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विकृत पुर्तगालियों की गोवा मुक्ति के उपरांत आज भी जयकारे हो रही है , यह दुर्भाग्य की बात है – गोविंद चोडणकर, हिन्दू जनजागृति समिति

आल्त-पर्वरी में हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा में उपस्थित हिन्दुओं ने ली हिन्दू राष्ट्र स्थापना की शपथ !

पर्वरी – क्रूरकर्मा ईसाई धर्मप्रचारक फ्रान्सिस जेवियर ने २५० वर्ष गोवा में इ‌न्क्विजिशन लादा । हिन्दुओं को अत्यंत क्रूरता से चुन-चुनकर मारा गया । ऐसे विकृत पुर्तगालियों की गोवा मुक्ति के उपरांत आज भी जयजयकार हो रही है, यह बडे दुर्भाग्य की बात है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर गोवा समन्वयक श्री. गोविंद चोडणकर ने किया । आल्त-पर्वरी के श्री रामवडेश्वर संस्थान में १८ दिसंबर को हुई हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा में श्री. चोडणकर बोल रहे थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर गोमंतक मंदिर महासंघ के मुख्य सचिव श्री. जयेश थळी उपस्थित थे । इस सभा के लिए उपस्थित हिन्दू धर्माभिमानियों ने हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए कटिबद्ध होने की शपथ ली ।

श्री. गोविंद चोडणकर

श्री. चोडणकर आगे बोले, ‘‘गोवा के उद्ध्वस्त मंदिरों के पुनरुत्थान के लिए अमुक स्थान पर मंदिर थे, यह सिद्ध करना होगा । हिन्दुओं के बहुसंख्यक होते हुए भी उन्हें अपनी न्ययापूर्ण अधिकारों के लिए लडना होता है । उनकी समस्याओं की उपेक्षा की जाती है । लव जिहाद, हलाल जिहाद एवं लैंड जिहाद के माध्यम से भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने का गुप्त कारस्थान रचा गया है । इसे नष्ट करने के लिए हिन्दुओं को उनका प्रभावी संगठन बनाना अत्यंत आवश्यक है ।’’

सभा के लिए पू. स्वामी हरिश्रद्धानंद सरस्वती की वंदनीय उपस्थिति थी । उनका सम्मान हिन्दुू जनजागृति समिति के श्री. महेश प्रभु ने किया । सभा की प्रस्तावना एवं सूत्रसंचालन श्रीमती स्वराली दवणे ने किया ।

प्रत्येक मंदिर से धर्मशिक्षा आरंभ होना काल की आवश्यकता है ! – जयेश थळी, गोमंतक मंदिर महासंघ

देश को एवं गोवा को स्वतंत्रता मिली, तब भी ब्रिटिश एवं पुर्तगालियों के काल में खोई हुई धार्मिक स्वतंत्रता हिन्दुओं को नहीं मिली । हम केवल राजकीयदृष्टि से मिली स्वतंत्रता पर संतुष्ट हो गए । इसलिए वर्तमान में हिन्दुओं की ऐसी दयनीय अवस्था हो गई है ।

श्री. जयेश थळी

इस अवस्था से बाहर निकालने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के अतिरिक्त कोई पर्याय नहीं । उसके लिए प्रथम हिन्दुओं को धर्म का ज्ञान होना चाहिए । इसके लिए प्रत्येक मंदिर से धर्मशिक्षावर्ग, बालसंस्कारवर्ग जैसे उपक्रम आरंभ होने आवश्यक हैं । देवस्थान समितियां इसके लिए आगे आएं ।

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