‘मुंबई में अवैध झोपडपट्टी बनाएं, निशुल्क घर पाएं’, ऐसी महापालिका की योजना है क्या ?
मुंबई – माहीम गढ पूर्णत: अवैध निर्माणकार्य से घिर जाने तक उस पर अतिक्रमण करनेवालों पर अनेक वर्षों से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई । दुर्गप्रेमियों द्वारा निरंतर की गई शिकायतों के कारण मुंबई महानगरपालिका ने यह अतिक्रमण हटाने का काम प्रारंभ किया है; परंतु अतिक्रमण करनेवालों पर कार्रवाई करने के स्थान पर अतिक्रमण करनेवाले २६७ लोगों को मुंबई महानगरपालिका द्वारा निशुल्क सदनिका दी जानेवाली हैं । कहा जा रहा है कि पालिका का यह निर्णय संरक्षित स्मारकों पर अतिक्रमण एवं मुंबई में और अवैध झोपडपट्टियां बनाने को प्रोत्साहन देनेवाला है ।
सर्वसामान्य नागरिक अनेक वर्ष अथक परिश्रम करने के पश्चात भी मुंबई में अपना स्वयं का घर नहीं खरीद पाते; परंतु जो अवैध झोपडपट्टियां बनाते हैं, सरकार द्वारा करोडों रुपयों की सदनिका निशुल्क देकर उनका पुनर्वसन किया जाता है । इससे पूर्व भी मुंबई में झोपडपट्टी पुनर्वसन योजना के अंतर्गत सहस्रों अवैध झोपडपट्टीधारकों का पुनर्वसन किया गया है । यही प्रकार अब राज्य संरक्षित स्मारकों पर अतिक्रमण करनेवालों के संदर्भ में देखने मिलता है । वर्तमान में माहीम गढ पर अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया मुंबई महानगरपालिका ने आरंभ की है । गढ पर २६७ अवैध घरों में से २५० घर गिराए जा चुके हैं और शेष घरों को गिराने का कार्य शुरू है । महानगरपालिका के संबंधित अधिकारियों का कहना है कि शेष झोपडियां (अवैध निर्माणकार्य) गिराने और मलवा उठाने में डेढ माह लगेगा । इसमें १७५ लोगों को झोपडपट्टी पुनर्वसन योजना के अंतर्गत, ७७ लोगों को ‘म्हाडा’ द्वारा, तो शेष लोगों को अन्य योजनाओं के अंतर्गत दिए जानेवाले हैं । अतिक्रमण हटाने के पश्चात महानगरपालिका द्वारा गढ की मरम्मत का काम आरंभ होगा । यह गढ राज्य पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है, तब भी गढ की दुरुस्ती के लिए महानगरपालिका द्वारा निधि उपलब्ध की जानेवाली है ।
BMC allots PAP homes to 222 Mahim Fort families https://t.co/FLADPZ4PIB
— TOI Mumbai (@TOIMumbai) June 15, 2022
दुर्गप्रेमियों पर कार्रवाई; परंतु गढ हथियानेवालों को निशुल्क सदनिका !
संरक्षित स्मारक एवं पुरातन वास्तू का प्राचीनत्व टिका रहे, इसलिए पुरातत्व विभाग एवं प्रशासन गढ-दुर्गों के मंदिरों की मरम्मत नहीं होने देता । वैसा प्रयत्न करनेवाले कुछ दुर्गप्रेमियों पर कार्यवाही की गई है; दूसरी ओर मात्र महिम गढ को हथियानेवालों पर कार्रवाई करने के स्थान पर मुंबई जैसी आर्थिक राजधानी में उन्हें निशुल्क सदनिका देने का निर्णय, यह तो अन्याय है ।
राजकीय लाभ के लिए अवैध झोपडपट्टीधारकों को घर दिए जा रहे हैं ?, ऐसा संशय दृढ होता है !
वर्तमान में मुंबई के रेल्वेमार्ग से लगी रेल्वे प्रशासन की भूमि पर अतिक्रमण करनेवाली झोपडपट्टियों का सर्वेक्षण शुरू है । इसमें दहिसर से बोरीवली, इस पश्चिम रेल्वेमार्ग पर कुल १ सहस्र ३०० झोपडपट्टियां हैं । इन झोपडपट्टीधारकों का भी पुनर्वसन करने की मांग कुछ राजकीय पक्षों द्वारा की जा रही है । इससे पूर्व भी मुंबई झोपडपट्टीमुक्त होने हेतु ‘झोपडपट्टी पुनर्वसन योजना’ चलाने के उपरांत भी मुंबई की झोपडपट्टियां कम नहीं हुईं, अपितु बढती ही जा रही हैं । इसलिए राजकीय अथवा आर्थिक लाभ के लिए अवैध झोपडपट्टीधारकों को घर दिए जा रहे हैं क्या ?, ऐसा संशय दृढ हो रहा है । इसलिए यह प्रकार अवैध निर्माणकार्य करनेवालों को अर्थात अपराध को प्रोत्साहन देनेवाला एवं सर्वसामान्यों पर अन्याय करनेवाला सिद्ध हो रहा है ।