लैपिड द्वारा उनके विधान पर क्षमा मांगने के उपरांत अब पुन: इस प्रकार से अन्य ३ परीक्षकों का कहना अर्थात यह एक बडे षडयंत्र का भाग है, ऐसा ही लगने लगा है ! केंद्र सरकार द्वारा इसकी खोज करना आवश्यक है ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति
नई देहली – गोवा में हुए अंतर्राष्ट्रीय चित्रपट महोत्सव में दिखाई गई ‘कश्मीर फाइल्स’ के अश्लील होने की टिप्पणी इस्राइल के चित्रपट दिग्दर्शक और महोत्सव के ५ सदस्यीय परीक्षक मंडल के अध्यक्ष नदाव लैपिड ने की थी । इस पर टिप्पणी होने के उपरांत उन्होंने क्षमा भी मांगी थी; तो भी यह प्रकरण रुका नहीं । अब इस महोत्सव के परीक्षकों में से ३ परीक्षकों ने लैपिड के विधान का समर्थन किया है । इस पहले ५ वें परीक्षक सुदीप्तो सेन ने लैपिड के विधान का समर्थन न करने की बात कही है ।
Sudipto Sen, the lone Indian in the jury board of IFFI, maintained that the remarks made by Israeli filmmaker #NadavLapid about "The Kashmir Files" were his personal opinion even as 3 other co-jurors came out in support of the jury head.https://t.co/pHouXSrUj5
— Hindustan Times (@htTweets) December 4, 2022
परीक्षक मंडल के जिंको गोटोह ने ट्वीट कर कहा है कि, ऐसे कलात्मक महोत्सव में १५ वें क्रमांक पर दिखाई गई ‘कश्मीर फाइल्स’ यह प्रचार से भरा चित्रपट देखकर हमें धक्का पहुंचा । इस महोत्सव में ऐसे चित्रपट को नहीं लेना चाहिए था । मैं और अन्य दो लोग ( फ्रान्स के चित्रपट निर्माता और पत्रकार जाव्हीर न्ग्युलो बार्तुरेन और फ्रेंच चित्रपट संकलक पास्कल चाव्हान्स) लैपिड के मत से सहमत हैं । हमारा यह मत अर्थात चित्रपट में जो दिखाया है, इस पर राजनीतिक मत नहीं, तो केवल कलात्मक दृष्टीकोण से रखा विचार है । चित्रपट महोत्सव में व्यासपीठ का प्रयोग राजनीति के लिए होना और इसके उपरांत नदाव पर व्यक्तिगत टिप्पणियों द्वारा आक्रमण होना, यह दु:खद है । हम परीक्षकों का वैसा उद्देश्य नहीं था ।
स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात