मध्य प्रदेश में धर्मांतरण का खेल : सिंदूर मिटाया, मंगलसूत्र निकलवाया, देवताओं के फोटो पानी में बहाए

मिशनरियों ने कहा – ‘बपतिस्मा हो गया, अब तुम हिंदू नहीं रहे’

येशू भवन में बुलाया। पानी से भरे गड्‌ढे में डुबकी लगवाई। सिंदूर-बिंदी, चूड़ी और मंगलसूत्र निकलवा दिया। घर में रखे देवी-देवताओं के फोटो पानी में विसर्जित करवाए। बोले- तुम लोगों का बपतिस्मा (धार्मिक अनुष्ठान) संपन्न हो गया। आज से तुम ईसाई हो। धर्मांतरण के चक्रव्यूह में फंसी ये कहानी दमोह के भैरव बहर गांव की उमा अहिरवार (36) की है।

उमा कहती हैं कि हिंदू धर्म में वापसी के लिए समाज को सहभोज कराना है। अभी की हालत में न तो मैं हिंदू हूं और न ईसाई। उमा की ही तरह दमोह में 20 से ज्यादा लोगों का धर्मांतरण हो चुका है। यह मामला हाल ही में तब चर्चा में आया, जब एक परिवार पुलिस के पास पहुंचा। पुलिस की SIT बनाई। जांच में खुलासा हुआ दमोह जिले का यीशु भवन भवन धर्मांतरण का केंद्र बना हुआ है। धर्मांतरण कराने वाली संस्था केरल की है। इस संस्था से जुड़े 8 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है। दो आरोपी दिल्ली से गिरफ्तार हो चुके हैं।

गिरफ्तार किए गए लोग यीशु भवन में आगामी 25 दिसंबर को क्रिसमस पर करीब 500 लोगों का धर्म परिवर्तन कराने वाले थे, लेकिन कुछ लोगों के विरोध ने पोल खोल दी। दैनिक भास्कर ने इस मामले की पड़ताल की तो धर्मांतरण से जुड़ी चौंकाने वाली बातें सामने आईं।

हिंदू से ईसाई बनी, अब फिर हिंदू होना चाहती है…

उमा न हिंदू है, न ईसाई। पहले वो हिंदू से ईसाई हुई और अब ईसाई से हिंदू होना चाहती है, लेकिन हिंदू बनने के लिए उसे समाज को भोज कराना है। पैसों की तंगी के चलते उसका कोई धर्म नहीं है। इसी परिवार की हिम्मत से धर्मांतरण के खेल का खुलासा हुआ है।

दमोह जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर कटनी बायपास से लगी मराहार की पहाड़ी है। इसी पहाड़ी से लगा यीशु भवन है। ये भवन केरल की ईसाई मिशनरी की ओर से संचालित है। आरोप है कि यहां गरीबी और दूसरी समस्याओं से परेशान निरक्षर लोगों को लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन किया जा रहा था। 13 नवंबर को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो दमोह पहुंचे थे। वे यहां मिड इंडिया ईसाई सर्विसेस के नाम पर दिव्यांग बच्चों के लिए चलाए जा रहे छात्रावासों का निरीक्षण करने गए थे। छात्रावास में क्या मिला ? इसका जिक्र आगे है। प्रियंक कानूनगो जब दमोह के देहात थाने पहुंचे तो धर्मांतरण के शिकार परिवार उनसे मिलने पहुंचे थे। उनकी शिकायत पर पुलिस ने 10 दिन बाद 8 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की। दैनिक भास्कर टीम ने शिकायत दर्ज कराने वाले राजेश अहिरवार से धर्मांतरण के मामले में बात की। राजेश अभी लोडिंग ऑटो चलाते हैं और उनकी पत्नी उमा बाई ब्यूटी पार्लर चलाती हैं। दो बेटियों में एक 12वीं में और दूसरी 9वीं में पढ़ रही है।

लालच देकर हिंदू से ईसाई बनाया, अब वो न हिंदू न ईसाई

राजेश अहिरवार बताते हैं कि बात 2013 की है। तब मैं राज मिस्त्री का काम करता था। एक दिन दमोह मछली मार्केट से किराने की सामान लेने गया था, वहां मुझे बाबू सर मिले। उन्होंने कहा कि बराहार में भवन और टैंक बनाना है, कुछ लोगों को लेकर पहुंचो। हम छह-सात लोग थे, अगले दिन से हम काम करने पहुंच गए, तो पता चला कि जहां काम करना है वह यीशु भवन भवन था। चारों ओर कटीले तारों की फेंसिंग की गई थी। गेट पर चौकीदार कक्ष था। पूरे परिसर में CCTV कैमरे लगे थे। वहां हमने छह महीने तक काम किया। इस दौरान वो हम पर खूब डोरे डालते ताकि हम धर्मांतरण के लिए तैयार हो जाएं। काम के बदले मजदूरी के साथ दोनों वक्त का खाना भी देते थे। खिलाने से पहले ईसाई प्रार्थना करवाते थे। ईसाई पास्टर हमारे सिर पर और माथे पर हाथ फेरते हुए आंख बंद कर कुछ बुदबुदाते थे। इस दौरान हमारा ब्रेनवॉश करने का प्रयास करते थे। वे हमें बताते थे कि ईसाई धर्म में कई खूबियां हैं। कहते थे कि ईसाई धर्म अपनाने वालों की सारी चिंता समाज करता है। पैसे से लेकर शादी-विवाह, बच्चों की पढ़ाई, घर आदि सारी जरूरतें पूरी करता है। फिर हमें फंसाने के लिए पैसों से भी मदद करने लगे।

13 अप्रैल 2014 को बपतिस्मा कराया

इसके बाद 13 अप्रैल 2014 को हमारा बपतिस्मा कराया। तारीख याद होने की वजह पूछने पर कहा कि भवन के पास्टर (पादरी) ने एक कागज पर लिखकर ये तारीख दी थी। वो बोले थे कि जब बच्चों का बपतिस्मा होगा तो इस तारीख की जरूरत पड़ेगी। खैर बताई गई तारीख के मुताबिक मैं अपनी पत्नी उमा बाई, पप्पू ठाकुर, उसके बेटे अभि और कोमल यादव को लेकर पहुंचा। हमें भवन में बनी एक पानी की टंकी में पास्टर के. बिज्जू ने डुबा दिया। सिर पर हाथ रखकर प्रार्थना करते रहे। इसके बाद मंगलसूत्र, पायल, बिंदी और मौली धागा खुलवा दिया। हमारे घर की देवी-देवताओं के फोटो को पानी में डलवा दिए। इसके बाद बोले कि तुम लाेगाें का बपतिस्मा हो गया। आज से तुम ईसाई हो। प्रभु यीशु के अलावा अपने से बड़े या किसी अन्य के सामने शीश नहीं झुकाना। इसके बदले में हमें 5–5 हजार रुपए भी दिए थे।

जैसे ही जाति पता चली तो करने लगे भेदभाव

मैं और मेरा परिवार एक तरह से ईसाई बन चुका था, लेकिन हम पूरे मन से उसे स्वीकार नहीं कर पा रहे थे। हिंदू धर्म छोड़ने के कारण रिश्तेदार और समाज के लोग भी दूरी बनाने लगे थे। भवन के. बिज्जू, फिलिप्स मैथ्यू, रिनू मैथ्यू, थामस, नेनान थामस, साजन अब्राहम, निधि थामस व अप्पू थामस हम पर और परिवारों को बुलाने का दबाव डालने लगे। इसके बाद हमारे बच्चों का बपतिस्मा कराने के लिए आधार कार्ड मांगे। उसमें जाति का जिक्र था। इसे देखकर वे भड़क गए। इसके बाद मेरी पत्नी उमा को भवन की रसोई से हाथ पकड़कर बाहर कर दिया। पहले हमें कुर्सियां मिलती थीं, इस खुलासे के बाद दरी पर बैठाने लगे।

पैसे देकर मदद की, फिर चार गुना मांगने लगे

राजेश अहिरवार के मुताबिक दमोह-जबलपुर नाके पर उसका एक्सीडेंट हो गया था। जबलपुर के एक निजी अस्पताल में भवन की ओर से उसका इलाज कराया गया। इसमें 70 हजार रुपए खर्च हुए थे। इसकी जानकारी मुझे छह महीने बाद दी गई। राज मिस्त्री का काम छोड़कर मैंने लोडिंग ऑटो लिया और उसे चलाने लगा। लॉकडाउन में किस्त भरने के लिए भवन से 1.32 लाख रुपए मिले थे। 90 हजार मैं लौटा चुका हूं। इलाज के 70 हजार और बाकी 42 हजार रुपए और देने हैं। भवन जाना बंद कर दिया, तो वे इस रकम के एवज में चार गुना लौटाने का दबाव डालने लगे। कुछ दिन पहले वे मेरी पत्नी के ब्यूटी पार्लर पर पहुंच गए, वहां हंगामा करते हुए बोले कि हमारा पैसा अभी लौटाओ। इसके बाद हम SP ऑफिस शिकायत करने पहुंचे थे। SP ने मामले की जांच CSP अभिषेक तिवारी को सौंपी थी। उन्होंने बयान लिए और 23 नवंबर को FIR दर्ज की गई।

8 पर FIR, दिल्ली से दो गिरफ्तार

दमोह SP ने इस मामले में SIT गठित की है। CSP भावना दांगी को SIT का प्रभारी बनाया है। FIR में के. बिज्जू, फिलिप्स मैथ्यू, रिनू मैथ्यू, थामस, नेनान थामस, साजन अब्राहम, निधि थामस और अप्पू थामस आरोपी बनाए गए हैं। सभी के खिलाफ छेड़छाड़, धमकी देने, पॉक्सो एक्ट, SC-ST एक्ट, धार्मिक संस्था दुरुपयोग निवारण अधिनियम 1988, मप्र धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021, मप्र विशेष सुरक्षा अधिनियम 2000 का उल्लंघन के प्रकरण दर्ज किए गए हैं। SIT ने 10 दिसंबर को दो आरोपी के. बिज्जू और फिलिप्स मैथ्यू को दिल्ली से गिरफ्तार किया। अन्य फरार चल रहे हैं। कुछ के विदेश भागने की भी बात कही जा रही है। भवन में ताला लगा हुआ है।

धर्मांतरण के लिए ऐसे फंसाते थे भवन के लोग

धर्मांतरण के लिए यीशु भवन के पादरी और अन्य सदस्य कैसे लोगों को फंसाते थे, ये जानने भास्कर टीम भैरव बहर निवासी दुर्गा अहिरवार के घर पहुंची। दुर्गा आंगन में पापड़ बना रही थीं। धर्मांतरण का जिक्र करते हुए बोली कि मैं 32 साल की हो चुकी हूं। पति लालचंद मजदूरी करते हैं। मैं भी घर पर बीड़ी बनाती हूं। 2004 में हमारी शादी हुई थी, लेकिन 18 साल बाद भी हमें औलाद नहीं हुई। 2014-15 में हमारे घर यीशु भवन के पादरी और दूसरे लोग आने लगे। हमसे बोले कि हमारे धर्म के अनुसार पूजा-पाठ करोगी तो बच्चे हो जाएंगे। औलाद की चाह में मैं भी उनके भवन जाने लगी। कई दिनों तक गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। वे हमें किताब पढ़ने को देते थे, लेकिन मैं तो पढ़ना नहीं जानती हूं, उसे नहीं समझ पाती थी।

वे कहते थे कि ईसाई धर्म स्वीकार कर लो, बच्चे हो जाएंगे, लेकिन इसके बाद तुम अपने भगवान की पूजा नहीं कर सकती हो। तुम समझ लेना कि दुनिया के लिए तुम मर गई हो। प्रभु यीशु के सामने सिर झुकाना और किसी के नहीं। किसी का पैर तक नहीं छूना है। किसी के अंतिम संस्कार में भी नहीं जाना है। हिंदुओं से जुड़ा कोई त्योहार नहीं मना सकती। मैंने अपने पति और बम्होरी में रह रहे सास जानकी बाई और ससुर भूरे अहिरवार से बात की। उन लोगों ने मना कर दिया और कहा कि हमें हिंदू धर्म में ही रहना है। उनकी सलाह मानी तो मैं ईसाई होने से बच गई।

ईसाई लड़की से शादी कराई, खूब दहेज दिया

भैरव बहर गांव निवासी राजेश अहिरवार के पड़ोसी भरत विश्वकर्मा ने भी भवन के प्रभाव में आकर हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था। भरत स्कूल वाहन चलाते हैं। उनका घर बनवाने से लेकर पाटन निवासी ईसाई युवती निशा चढ़ार से 2021 में शादी भी कराई थी। दहेज में टीवी, बाइक सहित कई महंगे गिफ्ट मिले थे। निशा कुछ ही महीने भरत के साथ रही। जब वह गर्भवती हुई तो मायके गई और उसके बाद नहीं लौटी अब वह बेटे के साथ मायके में ही रह रही है। भरत के मुताबिक निशा और उसके परिजन कहते हैं कि भवन के लोग कहेंगे, तभी तुम्हारे घर आऊंगी। धर्म परिवर्तन के बारे में भरत ने बताया कि पहले भवन के लोग बहलाते–फुसलाते हैं। नौकरी दिलाने का लालच देते हैं। उनके यहां काम करने जाते थे। एक दिन बोले कि हमारे यहां रीति–रिवाज है कि टंकी में नहाना पड़ेगा। इसके बाद हाथ पकड़ कर टंकी में डुबा दिया। फिर बाहर निकाला। चर्च में बिठाकर गिलास में कुछ पीने को दिया। फिर रोटी का टुकड़ा खाने को दिया। इसके बाद फोटो खींच कर बोले कि तुम ईसाई बन चुके हो।

25 दिसंबर को धर्म परिवर्तन का बड़ा जलसा होने वाला था

दमोह जिला कोर्ट के वकील श्याम सुंदर विश्वकर्मा ने बताया कि सभी परिवारों को हिंदू धर्म में वापसी के लिए जल्द ही एक आयोजन किया जाएगा। कई वर्षों से ईसाई धर्म के लोग मराहार में ऐसे स्थल बना रखे हैं, जहां धर्मांतरण कराया जा रहा था। पूर्व में भी शिकायत आ रही थी, लेकिन शासन-प्रशासन ने कभी ध्यान नहीं दिया। अभी 25 दिसंबर को यहां धर्म परिवर्तन का बड़ा आयोजन होने वाला था। इसे लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। बाहर के प्रदेशों से भी लोगों को बुलाने की तैयारी थी। इसके चलते पूरा मामला सामने आ सका। इसके बाद कुछ पीड़ित परिवार सामने आए और धर्म परिवर्तन का पूरा खेल उजागर हो गया।

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने निरीक्षण में क्या पाया

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो 13 नवंबर को दमोह पहुंचे थे। उन्होंने सबसे पहले आयोग के प्रदेश अध्यक्ष और जिला स्तरीय समिति सदस्यों के साथ बैठक की। वकील एवं बाल संरक्षण आयोग के जिला स्तरीय समिति के सदस्य दीपक तिवारी के मुताबिक उन्हें नाबालिगों के धर्म परिवर्तन की कुछ शिकायतें मिली थीं। वे हमारे साथ बाइक से सबसे पहले बाइबिल कॉलेज पहुंचे। वहां छात्रावास में डिंडौरी निवासी 17 वर्षीय किशोर मिला। उसे पास्टर बनने की शिक्षा दी जा रही थी। वह आदिवासी परिवार से है। पिता से बात की गई तो पता चला कि उसे संस्कृत की शिक्षा दिलाने की बात कह कर दमोह लाया गया था। फिलहाल उसे डिंडौरी चाइल्ड लाइन की देखरेख में रखवाया है। प्रियंक कानूनगो के मुताबिक शिक्षा से विमुख करना धर्मांतरण और ह्यूमन ट्रैफिकिंग दोनों का मामला बनता है।

धारा क्या लगाएं, ये तय करने में चार घंटे लग गए

प्रियंक कानूनगो जांच के बाद पहले देहात थाना के चौकी पहुंचे। इसके बाद थाने गए। इस धर्मांतरण के प्रकरण में कौन सी धारा लगाएं, ये तय करने में ही चार घंटे लग गए। इसका परिणाम ये रहा कि सभी आरोपी भागने में सफल रहे। प्रियंक कानूनगो की शिकायत पर दमोह की देहात थाना पुलिस ने विवर्त लाल, सचिव आरडी लाल, शीला लाल, मंजुला वार्नवास, सानित लाल, जीके हेनरी, एर्नेस्ट, विवेक लाल, इंजिला लाल, अजय लाल के खिलाफ ह्यूमन ट्रैफिकिंग सहित किशोर न्याय अधिनियम की धारा 42 व 75, मध्यप्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 35 के तहत प्रकरण दर्ज किया है।

आरोप झूठे, हॉस्टल में कोई पाबंदी नहीं, पुलिस बोली धर्मांतरण के प्रारंभिक सबूत मिले हैं

दमोह स्थित मिड इंडिया ईसाई मिशन हॉस्टल की प्राचार्य ट्रीजा मिस के मुताबिक धर्मांतरण जैसे आरोप बेबुनियाद हैं। हॉस्टल में हिंदू और मुस्लिम बच्चे अपने धर्मों के अनुसार अपनी पूजा पद्धति का उपयोग करते हैं। उधर इस मामले की जांच कर रही SIT प्रभारी CSP भावना दांगी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में धर्मांतरण की बात सही पाई गई है। पीड़ित परिवारों के बयान दर्ज हो चुके हैं। धर्मांतरण के दोनों प्रकरणों में 18 आरोपी बने हैं। गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।

मध्य प्रदेश में धर्मांतरण के ये मामले भी आ चुके हैं सामने…

  • 12 नवंबर को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के निर्देश पर रायसेन जिले के एक शिशु गृह में 3 हिंदू बच्चों को मुस्लिम बनाने के मामले में पुलिस ने FIR दर्ज की है। तीनों बच्चे भाई-बहन हैं। वे कोरोना काल में अपनों से बिछड़ गए थे। इस शिशु गृह को हसीन परवेज नाम का व्यक्ति संचालित करता है। हसीन परवेज ने तीनों बच्चों के नाम मुस्लिम रखते हुए पहचान-पत्र में खुद को उनका पेरेंट्स दिखाया है।
  • 16 मई को बैरागढ़ स्थित क्राइस्ट मेमोरियल स्कूल में हिंदू युवक-युवतियों को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था। शिकायत के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने स्कूल संचालक समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। यहां लोगों का ये कहकर ब्रेनवॉश किया जा रहा था कि ‘यीशु’ की शरण में आओगे तो तुम्हारे जीवन के कष्ट दूर हो जाएंगे। उनकी गरीबी भी दूर हो जाएगी।
  • सीधी जिले के बिजावर में भी ईसाई मिशनरी बहुत ही साइलेंट तरीके से धर्मांतरण कराने में जुटी हैं। यहां भी टारगेट पर आदिवासी और गरीब परिवार के लोग हैं। इस क्षेत्र में एक दीक्षित सरनेम वाली मैडम चर्चित हैं। रंगकर्मी नीरज कुंडेर के मुताबिक उनके बड़े भाई का ब्रेनवॉश कर ईसाई बना दिया गया था। इसके चक्कर में उनकी सीधी बस स्टैंड के पास संचालित स्पेयर पार्ट्स की दुकान तक बंद हो गई। बाद में वे सिंगरौली चले गए। अब हिंदू धर्म में वापस आ चुके हैं।
  • 1 दिसंबर को जबलपुर स्थित ईसाई हाई स्कूल में बतौर गणित के टीचर रमाकांत मिश्रा ने प्रिंसिपल संजीव जेम्स पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाब बनाने का आरोप लगाया। बताया कि प्रिंसिपल उस पर चर्च नहीं आने पर प्रमोशन रोकने और निकाल देने की धमकी देते हैं। लालच देते हैं कि ईसाई बनने पर हजार वर्ग फीट का प्लाट मिलेगा। इतना परेशान किया जाता है कि प्रताड़ित होकर धर्मांतरण कर ले। हालांकि प्रिंसिपल संजीव जेम्स इस आरोप को झूठा और बेबुनियाद बता चुके हैं।

400 लोगों को सहभोज कराने के बाद होगी समाज में वापसी

धर्मांतरण के झांसे में फंसे राजेश अहिरवार के मुताबिक अब उन्हें वापस अपने समाज में शामिल होने के लिए सहभोज देना पड़ेगा। समाज के सरपंच कोमल अहिरवार ने कहा है कि ईसाई धर्म अपनाने से वह समाज से बाहर चला गया है। वापसी के लिए सहभोज देना ही पड़ेगा। इसमें एक लाख रुपए तक खर्च आएगा। रिश्तेदार सहित समाज के 300-400 लोगों को खाना खिलाना होगा। तभी हमारे बच्चों का शादी-विवाह समाज में हो पाएगा और हम उनके यहां आ-जा सकेंगे।

स्रोत: दैनिक भास्कर

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​