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श्रीलंकामें बौद्ध भिक्षुद्वारा गोहत्याका विरोध करनेके विरोधके लिए आत्मदाह

ज्येष्ठ कृष्ण ३ , कलियुग वर्ष ५११५

कितने हिंदू गोहत्या रोकने हेतु प्रदर्शन समान आंदोलन करते हैं ?

कंडी (श्रीलंका) : यहांके प्रसिद्ध सेंट्रल टाऊन परिसरके बौद्ध मंदिरके बाहर एक बौद्ध भिक्षुने गोहत्या रोकने हेतु स्वयंको आग लगा ली, जिसमें वह गंभीर रूपसे घायल हो गया है ।  कोलंबो राष्ट्रीय रुग्णालयमें उसका उपचार किया जा रहा है । (गोहत्या रोकने हेतु बौद्ध भिक्षुद्वारा किया गया प्रयास गोप्रेमियोंके लिए सदैव आदर्श रहेगा ! – संपादक) `डेली मेल’ अंग्रेजी समाचारपत्रद्वारा प्रकाशित समाचारमें कहा गया है कि आत्मदाह करनेवाले इस बौद्ध भिक्षुने इस संदर्भमें अन्य भिक्षुओंको  पूर्वमें ही सूचित किया था । 
श्रीलंका बौद्ध देश है । बौद्ध धर्ममें प्राणियोंकी हत्या करना प्रतिबंधित है । तब भी श्रीलंकाके बौद्ध मांस खाते हैं । इनमें गोमांस खानेवाले लोगोंकी संख्या अल्प है, क्योंकि वे गायको पवित्र मानते हैं । तब भी यहां होनेवाली गोहत्याका विरोध करने हेतु बौद्ध भिक्षुने आत्मदाह किया । (बौद्ध धर्ममें हिंसाका विरोध किया गया है । तब भी बौद्धोंके इतिहासमें उन्हें भारी मात्रामें  हिंसाचार दिखाई देता है । यहांके तामिल हिंदुओंपर उनका किया अत्याचार वर्तमान समयमें सबसे बडा उदाहरण है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 

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