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हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे का नेपाल दौरा
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नेपाल के ‘शांति सेवा आश्रम’ के स्थापना दिवस महोत्सव में सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने किया मार्गदर्शन !
काठमांडु (नेपाल) – हिन्दू राष्ट्र निर्मिति के कार्य में हम कहां कम पडे और हमें क्या करना चाहिए था, इसका चिंतन करना चाहिए । हमें धर्मनिरपेक्षता का सबक सिखानेवाले यूरोपीय एवं अमेरिकी राष्ट्रों ने अपने राष्ट्रों में ईसाई पंथ के कैथोलिक, प्रोटेस्टंट, ऑर्थोडॉक्स इत्यादि को संविधानात्मक ढंग से संरक्षित किया है । हिन्दू धर्म की सीख देखें, तो खरी धर्मनिरपेक्षता के लिए हमें प्रयत्न करना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने किया । वे ‘शांति सेवा आश्रम’के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किए महोत्सव में मार्गदर्शन कर रहे थे ।
आरंभ में व्यासाचार्य श्री. किशोर गौतम ने इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट किया । ‘जय संगत आश्रम’के संस्थापक श्री. पुष्पराज पुरुष के प्रयत्नों की अनेक मान्यवरों ने प्रशंसा की । इस प्रसंग में कृष्ण प्रणामी, इस्कॉन, नेपाल जैन परिषद आदि धार्मिक संगठन, इसके साथ ही ‘महेश संन्यासाश्रम’के रमणानंद स्वामी, बौद्ध गुरु श्री. ढक्के, ‘हिन्दू योद्धा’के श्री. प्रेमनिधि भारद्वाज, ‘व्यासाचार्य’ श्री. किशोर गौतम आदि विविध संगठनों के प्रतिनिधि एवं संत उपस्थित थे । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन विश्व हिन्दू महासंघ के वरिष्ठ केंद्रीय उपाध्यक्ष श्री. शंकर खरेल ने किया ।
१. इस अवसर पर ‘नेपाल हिन्दू परिषद’के अध्यक्ष श्री. संतोष पटेल ने नेपाल में धर्मांधों से होनेवाले विविध आघातों के विषय में अवगत करवाया ।
२. ‘ॐकार एकता राष्ट्रीय धर्मसभा’ के कार्यक्रम के संयोजक श्री. चिंतामणी योगी बोले, ‘‘नेपाली भाषा, वेशभूषा, नारी, संस्कृति, संस्कार एवं परंपराओं को बचाने के लिए नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहिए ।
३. गणेश्वर धाम, देवघाट के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर आत्माराम महाराज बोले, ‘‘हमें राजनीति को नहीं, अपितु धर्म को गौरवान्वित करना है । हमें हिन्दू राष्ट्र ऐसे ही भेंट नहीं देगा, अपितु उसे संघर्ष करके ही पाना होगा ।’’
शांति सेवा आश्रम के संस्थापक श्री. चिंतामणी योगी के हिन्दू जनजागृति समिति के विषय में गौरवोद्गारशांति सेवा आश्रम के संस्थापक श्री. चिंतामणी योगी ने सद्गुरु डॉ. पिंगळे के आश्रम में पहुंचते ही आलिंगन करते हुए उपस्थितों से उनका परिचय करवाया । वे बोले, ‘‘हिन्दू जनजागृति समिति भारत में बहुत ही अच्छा कार्य कर रही है, इसके साथ ही अन्य संस्थाओं को भी ही सक्षम बनाने के लिए प्रयत्न करती है । समिति का कार्य सुनियोजित एवं अनुशासित है । समिति में अनेक उच्च शिक्षित कार्यकर्ता होते हुए भी वे सर्वस्व का त्याग कर निःस्वार्थभाव से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में पूर्णकालीन सेवारत हैं । सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे अनेक वर्षों से शुद्ध भाव से नेपाल में आते हैं । उसमें कोई भी राजनीति नहीं है ।’’ |
‘कालिका एफ्.एम्.’की संचालिका रीना गुरूंग की ली सदिच्छा भेट
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने ‘कालिका एफ्.एम्.’की संचालिका रीना गुरूंग की सदिच्छा भेट ली । इस अवसर पर रीना गुरूंग ने कहा, ‘‘आपके सिद्धांत योग्य नहीं, आप मेरे पास आओ, ऐसा कहनेवाला पंथ धर्म हो ही नहीं सकता । ऐसा तो राजकीय पक्ष करते हैं ?’’ इस पर सद्गुरु डॉ. पिंगळे बोले, ‘‘धर्म प्रेम सिखाता है । समाज सत्त्व-रज प्रधान होगा, तो शांति होती है; परंतु यदि वह रज-तम प्रधान होगा, तो संघर्ष होता है । इसलिए अशांति होती है । समाज साधना नहीं करता; इसलिए समाज में द्वेष एवं स्पर्धा है ।’’
क्षणिका : इस अवसर पर रीना गुरूंग ने कहा, ‘‘समाज में अनेक लोग हिन्दू धर्म एवं देवी-देवता पर टीका-टिप्पणी करते हैं । सद्गुरु डॉ. पिंगळे का सत्संग मिलने पर मेरी मन की शंकाएं दूर हो जाती हैं । अब मैं हिन्दू धर्म पर टीका करनेवालों को अच्छी प्रकार से उत्तर दे पाउंगी ।
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे का ‘चैतन्य इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट’के विद्यार्थियों को मार्गदर्शन !
आनंद पाने के लिए साधना करना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे
अपना मूल स्वरूप सत् चित् आनंद है । इसलिए हमें सतत सुख, अर्थात आनंद चाहिए होता है; परंतु आनंदी जीवन कैसे जीना है, यह हमें कहीं भी नहीं सिखाया जाता । इसके लिए साधना, अर्थात नामजप, स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन करना आवश्यक है, ऐसा असे मार्गदर्शन सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने विद्यार्थियों को किया । ‘चैतन्य इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट’के संचालक श्री. गोविंद जोशी ने ‘सनदी लेखापाल (C A) एवं स्पर्धात्मक परीक्षा’ की तैयारी करनेवाले विद्यार्थियों के लिए सद्गुरु डॉ. पिंगळे का ‘आनंदमय जीवन के लिए क्या करें ?’, इस विषय पर मार्गदर्शन आयोजित किया था । इस अवसर पर ‘शांति सेवा आश्रम’के संस्थापक श्री. चिंतामणी योगी उपस्थित थे । श्री. योगी ने सद्गुरु डॉ. पिंगळे का परिचय उपस्थितों को दिया ।
‘मष्टो कुलदेवता प्रतिष्ठान’के सदस्यों का सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने किया मार्गदर्शन !
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने ‘मष्टो कुलदेवता प्रतिष्ठान’के सदस्यों का मार्गदर्शन किया । इस अवसर पर ‘मष्टो कुलदेवता प्रतिष्ठान’के श्री. विष्णु बहादुर खडका बोले, ‘‘मैं भारत के अनेक संतों से मिला हूं । वे क्या मार्गदर्शन करते हैं, यही समझ में नहीं आता; परंतु सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी अचूक सूत्रबद्ध मार्गदर्शन करते हैं ।’’ सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी के प्रेमभाव के विषय में बोले, ‘‘मैं भारत जानेपर सद्गुरु डॉ. पिंगळे से कभी भी संपर्क नहीं करता; परंतु उनके नेपाल आने पर वे मुझे अवश्य संपर्क कर, मिलते हैं ।’’
‘हिमालिनी पत्रिका’की संपादिका डॉ. श्वेता दिप्ती एवं प्रबंध निर्देशक सच्चिदानंद मिश्रा ने ली भेट
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने ‘हिमालिनी पत्रिका’की संपादिका डॉ. श्वेता दिप्ती एवं प्रबंध निर्देशक श्री. सच्चिदानंद मिश्रा से भेट ली । इस अवसर पर उन्होंने ‘हलाल जिहाद’ के विषय में समझकर लिया । इस विषय पर तत्परता से जागृति करने के लिए उन्होंने ‘यू ट्यूब’ वाहिनी पर ‘हलाल जिहाद’ विषय पर सद्गुरु डॉ. पिंगळे का कार्यक्रम आयोजित किया ।
श्री नि:शेषानंद महाराजजी का हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य के विषय में गौरवोद्गारसद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने काभ्रे के विंध्यवासिनी आध्यात्मिक प्रतिष्ठान में श्री नि:शेषानंद महाराजजी की भेट ली । श्री नि:शेषानंद महाराजजी ने समिति के कार्य के विषय में गौरवोद्गार व्यक्त किए । श्री नि:शेषानंद महाराजजी की ओर से नेपाल में विविध स्थानों पर गुरुकुल चलाए जा रहे हैं । इस विषय में सद्गुरु डॉ. पिंगळे बोले, ‘‘गुरुकुल परंपरा सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए आवश्यक है ।’’ |
‘विश्व हिन्दू महासंघ, नारायणघाट’के फुलनाथ नेऊरे एवं प्रेम गैरे से भेट
‘विश्व हिन्दू महासंघ, नारायणघाट’के श्री. फुलनाथ नेऊरे एवं श्री. प्रेम गैरे ने हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे से मिले । इस अवसर पर बोलते हुए सद्गुरु डॉ. पिंगळे बोले, ‘‘धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा ज्ञान परंपरा से होती है । हमें धर्म, संस्कृति एवं परंपरा के विषय में चर्चा करते हुए अपना केंद्रबिंदु केवल और केवल धर्म ही होना चाहिए ।’’
‘इस्कॉन’ मंदिर के स्वामी पेट्रो की भेट
नारायणघाट के ‘इस्कॉन’ मंदिर के स्वामी पेट्रो से सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे की भेट हुई । सद्गुरु डॉ. पिंगळे बोले, ‘‘श्रीकृष्ण ने गीता में दैवीय संपदा, अर्थात सद्गुण एवं आसुरी संपदा (स्वभावदोष) के विषय में बताया । साधक को आध्यात्मिक उन्नति करने के लिए दोष दूर कर चित्तशुद्धि करना आवश्यक है ।’’ यह भेट ममता न्यौपाने के पहल करने से हुई ।
नेपाल में हिन्दू राष्ट्र लाने के लिए संघर्षरत श्री. प्रेमनिधि भारद्वाज से भेट
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने नेपाल में हिन्दू राष्ट्र लाने के लिए संघर्षरत श्री. प्रेमनिधी भारद्वाज से सदिच्छा भेट ली । इस अवसर पर उन्होंने हिन्दू राष्ट्र के लिए बलिदान देने की तैयारी दर्शाई । इस पर सद्गुरु डॉ. पिंगळे बोले, ‘‘हमें अभिमन्यू बनकर बलिदान नहीं देना है, अपितु अर्जुन बनना है । भक्तों की कभी बलि नहीं जाती; इसलिए भक्त बनना चाहिए । एक भक्त के लिए भी भगवान को प्रकट होना पडता है । हमें लडना नहीं है, अपितु भगवान हमें माध्यम बनाकर कार्य करे, इसलिए हमें उनका भक्त बनना है । जिसकी कुंडलिनी शक्ति एवं दिव्यता जागृत है, वह खरा जागृत है ।’’
‘फोरम ऑफ नेपालीज जर्नलिस्ट’के अध्यक्ष प्रा. निरंजन ओझा से भेट
सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने ३.०९.२२ को ‘फोरम ऑफ नेपालीज जर्नालिस्ट’के अध्यक्ष प्रा. निरंजन ओझा एवं ‘आदित्य वाहिनी’के श्री. दर्शन पनेरू की भेट ली । शिक्षणव्यवस्था के विषय में बोलते हुए श्री. ओझा बोले, ‘‘वर्तमान में शिक्षाव्यवस्था भी बच्चों पर ‘उनका देश अच्छा नहीं’, यह अंकित करती हुई प्रतीत होती है ।’’ इस पर सदगुरु डॉ. पिंगळे बोले, ‘‘वर्तमान में सुशिक्षित वर्ग सादा टूथपेस्ट कौनसा लेना है ? वह भी विज्ञापन देखकर निश्चित करता है । इससे उनका बौद्धिक दिवालियापन दिखाई देता है ।’’
दैनिक ‘समाचार नया पत्रिका’के वरिष्ठ संपादक श्री. परशुराम काफ्ले से भेट
दैनिक ‘समाचार नया पत्रिका’के वरिष्ठ संपादक श्री. परशुराम काफ्ले की सदगुरु डॉ. पिंगळे ने भेट ली । इस अवसर पर श्री. काफ्ले बोले, ‘‘इतने वर्ष आप आनेवाले आपातकाल के विषय में बताते हैं । तब मुझे लगता था कि अब तो सभी ठीक है, यह कैसे संभव है ? परंतु कोरोना महामारी आने पर समझ में आया कि आप जो कह रहे थे वह सत्य है ।’’ इस अवसर पर काफ्ले ने पंकज घिमिरे एवं ‘कांतिपुर मीडिया’के मनोज बस्नेत की भी सद्गुरु डॉ. पिंगळे से भेट करवाई ।
जिस कर्म से देहबुद्धि नष्ट होकर साधक आत्मबुद्धि में स्थिर हो जाए, वह कर्मयोग ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे यांनी कृष्ण प्रसाद शेडाय से आध्यात्मिक विषय पर चर्चा हुई । इस अवसर पर सद्गुरु डॉ. पिंगळे बोले, ‘‘गुरु मेरे साथ निरंतर हैं, ऐसा जिसे लगता है, वह शिष्य और भगवान मेरे साथ निरंतर हैं, ऐसा जिसे लगता है वह भक्त । जिस कर्म से देहबुद्धि नष्ट होकर साधक आत्मबुद्धि में स्थिर होते हैं, वह कर्मयोग; परंतु यह अखंड होना चाहिए । इस अनुभूति के लिए गुरु की आवश्यकता है ।’’
श्री पशुपतिनाथ मंदिर के मूल भट्ट श्री. गणेश रावल के आशीर्वाद
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने श्री पशुपतिनाथ मंदिर के मूल भट्ट श्री. गणेश रावल की भेट ली । इस अवसर पर उन्होंने वर्तमान में चल रहे हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य, हलाल जिहाद आदि के विषय में विस्तार से जानकर लिया । तदुपरांत उन्होंने पशुपतिनाथ के प्रसादरूपी चंदन एवं रुद्राक्ष की माला लेकर पहनाकर आशीर्वाद दिए ।
‘स्पिरिचुअल टूर्स’ आस्थापन के मालिक प्रा. भरत शर्मा से भेट !
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे एवं ‘स्पिरिचुअल टूर्स’ आस्थापन के मालिक प्रा. भरत शर्मा ने भेट ली । इस अवसर पर सद्गुरु डॉ. पिंगळे बोले, ‘‘स्वार्थ, सत्ता, स्त्री, अहंकार एवं धन, यह समाज के विभाजन का कारण है । राजनेता उसका लाभ लेकर लोगों को विभाजित करते हैं । समाज साधना करना छोड स्वार्थ में लिप्त हो जाता है, तब समाज में असुर बढते हैं ।’’
‘ओंकार टीवी’ दूरचित्रवाहिनी पर ‘श्राद्ध’ विषय पर विशेष चर्चासत्र का आयोजन
पितरों के छायाचित्र लगाने की धर्मपरंपरा का शास्त्रीय आधार नहीं ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे
‘ओंकार टीवी’ दूरचित्रवाहिनी पर वाहिनी के संस्थापक श्री. मुकुंद शर्मा ने ‘श्राद्ध’ इस विषय पर सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे का विशेष चर्चासत्र आयोजित किया । इस अवसर पर उन्होंने पितृपक्ष के विषय में शास्त्रीय जानकारी दी । इस विषय में समाज में फैली गलतधारणा को दूर करते हुए सद्गुरु डॉ. पिंगळे बोले, ‘‘जब तक एकत्र कुटुंब है, वित्तकोष एक है ओैर एक ही चूल्हे पर अन्न बनता है, तब तक केवल सबसे बडा अथवा सबसे छोटा पुत्र श्राद्ध करे, तो चलता है; परंतु कुटुंब विभक्त होने पर प्रत्येक पुत्र को श्राद्ध करना अपेक्षित है । घर में अथवा देवघर में पितरों का छायाचित्र लगाने की धर्मपरंपरा का कोई आधार एवं महत्त्व नहीं । पितरों के छायाचित्र लगाने से उनकी लिंगदेह उनके छायाचित्र की ओर आकृष्ट होती है । इसलिए उनके लिंगदेह को गति मिलने में बाधा उत्पन्न हो सकती है ।’’
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे के ज्ञानमोती
१. धर्माचरण न करना, यह एक प्रकार का साम्यवाद ही है ।
२. जीवन में गुरु एवं धर्म परंपरा होगी, तो सफलता अवश्य मिलेगी !
३. आत्मबल के आधार पर बुद्धिबल निर्माण करना चाहिए ।
४. बिना धर्म जाने भावनिक स्तर पर कार्य करने पर प्रायश्चित लेना होता है ।
५. भक्त होकर भी किसी में अहंकार होगा, तो उसे दंड मिलता है; परंतु भक्त होकर भी जिसमें अहंकार नहीं, तो गुरुकृपा है ।
६. आनेवाले काल में विज्ञान ही विनाश का कारण बननेवाला है ।