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अधिवक्ता वीरेंद्र इचरकरंजीकर द्वारा सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त चौकानेवाली जानकारी उजागर !
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परिवाद करने के पश्चात भी कोई कार्रवाई न की जाने से पुरातत्व विभाग की हतबलता !
मुंबई – नासिक पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आनेवाला सरकारवाडा, सुंदरनारायण मंदिर, इसके साथ ही मालेगांव किला एवं जलगांव का पारोला किला, ये राज्य संरक्षित स्मारकों के स्थान पर अतिक्रमण होने की गंभीर बात हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने की हुई सूचना के अधिकार के अंतर्गत उजागर हुई है । यह अतिक्रमण हटाने के लिए संबंधित प्रशासन से परिवाद करने के उपरांत भी अनधिकृत निर्माणकार्य न हटाए जाने की हतबलता पुरातत्व विभाग ने व्यक्त की है ।इसलिए ‘इस अतिक्रमण पर कार्रवाई करेगा कौन ?’, ऐसा प्रश्न निर्माण हुआ है ।
अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर द्वारा की हुई अर्ज पर १९ दिसंबर को नासिक पुरातत्व विभाग से उत्तर प्राप्त हुआ है । इस अर्ज में अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने ‘नासिक पुरातत्व विभाग की कार्यकक्षा में आनेवाले राज्य संरक्षित स्मारकों में से कितने स्मारकों की भूमिपर अथवा वास्तुओं पर अतिक्रमण हुआ है ?’ ऐसी पूछताछ की थी ।
उस पर उन्हें पुरातत्व विभाग द्वारा निम्न जानकारी दी गई –
१. नासिक में सरकारवाडा नामक संरक्षित स्मारक के आगे तथा वाडे के तीनों ओर से ठेले, फूलविक्रेता आदि का अतिक्रमण हुआ है ।
२. मालेगांव किले के दक्षिण में दीवार से लगी खाई में, इसके साथ ही खाई की दीवार से लगकर अवैध घर बनाए गए हैं ।
३. नासिक में सुंदरनारायण मंदिर के क्षेत्र में भी एक गद्दे बनाने का कारखाना है । इस विषय में कारखाने के मालिक ने जिला एवं सत्र न्यायालय में याचिका की है और इसपर अभियोग भी चल रहा है, ऐसी जानकारी पुरातत्व विभाग ने दी ।
४. जलगांव जिले के पारोला किले की खाई में भी भारी मात्रा में अनधिकृत निर्माणकार्य किया गया है । किले में, इसके साथ ही किले के परिसर में गंदगी का साम्राज्य फैला है ।
फिर कार्रवाई करेगा कौन ?
उपरोक्त राज्य संरक्षित स्मारकों के स्थान से अतिक्रमण हटाने के लिए नासिक महानगरपालिका के आयुक्त, जिलाधिकारी, मालेगांव महानगरपालिका के आयुक्त, पारोला नगरपरिषद के मुख्याधिकारी से संबंधित प्रशासकीय अधिकारियों से समय-समय पर पत्रव्यवहार किया गया है; परंतु आज तक किसी ने भी अतिक्रमण हटाने का प्रयास नहीं किया, ऐसी जानकारी पुरातत्व विभाग से अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर को दी गई है । अत: प्रशासन ही कार्यवाही नहीं कर रहा है, तो अनधिकृत निर्माणकार्य हटाएगा कौन ? इसके साथ ही ऐसा प्रश्न भी है कि प्रशासन इस अनधिकृत निर्माणकार्य की अनदेखी क्यों कर रहा है ?
अतिक्रमण हुई ऐतिहासिक वास्तुओं का महत्त्व
सरकारवाडा (नासिक) : सरकारवाडे की वास्तू पेशवाकालीन स्थापत्यकला एवं वैभवशाली इतिहास की साक्ष देनेवाली है । पेशवाओं का सर्व प्रशासकीय कार्यभार इसी वास्तू से होता था । कुल मिलाकर पेशवाओं से लेकर अंग्रेजों तक के राज्यकारभार का मुख्य केंद्र, दरबार, कारागृह, पुलिस थाना ऐसे विविध कारणों के लिए सरकारवाडे का उपयोग किया गया है ।
मालेगांव किला (नासिक) : वर्ष १७४० में अंतिम पेशवा शंकरराजे बहादुर ने इस किले का निर्माण किया था । किले के निर्माण के लिए सूरत एवं उत्तर भारत से कारागीर लाए गए थे । इस किले को बनाने के लिए २५ वर्ष लगे थे ।
सुंदरनारायण मंदिर (नाशिक) : देवी लक्ष्मी एवं तुलसी के साथ भगवान विष्णु का यह एकमेव मंदिर गोदावरी नदी के तट के पास है । ऐतिहासिक कलाकृति, सुंदर नक्काशी एवं अति उत्तम निर्माणकार्य है । जालंदर राक्षस की पत्नी वृंदा ने भगवान विष्णु को दिए शाप के कारण वे कुरूप हो गए थे। तब यहां की गोदावरी नदी में स्नान करने से उन्हें अपना मूल स्वरूप प्राप्त हो गया । इसलिए इस मंदिर को सुंदरनारायण मंदिर के नाम से पहचाना जाता है ।
पारोला किला (जलगांव) : हरि सदाशिव दामोदर ने वर्ष १७२७ में स्थानीय व्यापारी लोगों की सुरक्षा के लिए एवं आसपास के प्रांतों पर नियंत्रण रखने के लिए इस भूमिअंतर्गत किले का निर्माण किया । झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का इस किले में वास्तव्य था । इसलिए इसे ‘झांसी की रानी का मायका’, ऐसा भी कहते हैं । जलगांव जिले की पुरानी सुंदर वास्तू में इस किले की गणना की जाती है ।