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अंबड के हिन्दुत्वनिष्ठों ने हिन्दू संगठनों का आदर्श सभी के समक्ष रखा है – सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

अंबड (जिला जालना) में हिन्दू संगठन समारोह संपन्न !

कयपंजी द्वारा दीपप्रज्वलन करते हुए उद्योजक श्री. विशाल गिल्डा, बाएं से कु. प्रियांका लोणे एवं श्री. सुनील घनवट

जालना – अंबड की स्वाभिमानी धर्मनिष्ठ शौर्यवान युवा पीढी के योगदान देने पर हिन्दू राष्ट्र दूर नहीं । अंबड के हिन्दुत्वनिष्ठों ने हिन्दुओं के संगठन का आदर्श सभी के समक्ष रखा है । आज संपूर्ण जगभर में हिन्दुओं का अपना एक भी राष्ट्र नहीं । यदि धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ है, तो भारत ‘सेक्युलर’ राष्ट्र कैसे है ?, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘हिन्दू राष्ट्र संकल्प अभियान’में उपस्थित हिन्दू धर्मप्रेमियों का मार्गदर्शन करते हुए बोल रहे थे । हिन्दू जनजागृति समिति के संभाजीनगर-जालना जिला समन्वयक कु. प्रियांका लोणे ने ‘लव जिहाद’ विषय पर मार्गदर्शन किया । श्री. अतुल देवकर ने सूत्रसंचालन किया । अंबड के ‘श्री स्वामी समर्थ सेवा मंदिर’के सभागृह में हाल ही में हिन्दूसंगठन सम्मेलन का आयोजन किया गया था ।

श्री. सुनील घनवट आगे बोले, अपने अधिकार का राष्ट्र प्राप्त करने के लिए एवं उसकी मांग करने के लिए हम सभी अपने पद, पक्ष, संगठन, संप्रदाय की दहलीज लांघकर हिन्दू के रूप में एकत्र आए हैं । यह आदर्श अंबड, जालना के हिन्दुत्वनिष्ठों ने सभी के समक्ष रखा है । आज किसी भी धर्माभिमानी हिन्दू को संकट में अकेले न छोडकर, सभी मिलकर उसका सहयोग करेंगे औेर संगठन बढाएंगे । संगठित हिन्दुओं की शक्ति के कारण हिन्दू राष्ट्र घोषित करना होगा । वर्ष २०२५ में हिन्दू राष्ट्र आनेवाला है, ऐसी श्रद्धा रखकर कल नहीं अपितु आज ही सक्रिय हों, ऐसा प्रतिपादन श्री. सुनील घनवट ने किया । हिन्दूसंगठन सम्मेलन में १७५ से भी अधिक हिन्दू धर्मप्रेमी उपस्थित थे ।

क्षणिकाएं

१. अंबड के तरुण धर्मप्रेमियों को इस संगठन सम्मेलन के पत्रक छापकर सम्मेलन को सफल बनाने के लिए और उसका लाभ अधिकाधिक समाज को हो, इसलिए शहरभर में प्रसार हेतु योगदान दिया । सम्मेलन के दिन के आयोजन में सहभाग लिया ।

२. सम्मेलन के उपरांत हुई बैठक में ‘हलाल जिहादविरोधी कृति समिति’में युवकों ने सहभाग लिया एवं प्रत्यक्ष कृति का भी प्रारंभ किया ।

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