सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के 38,000 मंदिरों के प्रशासनिक कार्य अपने हाथ में लेने पर तमिलनाडु (Tamil Nadu) की एमके स्टालिन (MK Stalin) सरकार को नोटिस भेजा है। याचिका में कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार ने मंदिर में ट्रस्टियों की नियुक्ति पर भी रोक लगा दी है।
मामले पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने सुनवाई की। ‘इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट’ नाम की NGO ने याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ना सिर्फ कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्ति कर मंदिरों की प्रबंधन को अपने हाथ में ले लिया है, बल्कि मंदिरों के विशाल निधि का बड़े पैमाने पर कुप्रबंधन किया जा रहा है।
#SupremeCourt hears petition concerning appointment of #trustees of #temples in Tamil Nadu.
Counsel: The trustees are still not appointed. The state is not interested in appointing.
CJI: Still not appointed?
Counsel: There are 38000 temples under the government.#SupremeCourt pic.twitter.com/2dAYXdaU5R— Live Law (@LiveLawIndia) December 13, 2022
याचिका में कहा गया है कि कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्ति नियमावली-2015 में उन्हें अधिकतम 5 साल के लिए नियुक्त करने की बात कहती है, लेकिन राज्य सरकार ने बिना किसी शर्त के इन अधिकारियों को अनिश्चितकाल तक के लिए नियुक्त कर दिया है। यह नियमावली का उल्लंघन है।
NGO ने याचिका में कहा है कि उन मंदिरों में भी कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जिनकी आमदनी बेहद कम है और वहाँ वित्तीय कुप्रबंधन के आसार कम हैं। ऐसा करके राज्य सरकार बिना कारण मंदिरों पर नियंत्रण कर रही है। मंदिरों के प्रबंधन को इस तरह हड़पना उचित नहीं है।
याचिका में सुब्रमण्यम स्वामी बनाम तमिलनाडु सरकार एवं अन्य से संबंधित केस का हवाला देते हुए कहा गया है कि मंदिरों में कुप्रबंधन का समाधान होते ही मंदिर का प्रबंधन संबंधित व्यक्ति को सौंप दिया जाना चाहिए। ऐसा नहीं करना संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि कार्यकारी अधिकारी मंदिरों के फंड को दूसरे कामों में इस्तेमाल कर रहे हैं। इस फंड को भक्तों द्वारा दिए गए दान से बनाया गया है। इसके साथ ही याचिका में कार्यकारी अधिकारियों पर पूर्वाग्रह का भी आरोप लगाया गया है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट में दलील देते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पिछले 70 सालों में ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है, जिसमें मंदिरों का प्रबंधन हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के पास गया हो और फिर उसे वापस ट्रस्टी को सौंप दिया गया हो।
याचिका में कहा गया है कि ऐसे 36,627 मंदिर हैं। इनमें से 57 मठों से जुड़े हैं और 17 जैन संप्रदाय के अंतर्गत आते हैं। इन मंदिरों के 88.22 प्रतिशत मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं और इनकी वार्षिक आय 10 हजार रुपए से भी कम है। ऐसे में इन पर नियंत्रण सरकार के पूर्वाग्रह को जाहिर करता है।
स्रोत: ऑप इंडिया