पुणे – यहां के श्री गौड ब्राह्मण समाज, बिबवेवाडी के दुर्गामाता मंदिर में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्त्व एवं इस काल में होनेवाले अपप्रकार’ इस विषय पर हाल ही में व्याख्यान लिया गया था । यह मंदिर सिंहगढ रास्ता की हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. मनोहरलाल उणेचा के समाज का है । उन्होंने स्वयं पहल कर यहां व्याख्यान आयोजित किया था । हिन्दू जनजागृति समिति की रणरागिणी शाखा की कु. क्रांति पेटकर ने उपस्थितों का मार्गदर्शन किया । व्याख्यान होने के उपरांत स्वरक्षा के प्रात्यक्षिक दिखाए गए । इसके साथ ही हिन्दू राष्ट्र की प्रतिज्ञा भी ली गई । इस अवसर पर २७५ जिज्ञासु उपस्थित थे । सनातन संस्था के सात्त्विक उत्पादन एवं ग्रंथ का वितरण कक्ष भी यहां लगाया गया था । कुंकू लगाने का महत्त्व समझ में आने पर अनेक महिलाओं ने सनातन का कुंकू खरीदा ।
समिति के कार्य से प्रभावित होकर धर्मप्रेमियों ने छत्रपति शिवाजी महाराजजी की मूर्ति भेट दी ।
जिस मंदिर में व्याख्यान हुआ, वहां पडोस की एक दुकान के श्री. शैलेश मालुसरे एवं उनकी पत्नी श्रीमती रूपाली मालुसरे ने स्वयं ही कार्यक्रम स्थल पर आकर कार्यक्रम संपन्न होने पर छत्रपति शिवाजी महाराजजी की मूर्ति भेंट दी । उन्होंने कहा, ‘‘पडोस में मेरी ‘फायबर’की मूर्तियों की दुकान है । मैं और मेरी पत्नी अपनी ही दुकान में बैठकर आपका व्याख्यान सुन रहे थे । इसमें बताई बातें (आघात) मैंने स्वयं अनुभव की हैं । आप बहुत ही अच्छा कार्य कर रहे हैं, उसके लिए मेरी ओर से आपको महाराजजी की यह मूर्ति भेंटस्वरूप दे रहा हूं । आपको इस कार्य में मेरी किसी भी प्रकार की सहायता लगे, तो अवश्य बताएं । मैं योगदान देने के लिए तैयार हूं । तदुपरांत उन्होंने स्वयं ही पूछा, ‘‘इस कार्य के लिए क्या मैं अर्पण दे सकता हूं ?’
विशेष
१. श्री गौड ब्राह्मण समाज की ओर से हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य को गौरवान्वित करने हेतु समिति को सम्मानचिन्ह दिया । इस अवसर पर सीनियर सिटीजन भाजप, पुणे के अध्यक्ष एवं पुणे शहर सरचिटणीस के श्री. मदन डांगी, श्रीगौड ब्राह्मण समाज सार्वजनिक नवरात्रि उत्सव समिति अध्यक्ष श्री. दिनेशजी डांगी, श्री. गणेशजी डांगी उपस्थित थे ।
२. उपस्थित महिला सर्व विषय जिज्ञासा से सुन रही थीं एवं उत्स्फूर्ताता से प्रतिसाद भी दे रही थीं । प्रवचन के चलते ही बीच में पुलिस आयुक्त एवं उनकी पत्नी प्रमुख अतिथि के रूप में वहां आए थे । उनके हस्तों देवी की पूजा हुई । तब भी बहुतांश महिला अपनी जगह से नहीं उठीं ।