ज्येष्ठ कृष्ण ४ , कलियुग वर्ष ५११५
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प्रयागराज – यहांपर समर्थ संगठन एवं हिंदू जनजागृति समितिद्वारा संयुक्त रूपसे आयोजित `भारतको आंतरिक एवं बाह्य धोखा’ विषयपर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कार्यक्रममें आवाहन करते समय जनता पक्षके अध्यक्ष डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामीने कहा कि आज चीनके ४० सैनिकोंसे हम भयभीत हो गए । चीनको इंडोनेशिया एवं सुमात्रा मार्गसे घेरनेकी रणनीतिका उपयोग करना होगा । चीनको उत्तर देने हेतु कूटनीतिका उपयोग करना होगा । उसे आर्थिक दृष्टीसे शक्तिहीन करनेके लिए हमें अपनी शक्तिका उपयोग करना होगा । कार्यक्रममें धर्माभिमानी हिंदू भारी संख्यामें सम्मिलित थे ।
डॉ. स्वामीने आगे कहा कि घुसपैठ एवं आतंकवादके कारण देशका अस्तित्व संकटमें है । कश्मीरसे साढेचार लाख हिंदुओंको पलायन करनेके लिए विवश किया गया है । जब देशमें कहीं भी अल्पसंख्यकोंकी संख्या बढती है, उस समय ऐसी घटनाएं होती हैं एवं राजनीतिक दल मतोंकी राजनीतिके कारण ऐसी घटनाओंका समर्थन करते हैं । राजनीतिक दृष्टीकोणसे हमारी मानसिकता अनुचित होती जा रही है; क्योंकि मतदान करते समय हमें इस बातका विस्मरण होता है कि हमारा प्रत्याशी कौनसी मानसिकताका है ? क्या वह देशका विचार करता है अथवा स्वयंका ? देशके नेतृत्वको आदेश देना एवं आज्ञा स्वीकार करना इसमें क्या अंतर है यह ज्ञात नहीं है । शोधन करनेपर पता चला है कि कश्मीरसे कन्याकुमारी एवं गुजरातसे अरुणाचल प्रदेशकी जनताका डीएनए एक ही है ।
भारतके भूतपूर्व राजदूत ओमप्रकाश गुप्तने कहा कि भारत सरकार घुसपैठियों एवं तस्करोंको रबडकी गोलीसे मारनेका आदेश दे रही है । आसाम एवं ईशान्य दिशाके राज्योंको दुर्बल किया जा रहा है । देशको सशक्त राजनेताओंकी आवश्यकता है ।
भूतपूर्व न्या. शंभुनाथ श्रीवास्तवने कहा कि जब हमें स्वतंत्रता मिली थी, उस समय भारतमें गोवंशकी संख्या १२० करोड थी । अब केवल १२ करोड गोवंश शेष है । ८० प्रतिशत गोवंशोंकी प्रजातियां नष्ट हो चुकी हैं ।
क्षणिका :
इस अवसरपर बांग्लादेशकी घुसपैठकी समस्या एवं उसपर समाधानके विषयमें बनाए गए सूचनापटका प्रसारण किया गया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात