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धर्म सेंसर बोर्ड ने जारी की गाइडलाइन्स; झोंको, टोको और रोको का रहेगा अधिकार

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आज के दौर में फिल्मों और वेब सीरीज पर भावनाएं आहत होने के आरोप लगते रहते हैं। ऐसे में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नयी दिल्ली में तीन जनवरी को ‘धर्म सेंसर बोर्ड’ का गठन किया था। जिसका मकसद फिल्मों में हिंदू धर्म और देवी-देवताओं का मजाक वाले सीन्स और धर्म वे संस्कृति से जुड़े अन्य विवादों पर नजर रखना है। पिछले गुरुवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कुछ गाइड लाइंस जारी की हैं। जिन्हें सभी फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों तक पहुंचाया जा रहा है और उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे अब सनातन धर्म की ‘आलोचना, अनादर या उपहास’ वाले सींस और कंटेट अपनी फिल्मों में शामिल नहीं करेंगे।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “दिशानिर्देश ‘झोंको’ (अपनी बात रखो), ‘टोको’ और ‘रोको’ की नीति पर आधारित है।” उन्होंने कहा कि अगर फिल्मकार इसके बावजूद भी उनकी अपील पर ध्यान नहीं देते हैं तो कानूनी रास्ता अपनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक ‘कानूनी इकाई’ भी बनायी गई है। उन्होंने ‘धर्म सेंसर बोर्ड’ के बारे में बताया, “किसी भी फिल्म के रिलीज होने पर हमारे एक्सपर्ट्स उसे देखेंगे और हम इसको लेकर एक प्रमाणपत्र जारी करेंगे कि फिल्म सनातन धर्मी लोगों के ज़रिए देखे जाने योग्य है या नहीं है।”

उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार के ज़रिए बनाए गए सेंसर बोर्ड से पास फिल्मों में अनेक ऐसे दृश्य आ रहे हैं जो धार्मिक लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा, “बार-बार यही सब दोहराए जाने के बाद हमने मांग की है कि सेंसर बोर्ड में किसी धार्मिक दृष्टि वाले व्यक्ति को बैठा दिया जाए लेकिन यह मांग नहीं मानी गई। इसीलिए हमें यह बोर्ड बनाना पड़ा।”

शंकराचार्य ने कहा, “हमारा सेंसर बोर्ड, सरकार के सेंसर बोर्ड का साथी होगा। हम उनके सेंसर बोर्ड पर सवाल नहीं उठा रहे।” शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगी ने बताया कि धर्म सेंसर बोर्ड यह भी देखेगा कि फिल्मों के शीर्षक धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले या धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने वाले न हों और फ़िल्म में किसी भी देवी देवता, महापुरुषों, ऋषि, आचार्य का अनादर, उपहास न उड़ाया गया हो। उन्होंने बताया कि इस बोर्ड का काम सिर्फ फिल्म और धारावाहिकों तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि विद्यालय, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में होने वाले नाट्य मंचन भी अब इसके दायरे में होंगे।

स्रोत : जी न्यूज


 

6 जनवरी

फिल्मों, धारावाहिकों आदि के माध्यम से धर्म के अपमान को रोकने के लिए ‘धर्म सेंसर बोर्ड’ की स्थापना ।

द्वारका एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने की स्थापना !

देश में अब धर्माचार्य और हिंदू धर्म के जानकार फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों में हिंदू धर्म के अपमान से जुड़ी सामग्री की समीक्षा करेंगे। इसके लिए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद धार्मिक सेंसर बोर्ड बनाने जा रहे हैं, जो जल्द ही अपना काम शुरू कर देगा। यह बोर्ड स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के संरक्षक में ही काम करेगा।

मंगलवार को कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस को संबोधित करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि धर्म शोधन सेवालय (धर्म सेंसर बोर्ड) का गठन किया गया है। इसमें 11 सदस्यों को शामिल किया गया है। धर्म सेंसर बोर्ड का प्रमुख कार्यालय दिल्ली-एनसीआर में होगा। जल्द ही सभी प्रदेश और जिलों में भी इसके कार्यालय शुरू किए जाएंगे। 15 जनवरी को दिल्ली कार्यालय शुरू किया जाएगा। जबकि प्रयागराज में होने वाले माघ मेले में धर्म सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म निर्माताओं के लिए एक विस्तृत गाइडलाइन भी जारी की जाएगी।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, फिल्मों में जहां कोई कमी दिखानी हो तो हिंदू धर्म और जहां अच्छी दिखानी हो तो दूसरे धर्म के जिक्र की परिपाटी चली आ रही है और अब इसे खत्म करना है। बॉलीवुड, टीवी सीरियल समेत ओटीटी प्लेटफार्म पर बनाई जा रही फिल्मों और सीरियल्स में हिंदू-देवी देवताओं का लगातार अपमान किया जा रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए हम धर्म सेंसर बोर्ड का गठन करने जा रहे हैं। इस सेंसर बोर्ड के 11 सदस्यों में सुप्रीम कोर्ट के वकील, धर्माचार्य, मीडिया के प्रतिनिधि, साहित्यकार, इतिहासकार, फिल्म अभिनेत्री, सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर उत्तर प्रदेश फिल्म सेंसर बोर्ड के उपाध्यक्ष तक को शामिल किया गया है। सभी सदस्य बोर्ड के संरक्षक को हिंदू धर्म की रक्षा के संबंध में परामर्श भी देंगे।

उन्होंने कहा, यह बोर्ड फिल्मों, टीवी और ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाई जा रहे धार्मिक पात्र, उनके डायलॉग, रंग, तिलक और स्क्रिप्ट की समीक्षा करेगा। अगर किसी भी फिल्म में हिंदू धर्म, वेदों और पुराणों की बातों को तोड़ मरोड़ कर दिखाए जाएगा, तो उस पर बोर्ड कार्रवाई करेगा। इसके अलावा यह बोर्ड स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम, नाटक और विविध धार्मिक लीलाओं के मंचनों की भी समीक्षा करेगा। धार्मिक सेंसर बोर्ड देश के संत समाज, धार्मिक संस्थानों, धार्मिक पुस्तकों पर दिए जाने वाले बयानों और भाषणों की भी निगरानी करेगा और उनकी समीक्षा करेगा।

फिल्म निर्माताओं की करेंगे मदद, देंगे प्रमाण पत्र

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि बोर्ड के गठन होने के बाद इसकी सूचना सभी फिल्म निर्माताओं को दी जाएगी। ताकि वो लोग किसी भी धर्म-इतिहास से जुड़ी फिल्में बनाने से पहले हमसे संपर्क करें। हम फिल्म निर्माताओं को धर्म-समाज और इतिहास से जुड़े सभी तथ्य और जानकारी उपलब्ध करवाएंगे। जिसके आधार पर वे फिल्म का निर्माण कर सकें। इसके अलावा फिल्म निर्माताओं को धार्मिक पात्रों के विस्तृत जानकारी से लेकर उनके पहनावे तक की जानकारी भी मुहैया करवाएंगे। जो फिल्म निर्माता हमसे मदद लेगा या हमारी धार्मिक गाइडलाइन के हिसाब से फिल्म तैयार करेगा। उसे धार्मिक सेंसर बोर्ड एक प्रमाण पत्र भी मुहैया करवाएगा।

उन्होंने कहा, इसके अलावा भी कोई समाज या संगठन फिर भी फिल्म पर कोई विवाद खड़ा करता है, तो सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं को संरक्षण प्रदान करेगा। वहीं उनके हक के लिए लड़ाई लड़ेगा। लेकिन जो हमारे सेंसर बोर्ड की गाइड लाइन को दरकिनार कर धर्म-समाज से जुड़ी कोई गलत जानकारी वाली फिल्म बनाएंगा, तो हम उस पर जुर्माना की कार्रवाई करेंगे। इसके अलावा भारतीय कानून को ध्यान में रखते हुए पर उचित कार्रवाई की मांग भी करेंगे। अभी सेंसर बोर्ड के पंजीयन की कार्रवाई अंतिम चरणों में है। जल्द ही यह पूरा हो जाएगा। प्रयाग में होने वाले माघ मेले में संतों, आचार्यों और धर्म सेंसर बोर्ड के सदस्यों द्वारा फिल्म निर्माताओं के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी।

स्रोत: अमर उजाला

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