Menu Close

‘हिन्दू विरोधी और क्रूर नहीं था औरंगजेब’: NCP नेता जितेंद्र आव्हाड

कुछ दिन पूर्व महाराष्ट्र में एनसीपी नेता अजित पवार ने छत्रपति संभाजी महाराज पर टिप्पणी की थी जिसे लेकर उनकी चौतरफा आलोचना होने लगी। इसी बीच अजित पवार के बचाव में एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड उतर आए हैं। जितेंद्र आव्हाड ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि अगर औरंगजेब क्रूर या हिंदू विरोधी होता तो वह उस मंदिर को भी तोड देता जहां संभाजी महाराज की आंखें निकाल दी गई थीं।

जितेंद्र ने कहा, “छत्रपति संभाजी महाराज को बहादुरगढ लाया गया, जहां उनकी आंखें निकाल दी गईं। बहादुरगढ़ किले के पास एक विष्णु मंदिर था। अगर औरंगजेब क्रूर या हिंदू विरोधी होता तो वह उस मंदिर को भी तोड़ देता।”

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड के बयान पर पलटवार किया। सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि एनसीपी छत्रपति संभाजी महाराज का अपमान कर रही है और औरंगजेब का गुणगान कर रही है। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने महाराष्ट्र में कई मंदिरों को तोडा और महिलाओं पर अत्याचार किया।

इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा था कि छत्रपति संभाजी महाराज धर्मवीर नहीं थे, बल्कि स्वराज्य रक्षक थे। इसके बाद से ही पूरे महाराष्ट्र में अजित पवार के इस बयान की आलोचना शुरू हो गई थी। मामले के बीच ही एनसीपी के दूसरे नेता ने एक कदम आगे बढ़ते हुए औरंगजेब को लेकर दावा कर दिया कि वह क्रूर और हिंदू विरोधी नहीं था।

क्या कहता है इतिहास ?

छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बेटे संभाजी महाराज 1689 की शुरुआत में हुए मुगल-मराठा युद्ध में पकड़े गए। संभाजी राजे और कवि कलश को औरंगजेब के पास पेश करने से पहले बहादुरगढ़ ले जाया गया था। औरंगजेब ने शर्त रखी थी कि संभाजी राजे धर्म-परिवर्तन कर इस्लाम अपना लें तो उनकी जान बख्श दी जाएगी। संभाजी राजे ने यह शर्त मानने से इनकार कर दिया। 40 दिन तक औरंगजेब के अंतहीन अत्याचारों के बाद 11 मार्च, 1689 को फाल्गुन अमावस्या के दिन संभाजी महाराज की मृत्यु हो गई।

असहनीय यातनाओं को सहते हुए भी संभाजी राजे ने धर्म के प्रति अपनी निष्ठा नहीं छोड़ी। इसलिए इतिहास ने उन्हें धर्मवीर की उपाधि दी।

स्रोत: ऑप इंडिया

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *