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अमेरिका के मानवाधिकारवादी सांसद का हिंदुस्तान विरोधी राग, कहा – ‘भारत हिंदू राष्ट्र बनने का खतरा’

अमेरिका के निवर्तमान सांसद एंडी लेविन को भारत के हिंदू राष्ट्र बनने का खतरा नजर आ रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में अपने कार्यकाल के अंतिम दिन विदाई भाषण में उन्होंने यह बात कही। मानवाधिकारों के पैरवीकर्ता लेविन को भारत विरोधी रुख के लिए जाना जाता है।

62 वर्षीय एंडी लेविन ने कहा कि, पूरी दुनिया में अमेरिका मानवाधिकारों की रक्षा में ज्यादा सफल रहा है, जबकि विश्व के कई देशों में हालात बहुत बिकट हैं।

लेविन ने आरोप लगाया, ‘मैं भारत जैसे देशों में मानवाधिकारों का पैरवीकर्ता रहा हूं। धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र और विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश के बजाए भारत के हिंदू राष्ट्रवादी देश बनने का खतरा है।’ प्रतिनिधि सभा में लेविन मिशिगन का प्रतिनिधित्व करते थे। अब इसका प्रतिनिधित्व रिपब्लिकन पार्टी की लिसा मैकक्लेन करेंगी।

निवर्तमान अमेरिकी सांसद लेविन ने आगे कहा, ‘मैं हिंदू धर्म का प्रेमी हूं, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और भारत में पैदा हुए अन्य धर्मों का प्रेमी हूं, लेकिन हमें वहां सभी लोगों के अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता है। चाहे वे मुस्लिम हों, हिंदू हों, बौद्ध हों, यहूदी हों, ईसाई हों या जैन हों।’

कश्मीर समेत तमाम मुद्दों पर भारत विरोधी रुख

लेविन को कश्मीर समेत तमाम मसलों पर भारत के खिलाफ बयान देने के लिए जाना जाता है। इसी साल 20 अप्रैल को भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद (IAMC) सहित कई मानवाधिकार समूहों के कार्यक्रम में उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर विश्वभर के देशों से ध्यान देने का आह्वान किया था। पिछले साल भी इसी कार्यक्रम में उन्होंने भारत में धार्मिक आजादी पर चिंता प्रकट की थी।

प्रधानमंत्री मोदी पर भी लगाया था आरोप

लेविन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारत को मानवाधिकारों और लोकतंत्र के मामले में गलत दिशा में ले जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आज का भारत वह भारत नहीं है जिससे मैं प्यार करता था। लेविन ने यह भी कहा कि वह एक ऐसे देश की सार्वजनिक रूप से इतनी आलोचना क्यों करते हैं, जिससे वह प्यार करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं भारत से प्यार करता हूं इसलिए मैं इसके लोगों पर हमलों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हूं।’ एक युवा व्यक्ति के रूप में मुझे जीवंत लोकतंत्र के बारे में पता चला था। मैं चाहता हूं कि भारत में लोकतंत्र आने वाली पीढ़ियों के लिए फलता-फूलता रहे।’

उन्होंने मिस्र सहित कुछ अन्य देशों पर भी प्रकाश डाला, जहां उन्होंने कहा कि हजारों राजनीतिक बंदियों को जेलों में डाला गया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी हाउस ने बर्मा (म्यांमार) में तख्तापलट की निंदा करते हुए मेरा प्रस्ताव पारित किया। हमने वहां बहुत ही विकट मानवाधिकारों की स्थिति के साथ-साथ दमन का विरोध किया। लेविन ने कहा कि एक अमेरिकी सांसद के रूप में मेरी पहली विदेश यात्रा बांग्लादेश में बर्मा की सीमा पर रोहिंग्या शरणार्थियों से मुलाकात की थी।

स्रोत: अमर उजाला 

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