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स‍र्वोच्च न्यायालय ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग के उच्च न्यायालय के आदेश पर लगाई रोक

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स‍र्वोच्च न्यायालय ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मसाजिद कमेटी की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। इस दौरान शीर्ष अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग सहित वैज्ञानिक परीक्षण पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है।

स‍र्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश में संबंधित निर्देशों का क्रियान्वयन अगली तिथि तक स्थगित रहेगा। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और हिंदू याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं।

उच्च न्यायालय ने दिया था कार्बन डेटिंग का आदेश

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग के वैज्ञानिक परीक्षण कराने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने स‍र्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। ऐसे में शीर्ष अदालत ने कार्बन डेटिंग पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 मई को ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की प्राचीनता का पता लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की निगरानी में कार्बन डेटिंग का आदेश दिया था। हालांकि, मस्जिद के अधिकारियों ने कहा कि संरचना ‘वजू खाना’ में एक फव्वारे का हिस्सा है, जहां नमाज से पहले वजू किया जाता है।

स्रोत : जागरण


17 मई

ज्ञानवापी मस्जिद के संपूर्ण परिसर की ASI जांच की याचिका हुई मंजूर, 22 मई को होगी सुनवाई

वाराणसी – ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में मिले शिवलिंग के ASI सर्व का आदेश हाईकोर्ट से दिए जाने के बाद अब हिंदू पक्ष के द्वारा शिवलिंग के साथ पूरे ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे किए जाने की मांग की गई है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने इस मांग को लेकर मंगलवार को जिला अदालत में याचिका दाखिल किया है। जिसमे मांग किया गया है कि ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वेक्षण करवाया जाए। इसमें खासकर विवादित ज्ञानवापी मस्जिद के पश्चिमी दिवारी की जांच पर ज्यादा जोर दिया गया है। क्योंकि ज्ञानवापी के पश्चिमी दीवार से ही मां श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी केस का पूरा विवाद जुड़ा हुआ है।

वाराणसी के जिला अदालत में याचिका मंजूर होने के बाद इस पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 22 मई नियत की गई है। वही इस मामले को लेकर मुस्लिम पक्ष के द्वारा 19 मई को आपत्ति दर्ज किया जा सकता है। जिला अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे की याचिका मंजूर होने को लेकर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि राणा पीबी सिंह की किताब, ट्रवेलर्स और कई विद्वानों की किताबों में इस बात का जिक्र है कि यह हिंदू मंदिर का भग्नावशेष है। कमीशन की कार्रवाई में जो फैक्ट मिले हैं, वो सब हिंदू मंदिर के हैं।

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर के केस में 2002 में ASI ने सर्वे रिपोर्ट स‍र्वोच्च न्यायालय में साक्ष्यों को प्रस्तुत किया था। उक्त स्थान पर ASI की जांच में 14 कसोटी के पिलर मिले थे, जिस पर बाबरी मस्जिद बनी थी। जिसके आधार पर भगवान श्री राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला दिया गया था और अब राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। वैसे ही जब ज्ञानवापी में ASI जांच करेगी, तो उम्मीद से परे चीजें निकलकर बाहर आएंगी और पूरी देश के सामने सच्चाई सामने आएगी। याचिका स्वीकार होने के पश्चात अब 22 मई को इस मामले पर अगली सुनवाई की जाएगी। वही इस पूरे मामले में कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को आपत्ति दाखिला करने के लिए 19 मई तक का समय दिया गया है। मस्जिद कमेटी को आवेदन की कॉपी दी गई।


12 मई

हिन्दू ‘आस्था’ की बडी जीत, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ‘शिवलिंग’ के वैज्ञानिक सर्वे का दिया आदेश

वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय से हिंदू पक्ष को बड़ी जीत मिली है। ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) को परिसर में पाए गए ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग करने की अनुमति दी है। कार्बन डेटिंग के जरिए कथित शिवलिंग का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की मांग को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी, जिसपर आज उच्च न्यायालय का फैसला आया है।

साइंटिफिक सर्वे से क्या फायदा

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि ASI को ‘शिवलिंग’ को बिना नुकसान पहुंचाए यह सर्वे करना होगा। साइंटिफिक सर्वे के जरिए यह पता लगाना आसान होगा कि जिसे शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है वो वास्तविक में शिवलिंग है या कुछ और। साथ ही ‘शिवलिंग’ कितना पुराना है, इसका भी पता चल जाएगा।

हिंदू पक्ष ने क्या कहा

ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा के अधिकार की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि कथित ‘शिवलिंग’ कितना पुराना है, क्या यह वास्तव में ‘शिवलिंग’ है या कुछ और।

इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एएसआई से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग से उसे नुकसान पहुंच सकता है? जिसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कल सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। याचिका हिंदू पक्ष की महिलाओं की ओर से दायर की गई थी। याचिका में वाराणसी के जिला जज के आदेश को चुनौती दी गई थी। वाराणसी की अदालत ने 14 अक्टूबर, 2022 को कथित तौर पर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पाए गए शिवलिंग जैसी संरचना की वैज्ञानिक जांच कराने के लिए हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था

हिंदू पक्ष का दावा

हिंदू पक्ष का दावा है कि जो संरचना मस्जिद के अंदर मिली है, वो शिवलिंग है, वहीं ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने कहा है कि यह एक फव्वारा है। हिंदू पक्षकारों ने कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग की मांग की थी, जो ज्ञानवापी मस्जिद में एक अदालत के आदेश पर वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान मिला था।


16 दिसंबऱ 2022

उच्च न्यायालय में मंदिर पक्ष का दावा : ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी की पूजा 1993 में रोकी गई थी

वाराणसी ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी पूजा अनुमति के खिलाफ याचिका की सुनवाई जारी है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका की सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे जे मुनीर कर रहे हैं।

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु जैन के अनुसार, जिला प्रशासन ने 1993 में आजादी से पहले से चली आ रही श्रृंगार गौरी की पूजा रोक दी। कानून में पूजा का अधिकार सिविल अधिकार है। जिसकी सुनवाई करने का सिविल कोर्ट को अधिकार है। हिंदू विधि के अनुसार मंदिर ध्वस्त होने के बाद भी जमीन का स्वामित्व मूर्ति में निहित रहता है। मूर्ति एक विधिक व्यक्ति हैं। जिसे अपने अधिकार की रक्षा के लिए वाद दायर करने का अधिकार है।

जैन ने कहा काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास एक्ट के तहत ज्ञानवापी परिसर पर स्वामित्व मंदिर का है। ज्ञानवापी एक मोहल्ला है। ज्ञानवापी नाम की कोई मस्जिद नहीं है। आलमगीर मस्जिद ज्ञानवापी से तीन किलोमीटर दूर बतायी जाती है। विवादित मस्जिद को आलमगीर मस्जिद का नाम दिया गया है। मंदिर की जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित करना गैर कानूनी है।

जैन ने यह भी कहा श्रृंगार गौरी की पूजा आजादी से पहले से होती आ रही है। प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट धार्मिक स्थल की प्रकृति में बदलाव पर रोक लगाता है। शासन ने पूछा बिना विधिक अधिकार के रोक दी है। पूजा की अनुमति मिलने से धार्मिक स्थल की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं होगा। अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी ने कहा कि, वह पता लगा रहे हैं कि 1993 में पूजा रोकने का आदेश लिखित है या नहीं। जिसकी जानकारी कोर्ट को दी जाएगी।

मुस्लिम पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी का कहना है कि, श्रृंगार गौरी की साल में एक दिन पूजा होती रही है। उस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। सिविल वाद चतुराई से मस्जिद के भीतर पूजा की इजाजत लेने के लिए दाखिल किया गया है, जो प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ  है। सुनवाई जारी है।


17 न‍वंबर

ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष की जीत, कोर्ट ने कहा – परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग का केस सुनवाई योग्य

वाराणसी – ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को एक और झटका लगा है। जिला कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। जिला कोर्ट ने 7 नवंबर की याचिका खारिज की है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के योग्य माना है।

ज्ञानवापी मामले में बड़ी खबर आई है। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष (अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी) की याचिका खारिज कर दी है। वहीं फास्ट ट्रैक कोर्ट ने वादी किरण सिंह की याचिका को स्वीकार कर लिया है।

न्यायालय ने साफ कर दिया है कि इस याचिका पर सुनवाई संभव

ज्ञानवापी केस में वाराणसी न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने उस मामले को पोषणीय माना है और इसी आधार पर याचिका को खारिज किया है। मुस्लिम पक्ष की ओर से जोर देकर कहा गया था कि, ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, लेकिन न्यायालय ने साफ कर दिया है कि इस याचिका पर सुनवाई संभव है।

इसी वजह से मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज किया गया है। हिंदू पक्ष के वकील अनुपम दिवेदी ने आज तक को बताया कि अगली तारीख 2 दिसंबर रखी गई है जब इस मामले में सुनवाई शुरू होगी। विश्व वैदिक सनातन संघ के के कार्यकारी अध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा की यह हमारी बड़ी जीत, अब सुनवाई के बाद हमारी मांगे भी मानी जाएंगी यही उम्मीद।

यह मुकदमा विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन की पत्नी किरन सिंह विसेन और अन्य की ओर से दाखिल किया गया है। न्यायालय में हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपनी बहस पूरी कर उसकी लिखित प्रति दाखिल कर चुके हैं।

6 मुकदमे खत्म कराने को रची गई साजिश

विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन का कहना है कि उनकी देखरेख में ज्ञानवापी से संबंधित 6 मुकदमे लड़े जा रहे हैं। उन्हें आशंका है कि कुछ लोगों की साजिश से सभी उनकी देखरेख वाले सभी मुकदमे खत्म हो जाएंगे। काशीवासियों को सावधान होने की जरूरत है। ज्ञानवापी को बेचने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। यदि साजिश को अभी काशी के लोग नहीं समझ पाएंगे तो आगे कभी नहीं समझ पाएंगे।

स्रोत : इंडिया टीवी

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