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पंजाब में ईसाई मिशनरियों द्वारा लाखों सिक्खों का धर्मांतरण !

14 वर्ष पूर्व केवल ३ सदस्योंवाले चर्च के आज के समय बन गए ३ लाख सदस्य !

चंडीगढ (पंजाब) – ‘इंडिया टुडे’ नियतकालिक की ओर से पंजाब में तीव्रगति से हो रहे ईसाई धर्मांतरण पर प्रकाश डाला गया है । पंजाब राज्य में ६५ सहस्र पादरियों ने राज्य के सभी २३ जिलों में लाखों सिक्खों का धर्मांतरण किया है । इसके कारण ही ‘अकाल तख्त’ के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने राज्य की आप सरकार ने धर्मांतरणविरोधी कानून बनाने की मांग की है । ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘‘ईसाई मिशनरी कथित चमत्कार दिखाकर रोगियों पर उपचार करने का भ्रम फैला रहे हैं । इस माध्यम से सिक्खों एवं हिन्दुओं से धोखाधडी कर उनका धर्मांतरण किया जा रहा है । इसके लिए विदेशों से बडे स्तर पर पैसा आ रहा है । सरकार की ओर से वोटबैंक की राजनीति की जाने के कारण उन पर कार्यवाही नहीं की जाती ।’’

१. जालंधर जिले के खांबडा गांव में बनाए गए चर्च में सहस्रों लोग प्रार्थना के लिए आते हैं । इसके पीछे पादरी अंकुर नरूला का हाथ है तथा उन्होंने स्वयं वर्ष २००८ में धर्मांतरण किया है । आगे जाकर उन्होंने अन्य लोगों के धर्मांतरण का दायित्व लेकर ‘अंकुर नरूला मिनिस्ट्री’की स्थापना की । उसके उपरांत ‘चर्च ऑफ साइंस एंड वंडर्स’ भी आरंभ किया । वर्ष २००८ में जहां केवल ३ सदस्योंवाले इस चर्च के आज के समय में ३ लाख से भी अधिक सदस्य हैं, इसका अर्थ विगत १४ वर्षाें में ३ लाख से अधिक सिक्खों एवं हिन्दुओं का धर्मांतरण किया गया है । यह संस्था ‘माजा’ एवं ‘दोआबा’ इन परिसरोंसमेत मालवा स्थित फिरोजपुर, साथ ही फाजिल्का के सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिक सक्रिय है ।

२. वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार पंजाब राज्य में ईसाईयों की कुल जनसंख्या ३ लाख ४८ सहस्र थी । आज अकेले ‘नरूला मिनिस्ट्री’ की सदस्यसंख्या ही ३ लाख से अधिक है । ईसाई मिशनरियों के जाल में फंसने के कारण उन्हें ‘पगडीवाले ईसाई’ कहा जाता है ।

३. इस वर्ष के आरंभ में पंजाब में हुए चुनाव में एक ऐसा बडा वर्ग था, जो स्वयं को दलित एवं ईसाई कहलवाता था । इससे भी धर्मांतरण का जाल कितना विस्तारित हुआ है, यह स्पष्ट होता है ।

४. ‘युनाइटेड ख्रिश्चन फ्रंट’ के आंकडों के अनुसार पंजाब के १२ सहस्र गावों में से ८ सहस्र गावों में ईसाईयों ने समितियों का गठन किया है । अमृतसर एवं गुरदासपुर इन दो जिलों में ६०० से ७०० चर्च हैं, जिन में से ६०-७० प्रतिशत चर्च पिछले ५ वर्षाें में बनाए गए हैं ।

५. ८०-९० के दश में यही स्थिति तमिलनाडू एवं आंध्रप्रदेश जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में थी । इससे पंजाब किस दिशा में अग्रसर है, यह स्पष्ट होता है ।

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