दिखाई देती है।
उल्लेखनीय है कि शृंगारगौरी सहित अन्य विग्रहों के पूजा के अधिकार के वाद पर सुनवाई के दौरान हुए सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद के वुजूखाने में शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। उसकी कार्बन डेटिंग सहित अन्य वैज्ञानिक पद्धति से जांच कराने के लिए हिंदू पक्ष के पांच में से चार वादियों की तरफ से सुप्रीम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने प्रार्थना पत्र दिया था। एक वादी ने कार्बन डेटिंग की जगह किसी और जांच की मांग की थी।
मुस्लिम पक्ष ने कार्बन डेटिंग जांच की मांग का विरोध करते हुए दो बिंदुओं पर आपत्ति दाखिल की थी। पहली आपत्ति इसके मूलवाद को लेकर थी। उनका कहना थी कि यह मामला मूल वाद से संबंधित नहीं है। दूसरा जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है, वह वुजुखाना में है और उसे सुप्रीम न्यायालय के आदेश पर सील किया गया है।
हिंदू पक्ष के प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने कहा था कि, न्यायालय कमीशन कार्यवाही में मिली शिवलिंग जैसी आकृति के सम्बंध में न्यायालय में दाखिल कार्यवाही रिपोर्ट के विरोध में भी आवेदन दाखिल है। जब तक इस कमीशन रिपोर्ट का गुणदोष के आधार पर निस्तारण नहीं हो जाता है, तब तक कोई वैज्ञानिक सर्वेक्षण नहीं हो सकता है।
स्रोत : लाइव हिन्दुस्थान